'लगता है पैरों में मधुमक्खियां काट रही हैं'

मेरी रोज कई सालों से ठीक से सोने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जैसे उन पर कीड़ों का हमला हो गया है.

अपने तकलीफदेह अनुभव को बताते हुए वह कहती हैं, ''यह कुछ ऐसा है जैसे मधुमक्खियों का झुंड आपके पैरों की त्वचा में घुस गया हो. यह बहुत-बहुत तकलीफदेह है.''

अपने 80वें साल में चल रहीं यह इतिहासकार रेस्टलेस लैग्स सिंड्रॉम (आरएलएस) से पीड़ित हैं जिसकी वजह से वह रात भर परेशान रहती हैं.

वो कहती हैं, ''इसके कारण पैरों में खुजली महसूस होती और उठकर चलने को मजबूर होना पड़ता है. लेटना और सोना मुश्किल हो जाता है क्योंकि पैरों में चीटियां सी काटती हैं जिसे सहन करना मुश्किल होता है.''

इसके लक्षण इतने गंभीर थे कि वह रात को सोने तक नहीं जाना चाहतीं थीं.

''नींद नहीं आती''

मेरी रोज नहीं जानतीं कि ये समस्या कब शुरू हुई लेकिन कई सालों तक उन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला.

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उन्होंने बताया, ''लोग कहते थे कि आपकी मांसपेशियां खिंच गई हैं; वो अलग-अलग सलाह भी देते थे और मैंने वो सब किया भी.''

लेकिन, इस सब का उन पर कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने अपने पैरों पर तेल भी लगाया ताकि यह जलन खत्म हो जाए लेकिन इससे भी बात नहीं बनी.

बाद में उन्हें लंदन में गायज़ एंड सेंट थॉमस अस्पताल में रेफर किया गया जहां न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर गाय लैशजाइनर उनका इलाज कर रहे हैं.

डॉक्टर लैशजाइनर बताते हैं, ''रेस्टलैस लैग्स सिंड्रॉम एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसके कारण खासकर रात में पैरों को हिलाने की इच्छा होती है. इसका कारण पैरों में होने वाली उत्तेजना होती है.''

''यह बीमारी 20 में से एक वयस्क को होती है और इसके कारण नींद में बहुत कमी हो सकती है.''

मेरी रोज के साथ हालत इतनी बुरी है कि वो रात में सिर्फ कुछ घंटों के लिए सोती हैं और कभी-कभी तो इससे भी कम.

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उन्होंने कहा, ''मैंने कई रातें बिना सोए बिताई हैं.

बेचैनी का ये अनुभाव आनुवांशिक है लेकिन आयरन की कमी और गर्भधारण सहित कई कारणों से हो सकता है. इसका इलाज करना भी आसान होता है.

कुछ लोगों में यह कैफ़ीन, एल्कोहल न लेने और कुछ मेडिकेशन व व्यायाम करने से ठीक हो सकता है लेकिन कुछ लोगों को दवाइयां लेने की जरूरत पड़ती है.

मेरी रोज की हालत इतनी गंभीर है कि उनके पास सिर्फ़ दवाइयां लेने का ​विकल्प है इसलिए डॉक्टर लैशजाइनर उनकी बीमारी को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों के मेल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे उन्हें कुछ फ़ायदा हो रहा है.

वह खुशी से कहती हैं, ''मेरे पैरों की बैचेनी में अब राहत है. कभी-कभी मुझे फिर से इसका अटैक पड़ता है जो बहुत डरावना होता है जिसके कारण मुझे पूरी रात चलना पड़ता है. लेकिन, इसमें मेरी ही गलती होती है क्योंकि मैं दवाइयां लेना भूल जाती हूं.''

ध्यान भटकाने का तरीका

मेरी रोज का इलाज चला रहा है फिर भी वो पूरी रात सो नहीं पातीं.

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वह कहती हैं, ''दरअसल, मेरे पैर पहले से ज्यादा नियंत्रण में हैं और मेरी नींद को ज्यादा प्रभावित नहीं करते. शायद सुबह तीन बजे ऐसा समय है जब मेरी नींद खुलती है.''

डॉक्टर लैशजाइनर कहते हैं कि यह असामान्य नहीं है.

वह बताते हैं, ''कई सालों से जिन लोगों को नींद संबंधी समस्या रही है उनमें यह होना सामान्य बात है. उनमें इस तरह की नींद की आदत बन जाती है.''

नींद में रुकावट और रात का डर कई सालों तक बना रहता है.

इसके साथ ही मेरी रोज ने कई सालों से नींद में परेशानी झेलने के बाद इंसोमेनिया से निपटने के लिए कुछ अपने भी तरीके खोज लिए हैं.

वह बताती हैं, ''मेरी ऑडियो किताबें या म्यूजिक सुनने से मेरा​ दिमाग चलना बंद हो जाता है और फिर मुझे नींद आने लगती है. लेकिन, इसका ये मतलब नहीं है कि मुझे दो घंटों से ज्यादा की नींद आती है.''

डॉ. लैशजाइनर ने कहा, ''इसमें आप अपना ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं. कहानी या संगीत के बारे में सोचते वक्त आप नींद के बारे में नहीं सोच रहे होते हैं और इस तरह आपका दिमाग पैसिव मोड में चला जाता है और फिर अपने आप नींद आ जाती है.''

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