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जानें किन कारणों से फैलता है टीबी रोग और किसे होता है ज्यादा खतरा
टीबी या ट्यूबरक्यूलोसिस फेफड़ों से जुड़ा एक खतरनाक रोग है। भारत में टीबी के मरीजों की संख्या लाखों में है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद हर साल लाखों लोग इस गंभीर बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। टीबी को क्षय रोग या तपेदिक भी कहते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु की वजह से होती है। यह बीमारी पीड़ित व्यक्ति द्वारा हवा के माध्यम से फैलती है।
कैसे फैलता है टीबी रोग?
टीबी के बैक्टीरिया आपकी सांस के साथ फेफड़े में पहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। इनके संक्रमण के कारण फेफड़े में छोटे-छोटे जख्म बन जाते हैं जिसका पता एक्स-रे द्वारा लगाया जा सकता है। अगर आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम है तो टीबी के बैक्टेरिया की शरीर पर अटैक करने की संभावना बढ़ जाती है। रोगियों के फेफड़ों या लिम्फ ग्रंथियों में टीबी के बैक्टीरिया पाए जाते हैं।
इन लक्षणों के दिखने पर हो जाएं सावधान
ज्यादातर रोगियों में रोग के लक्षण नहीं उत्पन्न होते लेकिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर रोग के लक्षण जल्दी दिखाई देने लगते हैं और मरीज पूरी तरह रोगग्रस्त हो जाता है। फिर भी इन लक्षणों से आप टीबी की पहचान कर सकते हैं।
दो सप्ताह से ज्यादा लगातार खांसी आना
हल्का बुखार तथा हरारत रहना
भूख न लगाना या कम लगना
तथा अचानक वजन कम हो जाना
सीने में दर्द रहना
थकावट तथा रात में पसीने आना
कमर की हड्डी में सूजन
घुटने में दर्द
घुटने मोड़ने में कठिनाई
गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना
किसे होता है टीबी का ज्यादा खतरा
क्षय रोग उन लोगों को होने की संभावना ज्यादा होती है जिनके खान-पान तथा रहन-सहन का तरीका सही नहीं होता है .इन खराब आदतों के कारण शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाते हैं और शरीर में धीरे-धीरे रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
क्षय रोग का शरीर में होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना है.
क्षय रोग के लक्षण तब व्यक्ति के शरीर में पाए जाते हैं जब रोगी अपने कार्य करने की शक्ति से अधिक कार्य करता है।
अधिक गीले स्थान पर रहने तथा धूल भरे वातावरण में रहने के कारण भी क्षय रोग हो जाता है।
प्रकाश तथा धूप की कमी के कारण तथा भोजन सम्बंधी खान-पान में अनुचित ढंग का प्रयोग करने के कारण भी क्षय रोग हो सकता है।
आसान है टीबी का इलाज
सीने के एक्सरे तथा थूक व बलगम की जांच से टीबी का पता लग जाता है। रोग का निदान हो जाने पर एंटीबायोटिक्स व एंटीबैक्टीयल दवाओं द्वारा उपचार किया जाता है। रोगी को लगातार 6 से 9 महीने तक उपचार लेना पड़ता है। दवाओं के सेवन में अनियमितता बरतने पर इस रोग के बैक्टीरिया में रोग के