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फर्स्ट-एड: जान बचाने का ज्ञान

छोटी चोट, छोटी जलन, बीपी का अचानक बढ़ जाना जैसी समस्याएं बड़ी परेशानी में तब्दील न हो, इसलिए जरूरी है फौरी इलाज। यह इलाज तब ही मुमकिन है, जब हमारे पास फर्स्ट एड का सामान हो और हम उनका सही तरीके से इस्तेमाल करना जानते हों। ऐसी ही किसी इमर्जेंसी की स्थिति में कैसे करें फर्स्ट एड, एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह
एक्सपर्ट पैनल
डॉ. अनूप मिश्रा, हेड, फोर्टिस सी-डॉक
डॉ. बिप्लव मिश्रा, प्रफेसर ऑफ सर्जरी, ट्रॉमा सेंटर, एम्स
डॉ. संदीप मिश्रा, प्रफेसर, कार्डियॉलजी, एम्स
डॉ. अनिल मिनोचा, हेड, नॉन-इनवेसिव कार्डियॉलजी, फोर्टिस
डॉ. अनुराग महाजन, हेड, इंटेंसिव केयर, पीएसआरआई हॉस्पिटल
अगर किसी को छोटी-मोटी चोट लगती है तो उसके लिए फर्स्ट एड किया जाता है, वहीं अगर चोट बड़ी है जैसे कि सड़क हादसा, इमारत से गिर जाना, चाकू लग जाना आदि तो वहां हमें बेसिक लाइफ सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। बेसिक लाइफ सपोर्ट में 3 चीजें अहम होती हैं, जिन्हें ABC कहा जाता है:
1. A से एयरवेज: इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि मरीज को नाक या मुंह से सांस सही से आ रही हो। इसके लिए मरीज के आसपास भीड़ न लगने दें, पंखा चला दें या हाथ से पंखा करें ताकि मरीज को हवा मिल सके। अगर ऑक्सिजन मास्क उपलब्ध हो तो अच्छा है।
2. B से ब्रीदिंग: चेक करना होता है कि मरीज के सीने का मूवमेंट सही हो यानी फेफड़े काम कर रहे हों। अगर सांस रुकती हुई लगती है तो सीने को जोर-जोर से दबाएं। छाती के साथ फेफड़ा भी दबता है, जिससे सांस लेने में मदद मिलेगी।
3. C से सर्कुलेशन: देखते हैं कि सर्कुलेशन यानी खून का दौरा सही से हो रहा हो और नब्ज ठीक से काम कर रही हो। अगर नब्ज 110 से ऊपर हो जाए तो खतरा हो सकता है। तब फौरन डॉक्टरी मदद जरूरी है।
फर्स्ट एड बॉक्स में रखें ये चीजें
आपके घर और दफ्तर, दोनों जगह फर्स्ट एड बॉक्स जरूर होना चाहिए। उसके अंदर ये चीजें जरूरी हैंः
- एंटी-इन्फेक्टिव क्लीनिंग एजेंट: सेवलॉन (Sevlon) या डिटॉल (Dettol) और आयोडीन सलूशन जैसे कि बीटाडिन (Betadine) या सोफ्रामाइसिन (Soframycin) आदि
- पेन किलर: पैरासिटामोल (Paracetamol), एक्युपेन (Acupain), डामोडोल (Domadol), आइबोप्रोफिन (Ibuprofen), पीरियड्स के दर्द के लिए मैफटाल स्पास (Maftal Spas) आदि
- पेन किलर जेल: वॉलिनी (Volini), वॉवेरन (Voveran), डीएफओ (DFO) आदि
- एंटी एलर्जिक दवा: सिट्रिजिन (Cetirizine) जोकि सिट्रिजिन, एल्सेट (Alcet), बीटा गुड (Beta Good) आदि नाम से मिलती है।
- बुखार के लिए: पैरासिटामोल (Paracetamol) जोकि क्रोसिन (Crocin) और कालपोल (Calpol) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है।
- बीटाडिन ऑइंटमेंट
- उलटी की दवा: डॉमपेरिडॉन (Domperidone) जोकि डोमाकेयर (Domacare), डोमेट (Domet), वोमिनडॉन (Vomidon) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है।
- लूज मोशंस रोकने के लिए: रेसेसाडोट्रिल (Racecadotril) जोकि डोट्रिल (Dotril), नोडी (Nodi), कैडोट्रिल (Cadotril) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है।
- ऐंटिबायॉटिक क्रीम जैसे कि फ्यूसिडिक एसिड (Fusidic Acid) और म्यूपिरोसिन (Mupirocin)
- क्रेप बैंडेज (Crepe Bandage)
- स्टिराइल गॉज (Gauze) ड्रेसिंग
- बैंड ऐड
- छोटी कैंची
- ग्लव्ज़
- थर्मामीटर
ध्यान रखें
- अक्सर फर्स्ट एड को हम अपडेट नहीं करते इसलिए उसमें रखी दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं और हमें इसका पता तब लगता है, जब हमें उनकी जरूरत होती है |
- फर्स्ट एड बॉक्स पर मेडिकल इमर्जेंसी के नंबर जैसे कि पुलिस, नजदीकी हॉस्पिटल और फायर डिपार्टमेंट आदि का फोन नंबर लिखा होना चाहिए।
- अगर कोई इमर्जेंसी है तो फौरन मदद के लिए चिल्लाएं। साथ ही हॉस्पिटल और पुलिस को फोन करें|
- अगर कोई जख्मी है तो मदद आने तक उसे अकेला न छोड़े और सांत्वना देते रहें कि सब ठीक हो जाएगा।
- फर्स्ट एड के बाद मरीज को पानी या कुछ और पिलाने या खिलाने की कोशिश बिल्कुल न करें। अगर वह पानी मांगे तो भी डॉक्टर से बिना पूछे न दें।
- पेन किलर का इस्तेमाल कम-से-कम करें।
चोट लगना
- सबसे पहले साबुन और पानी से धोएं। फिर एंटी-इन्फेक्टिव क्लीनिंग एजेंट जैसे कि सेवलॉन या डिटॉल या आयोडीन सलूशन जैसे कि बीटाडीन या वोकाडिन (Wokadine) से चोट को साफ करें।
- अगर खरोंच या हल्की चोट है तो साफ करके उस पर बैंड ऐड लगा दें।
- चोट थोड़ी गहरी है तो साफ करने के बाद एंटी-सेप्टिक क्रीम बीटाडीन या सोफ्रामाइसिन क्रीम लगाकर पट्टी को तह करके उसके ऊपर लगा दें। कॉटन न लगाएं, वरना हवा अंदर नहीं जा पाएगी। इसके बाद ऊपर से पट्टी बांध दें।
- कई लोग चोट पर नीली दवा के नाम से जानी जानेवाली जेनशन वायलेट (Gentian Violet Paint) भी लगाते हैं लेकिन अब डॉक्टर इसे लगाने की सलाह नहीं देते क्योंकि यह स्किन के लिए नुकसानदेह है।
- अगर किसी लोहे की चीज या सड़क आदि पर गिरने से चोट लगी है तो 24 घंटे के अंदर टिटनस का इंजेक्शन भी लगवाएं। एक बार लगने के बाद यह 10 साल तक असरदार रहता है। अगर बच्चों का पूरा वैक्सीनेशन हुआ है और डीपीटी बूस्टर भी लग गया है तो 10 साल की उम्र तक टिटनस का इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं है।
- चोट से अगर बहुत दर्द हो रहा हो तो पेनकिलर के तौर पर पैरासिटामोल या आइबोप्रोफिन की एक टैब्लेट ले सकते हैं। बच्चों को पैरासिटामोल दे सकते हैं। डोज दवा की बॉटल पर लिखी होती है।
गुम चोट लगना
- जहां चोट लगी है, उस हिस्से की दिन में 3-4 बार 10-15 मिनट बर्फ से सिकाई करें। एक छोटा तौलिया लेकर उसमें बर्फ रख लें और उससे सिकाई करें। किसी बर्तन में बर्फ वाला ठंडा पानी भरकर उसमें रुमाल या तौलिया भिगोकर भी सिकाई कर सकते हैं। फ्रिज में रखे जेल पैकेट की मदद से भी ठंडी सिकाई की जा सकती है।
- फिर पेन किलर जेल या स्प्रे जैसे कि वॉलिनी, वॉवरेन, डीएफओ आदि लगाएं। जेल या स्प्रे लगाने के बाद मालिश न करें क्योंकि हमें उस हिस्से को ठंडा रखना है। मालिश से वह हिस्सा गर्म हो जाता है। ध्यान रखें कि गर्म पानी, बॉटल या जेल से सिकाई पुरानी चोट या पीरियड्स के दौरान की जाती है।
- अगर दर्द ज्यादा हो रहा है तो एक्सरे जरूर करा लें, वरना आगे जाकर दिक्कत हो सकती है।
सड़क हादसा
- सबसे पहले एक्सिडेंट के शिकार शख्स के शरीर से बहने वाले खून को रोकने की कोशिश करें। शरीर के जिस अंग से खून बह रहा है, उसे साफ कपड़े से टाइट बाधें। अगर कपड़ा नहीं है तो उस जगह को तब तक दबा कर रखें, जब तक कि खून निकलना बंद न हो जाए।
- कोशिश करके जितना जल्दी हो सके, मेडिकल हेल्प दिलाने की कोशिश करें।
- अगर दिख रहा है कि सिर में चोट लगी है और वह शख्स गर्दन या कमर को हिला नहीं पा रहा तो उसे ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं। धीरे से किसी सख्त जगह पर लिटाएं।
- उसके पैरों को नीचे कुछ सपोर्ट लगाकर हल्का ऊपर कर दें। ब्लड प्रेशर को मेंटेन करने के लिए हथेलियों और तलवों को रगड़े जिससे शरीर में गर्माहट बनी रहे।
- अगर ऐंबुलेंस या पुलिस मदद मिलने में वक्त लग रहा है तो मरीज को कार या टैक्सी में लिटाकर पास के अस्पताल ले जाएं।
- अगर मरीज हाथ या पैर में बहुत दर्द बता रहा हो तो लकड़ी का फट्टा या प्लास्टिक की चपटी स्टिक जैसी कोई चीज दर्द वाले हिस्से पर बांध दें। इससे वह हिस्सा ज्यादा हिलेगा-डुलेगा नहीं और हड्डी टूटने की स्थिति में ज्यादा नुकसान होने से बच जाएगा।
- अगर मरीज का कोई अंग कट गया है तो कटे अंग को साफ प्लास्टिक बैग में सील कर दें। अब इस सीलबंद पैकेट को एक बड़े प्लास्टिक बैग में रखें। साथ में बर्फ के कुछ टुकड़े भी डाल दें। इस पैकेट को लेकर मरीज के साथ प्लास्टिक सर्जन तक पहुंचाने की कोशिश करें। मुमकिन है तो एक प्लास्टिक बैग में बर्फ रखकर उसके अंदर दूसरे प्लास्टिक बैग में अंग को रखें। 2 घंटे के भीतर सर्जरी हो जाए तो अंग के वापस जुड़ने के काफी आसार रहते हैं।
- मरीज को पानी पिलाने या कुछ खिलाने की कोशिश न करें। वह पानी मांगे तो भी न दें क्योंकि ऐसा करने से अंदरुनी चोटों को नुकसान हो सकता है। साथ ही, उलटी हो सकती है, जिसके सांस की नली में जाने पर सांस रुकने की आशंका होती है।
नोट: अगर शरीर में कोई बड़ी चीज घुस गई है जैसे कि बड़ी कील, रॉड या चाकू आदि तो उसे निकलने की कोशिश बिल्कुल न करें। ऐसा करने से जख्म गहरा हो जाता है और ज्यादा खून बहने से मरीज के लिए खतरा बढ़ जाता है। साथ ही डॉक्टर के लिए भी दिक्कत होती है।
जल जाना
-सबसे पहले जले हुए हिस्से को 5-10 मिनट या तब तक ठंडे पानी में रखें, जब तक कि जलन कम न हो जाए। नल के बहते पानी में भी रख सकते हैं लेकिन पानी ठंडा होना चाहिए। ठंडे पानी में टॉवल भिगोकर उसे भी जले हिस्से पर रख सकते हैं।
- जले हिस्से को बर्फ वाले पानी में न रखें वरना उस हिस्से का तापमान बहुत गिर सकता है और ब्लड सप्लाई कम होने से नुकसान ज्यादा हो सकता है। साथ ही, सर्दी-जुकाम भी हो सकता है।
- फिर उस हिस्से को साफ कपड़े से हल्के हाथ से पोंछ लें। हल्का जला है तो कोई भी मॉश्चराइजिंग लोशन लगाकर छोड़ सकते हैं।
- अगर ज्यादा लाल हो गया है या छाले पड़ गए हैं तो छालों को फोड़ें नहीं। इनके ऊपर सिल्वर सल्फाडाइजीन (Silver Sulfadiazine) क्रीम लगाएं जो कि एलोरेक्स (Alorex), बर्निल (Burnil), हील (Heal), सिल्वरेक्स (Silverex) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है। फिर चोट को खुला छोड़ दें या फिर हल्की पट्टी बांध दें।
- दर्द ज्यादा हो तो पेनकिलर की एक टैब्लेट दे सकते हैं।
- किसी घर या ऑफिस में आग लग जाए और फौरन बाहर निकल पाने की स्थिति में न हों तो जमीन पर लेट जाएं। चूंकि धुआं ऊपर की तरफ उठता है तो खड़े रहने से घुटन और सांस न ले पाने की समस्या पैदा हो सकती है।
- अगर किसी के शरीर में आग लग गई हो तो पानी आदि न डाल कर कंबल या मोटे कपड़े में उसे लपेट कर आग बुझाने की कोशिश करें।
- फिर पीड़ित को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर जल्द-से-जल्द शरीर से कपड़े निकाल दें। जूलरी भी निकाल दें। इससे शरीर को कम नुकसान होगा।
- अगर जख्म ज्यादा हो तो हॉस्पिटल ले जाने तक उस पर ठंडा पानी डालते रहें ताकि जख्म गहरा न हो जाए।
नोट: जख्म पर टूथपेस्ट या किसी तरह का तेल लगाने की गलती न करें। इससे जख्म की स्थिति गंभीर हो सकती है और डॉक्टर को जख्म साफ करने में भी दिक्कत होगी।
किसी जानवर/कीट का काटना
कुत्ते या बंदर का काटना
- अगर किसी को कुत्ते या बंदर ने काट लिया है तो सबसे पहले पानी से खूब अच्छी तरह धोएं। फिर साबुन लगा कर धोएं। वहां पट्टी कतई न बांधें।
- अगर स्किन पर खरोंच या एक या दो दांतों के निशान भी दिखाई पड़ते हैं, तो भी 24 घंटे के अंदर एंटी-रैबीज इंजेक्शन लगवाना जरूरी है क्योंकि रैबीज का वायरस बरसों बाद भी ऐक्टिव हो सकता है और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
- एंटी-रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए अपने फैमिली डॉक्टर या जनरल फिजिशन से मिलें।
-अगर जख्म गहरा हो तो ऐक्टिव वैक्सिनेशन के तहत दो इंजेक्शन फौरन लगते हैं। इसमें एंटी-रैबीज सीरम को पहले मसल्स (बाजू या हिप्स) में और जहां कुत्ते, बिल्ली या बंदर ने काटा हो, इंजेक्शन के जरिए वहां डाला जाता है।
- इसके बाद पैसिव वैक्सिनेशन होता है, जिसमें 5 इंजेक्शन एक खास टाइम पीरियड में लेने होते हैं। पहला इंजेक्शन उसी दिन, दूसरा काटने के तीसरे दिन, तीसरा काटने के सातवें दिन, चौथा काटने के 14वें दिन और पांचवां काटने के 28वें दिन लगता है।
सांप का काटना
- घबराएं नहीं। काटे हुए हिस्से के आसपास के कपड़े और जूलरी हटा दें जिससे सूजन आने पर वे अटकें नहीं।
- घाव को पानी और साबुन या एंटी-सेप्टिक सलूशन (सेवलॉन, डिटॉल, आफ्टरशेव लोशन आदि) से अच्छी तरह से साफ करें। फिर उसे साफ कपड़े से ढक दें ताकि इन्फेक्शन न हो।
- उस हिस्से पर किसी भी किस्म का दबाव बनाकर जहर निकालने की कोशिश न करें, न ही कोई चीरा लगाएं।
- जहां काटा है, वहां से करीब दो-ढाई इंच ऊपर प्रेशर बैंडेज या रस्सी या किसी कपड़े से टाइट बांध दें। इससे उस हिस्से में खून का दौरा धीमा पड़ जाएगा और खून के जरिए जहर फैलने की आशंका कम हो जाएगी। ध्यान रहे कि इतनी मजबूती से न बांधें कि ब्लड-सर्कुलेशन पूरी तरह बंद हो जाए।
- मरीज को इस पोजिशन में रखें कि काटा हुआ हिस्सा हार्ट से नीचे के लेवल पर रहे।
- अगर मुंह से झाग आ रहा हो तो उसके दांतों के बीच रुमाल को तह करके लगाएं ताकि जीभ न कटे।
- उससे बात करते रहें ताकि वह होश में रहे। साथ ही सांत्वना भी देते रहें वरना उसे घबराहट हो सकती है, ब्लड प्रेशर लेवल गड़बड़ा सकता है और यहां तक कि हार्ट अटैक भी हो सकता है।
- इसके बाद पीड़ित शख्स को जल्द-से-जल्द अस्पताल ले जाएं, जहां एंटी-वेनम इंजेक्शन देकर इलाज किया जाता है।
नोट: एंटी-वेनम इंजेक्शन एक ही लगता है। एंटी-रैबीज़ की तरह इसका कोर्स नहीं होता। अगर जिस सांप ने काटा है, उसे मार दिया गया है तो उसे भी डॉक्टर के पास ले जाएं। इससे डॉक्टर को इलाज करने में आसानी होगी।
चूहे/छिपकली/बिच्छू/ ततैया का काटना
- बिच्छू/चूहे/ततैया आदि ने जहां काटा है, उस जगह को एंटी-सेप्टिक सलूशन (सेवलॉन, डिटॉल, आफ्टरशेव लोशन आदि) या साबुन से अच्छी तरह साफ कर लें।
- एंटी-एलर्जिक दवाओं जैसे कि सिट्रिजिन (Cetirizine) जोकि सिट्रिजिन, एल्सेट (Alcet), बीटा गुड (Beta Good) ले सकते हैं। इससे डंक का असर खत्म हो सकता है। हालांकि दवा कितनी मात्रा में लेनी है, यह डॉक्टर से पूछ लें तो बेहतर है वरना नुकसान भी हो सकता है।
- छिपकली के काटने से कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि जहर छिपकली के ग्लैंड्स में नहीं, स्किन में होता है। छिपकली अगर आपके ऊपर गिर जाए तो उससे भी कोई नुकसान नहीं है। हां, छिपकली अगर आपके खाने-पीने के सामान में गिर जाए मसलन दूध, पानी या गर्म सब्जी आदि तो नुकसान होता है क्योंकि छिपकली की स्किन का जहर आसानी से इन चीजों में घुल जाता है।
-छिपकली गिरा खाना खा लेते हैं तो मुंह में उंगली डालकर उलटी करें और फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
नोट: ततैया या मधुमक्खी के काटने पर लोहा घिसने या अचार बांधने जैसी नीम-हकीमी न करें, इससे इन्फ़ेक्शन का खतरा बढ़ता है। कई बार मधुमक्खी के काटने से तेज एलर्जिक रिऐक्शन एनाफायलैक्सिस (Anaphylaxis) हो सकता है। इसमें भयंकर सूजन और दर्द होता है। ऐसे में फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
हार्ट की समस्या
हार्ट अटैक जैसी स्थिति में अगर वक्त पर मदद मिल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। लेकिन इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि दिल की क्या बीमारी हो सकती है। उसी के मुताबिक फर्स्ट एड करें।
एंजाइना
- अगर छाती के बीच दर्द हो, सीने में भारी दबाव महसूस हो, घबराहट हो, सांस रुकती-सी लगे, आराम करने पर दर्द खत्म हो जाए तो एंजाइना का दर्द हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले मरीज को आराम करने को कहें।
- ग्लाइसिरल ट्राइनाइट्रेट (Glyceryl Trinitrate) वाली 5 एमजी की गोली जीभ के नीचे रख लें। यह मार्केट में सॉरबिट्रेट (Sorbitrate) और आइसोर्डिल (Isordil) आदि ब्रैंड नेम नाम से मिलती है। यह फौरी राहत के लिए है। इसके बाद डॉक्टर को जाकर मिलें।
हार्ट अटैक
- अगर सीने के बीचो-बीच तेज दर्द हो जोकि लेफ्ट बाजू की तरफ बढ़ता महसूस हो, बहुत ज्यादा घबराहट हो, बेचैनी के साथ पसीना आए और आराम करने पर भी दर्द कम न हो हार्ट अटैक हो सकता है।
- मरीज को एस्प्रिन (Aspirin) की एक टैब्लेट दें। यह एस्प्रिन, डिस्प्रिन (Disprin), इकोस्प्रिन (Ecospirin) आधी चबाने के लिए दें और आधी जीभ के नीचे रखें। जो चबाएंगे वह पेट से जज्ब होगी और जीभ के नीचे वाली सलाइवा ( लार) के जरिए खून के अंदर जाएगी। इससे असर जल्दी होगा।
- इसके बाद मरीज को ऐसे अस्पताल में ले जाएं जहां सीसीयू (कोरोनरी केयर यूनिट) की सुविधा हो।
- अगर आपके पास कोई सवारी नहीं है या मदद के लिए कोई नहीं है तो एंबुलेंस को कॉल कर दें। इस बीच डॉक्टर से फोन पर बात कर उसे मरीज की सेहत की जानकारी दें।
- मरीज ने अगर टाई और बेल्ट बांध रखी है तो उसे खोलें। देखें कि मरीज ने शरीर पर टाइट होनेवाला कोई कपड़ा न पहना हो। उसके जूते खोलें और मोजे भी निकाल दें।
- मरीज को कुछ खिलाने-पिलाने की कोशिश न करें।
कार्डिएक अरेस्ट
- कार्डिएक अरेस्ट में मरीज का बीपी अचानक गिर जाता है और वह लड़खड़ाकर जमीन पर गिर जाता है। दिल की धड़कन एकदम तेज या बेकाबू होकर एकदम रुक जाती है। ऐसे में फौरन सीपीआर की जरूरत होती है। शुरुआती 10 मिनट के अंदर सीपीआर करना जरूरी है। हर मिनट के साथ बचने के चांस 10 फीसदी कम होते जाते हैं।
- मरीज को आराम से जमीन पर लिटा दें। इस काम को बेड पर नहीं करते। गर्दन को हल्का खींच कर सिर को थोड़ा ऊपर कर लें ताकि जीभ अंदर न गिरे। मरीज को हवा आने दें।
- इसके बाद फौरन सीपीआर शुरू करें। सीपीआर तब ही दें, जब सांस आना बंद हो जाए और नब्ज भी न मिले।
- मरीज के पास घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को मरीज की छाती के बीचो-बीच रखकर तेजी से सीपीआर करें।
- सीपीआर कैसे करें, देखें: yt.vu/O_49wMpdews
- अगर सीपीआर से मरीज की सांसें वापस आ जाती हैं तो इसके बाद उसे फौरन पास के हॉस्पिटल ले जाएं।
ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाना
- अगर नीचे वाला ब्लड प्रेशर 110 और ऊपर वाला 200 से ऊपर चला जाए तो मरीज को एम्लोडिपिन (Amlodipine) की 5 एमजी की एक टैब्लेट देनी चाहिए। यह मार्केट में एस-न्यूमलो (S-Numlo), एम्लोवास (Amlovas), एम्लोगार्ड (Amlogard) नाम से मिलती है। 15 मिनट बाद फिर से ब्लड प्रेशर चेक करें। अगर ब्लड प्रेशर नीचे नहीं आया तो फिर से 5 एमजी की एक गोली दें। इसके बाद मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं।
नोट: ब्लड प्रेशर की कोई भी दवा बिना ब्लड प्रेशर चेक किए न दें। बेहतर है कि दवा डॉक्टर की सलाह पर ही लें। ये दवाएं उन्हीं के लिए हैं, जिन्हें ब्लड प्रेशर की पहले से समस्या है।
ब्लड प्रेशर अचानक गिर जाना
- मरीज के पैरों को थोड़ा ऊपर कर लिटा दें। इससे ब्रेन में खून का दौरा बढ़ जाता है। फिर डॉक्टर के पास जाएं।
- ऐसे में सॉर्बिट्रेट न दें, वरना ब्लड प्रेशर और गिर सकता है।
- कुछ लोग कहते हैं कि मरीज को कॉफी या चॉकलेट आदि देनी चाहिए लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन सबका कोई फायदा नहीं है। उलटे इन सबके चक्कर में समय बर्बाद हो जाता है। इसके बजाय सीधे डॉक्टर के पास जाएं।
चोकिंग यानी सांस नली में खाना फंस जाना
- खाने या पीने के दौरान सांस की नली में एक छोटा-सा कण भी फंस जाए तो मरीज न तो सांस ले पाता है और न कुछ बोल ही पाता है क्योंकि आवाज भी सांस की नली के जरिए ही आती है।
- बच्चे भी कई बार खाने की किसी चीज का बड़ा हिस्सा या सिक्का आदि निगल लेते हैं।
- सांस न आने से मरीज बेहद बेचैन, परेशान और घबरा जाता है। उसके गले से अजीब-सी आवाज निकलती है। अगर सही मदद न मिले तो मरीज के नाखून नीले पड़ने लगते हैं और होंठ सूखने लगते हैं। कभी-कभी मरीज बेहोश भी हो जाता है।
- यह तय हो जाए कि मरीज की सांस की नली में कुछ फंसा है तो सबसे पहले कमर के ऊपरी हिस्से के बीच में मुट्ठी बना कर धीमे-धीमे मुक्के मारना चाहिए। एक हाथ उसके माथे पर लगाकर रखें ताकि झटका न लगे। अगर फायदा नहीं हो तो हेमलिच मैनुवर (Heimlich Maneuver) करें। मरीज को बता भी दें कि आप ऐसा करने वाले हैं।
कैसे करें हेमलिच मैनुवर
- अपने दोनों पैरों में थोड़ा फासला रखते हुए मरीज के पीछे रखे हो जाएं और उसे हल्का झुकने को करें। फिर उसे पीछे से दोनों हाथों से पकड़ लें।
- आपके दोनों हाथ उसके सीने के एकदम नीचे और नाभि से ऊपर होने चाहिए।
- फिर जोर से उसके पेट के ऊपर वाले हिस्से को भीचें। फिर छोड़ें। जैसे कि आप उसे उठाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा जल्दी-जल्दी लगातार 5 बार करें। अगर फंसी हुई चीज अब भी नहीं निकली तो एक राउंड यानी 5 बार फिर से करें।
- मरीज अगर गिर गया है तो उसे कमर के बल लिटाकर भी इस प्रक्रिया को कर सकते हैं। हेमलिच मैनुवर करने के अलग-अलग तरीके पढ़ें: goo.gl/oe5asa, देखें विडियो: y2u.be/SwJlZnu05Cw
- ऐसा करने से कई बार गले में फंसी चीज सामान झटके से बाहर आ जाती है। अगर फिर भी न निकले तो मेडिकल हेल्प आने तक कोशिश करते रहें लेकिन 20-25 मिनट से ज्यादा इंतजार न करें। बेहतर है कि मरीज को हॉस्पिटल ले जाएं।
नोट: गले के अंदर हाथ डालकर फंसी हुई चीज को निकालने की कोशिश न करें। समस्या बढ़ सकती है।
अस्थमा का अटैक पड़ना
- मरीज की जेब या बैग टटोलें और अगर इनहेलर है तो उसे फौरन इसे इस्तेमाल करने को कहें।
- मरीज के कपड़े ढीले कर दें ताकि वह रिलैक्स हो सके। मरीज के आसपास भीड़ न लगाएं और शांत रहें।
- मरीज को सीधा बिठाएं, अस्थमा अटैक के दौरान मरीज को लिटाना कतई नहीं चाहिए।
- कुछ खिलाने-पिलाने की कोशिश न करें। खाना-पानी सांस की नली में फंस सकता है और हालत ज्यादा बिगड़ सकती है।
- अगर मरीज बोल सकने की स्थिति में नहीं है तो जितनी जल्दी हो सके तो पास के अस्पताल जाने की कोशिश करें।
मिर्गी का दौरा पड़ जाना
- मरीज को आराम से करवट के बल लिटा लें। ऐसा करने से मुंह से निकलनेवाला थूक आदि फेफड़ों में नहीं जाता।
- दौरे से जीभ कटने का खतरा भी रहता है इसलिए पहले मरीज के दांतों के बीच रुमाल को फोल्ड करके रखें।
- मरीज अक्सर 4-5 मिनट में होश में आ जाता है इसलिए बहुत घबराने की बात नहीं है। बस बेहोशी के हालत में कुछ खिलाना-पिलाना नहीं है।
- मरीज को जूता न सुंघाएं, न ही मारपीट करें। न ही उसके दांतों में उंगली या चम्मच आदि डालें।
http://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/just-life/know-abo...