तेजपत्ता की खेती

दालचीनी की खेती कैसे करे

दालचीनी (सिन्नमोमम विरम) (कुल: लौरोसिया) सबसे पुराने मसलों में से एक है। मुख्यतः इसके वृक्ष की शुष्क आन्तरिक छाल की पैदावार की जाती है। दालचीनी श्रीलंका मूल का वृक्ष है तथा भारत में केरल एवं तमिलनाडू में इसकी पैदावार कम ऊंचाई वाले पश्चिमी घाटों में, यह वृक्ष कम पोषक तत्व युक्त लैटेराइट एवं बलुई मृदा में उगाए जा सकते हैं। इनके लिए समुद्र तट से लगभग 1000 मीटर ऊंचाई वाले स्थान अनुकूल होते हैं। यह मुख्यत: वर्षा आधारित होते हैं। इसके लिए 200-250 से मीटर वार्षिक वर्षा अनुकूल है।

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तेजपत्ते में होते हैं ये औषधीय गुण

तेजपत्ते में होते हैं ये औषधीय गुण

तेजपत्ते का इस्तेमाल ज्यादातर पकवानों में किया जाता है। मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाली इन पत्तियों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में ऐंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है। इसके अलावा इन पत्तियों में कई तरह के प्रमुख तत्व जैसे कॉपर, पोटैशियम, कैल्शियम, सेलेनियम और आयरन पाया जाता है। किडनी स्टोन और किडनी से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं के लिए तेजपत्ते का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। तेजपत्ते को उबालकर उस पानी को ठंडा करके पीने से किडनी स्टोन और किडनी से जुड़ी दूसरी समस्याओं में फायदा मिलता है। सोने से पहले तेजपत्ते का इस्तेमाल करना अच्छी नींद के लिए बहुत फायदेमंद है। तेजपत्ते के त Read More : तेजपत्ते में होते हैं ये औषधीय गुण about तेजपत्ते में होते हैं ये औषधीय गुण