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मर्जरी आसन
जीवन के किसी भी पड़ाव में, चाहे बचपन हो, जवानी हो या फिर बुढ़ापा, इंसान खुशी व आनन्द की अनुभूति तब तक ही प्राप्त कर सकता है जब तक वो शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ है। शारीरिक क्षमता व मानसिक संतुलन बनाये रखने में योगाभ्यास काफी सहायक है। आसन व प्राणायाम शरीर को सक्रिय, शक्तिशाली एवं ऊर्जावान बना जीवन के हर क्षेत्र में सुन्दर प्रभाव डालते हैं। यौगिक क्रियाएँ शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से शरीर को ताकतवर, सुदृढ़ व सुन्दर बनाती हैं। आईये जाने इसे करने की विधि व लाभों के बारे में।
ध्यान दें:
- आसन करते समय बाजू सीधी रखें।
- शरीर को आगे-पीछे न करें।
- हाथों व घुटनों पर कम दबाव व पीठ, कमर पर अधिक ध्यान दें।
विधि:
- समतल ज़मीन पर आसन बिछाकर वज्रासन में बैठ जायें।
- घुटनों पर खड़े हो जायें व घुटनों एवम् पैरों को 10‘‘-12‘‘ के बराबर खोल लें।
- शरीर को कमर से आगे की तरफ झुकाते हुये व बाजुओं को सीधा रखते हुये हाथों को ज़मीन पर टिका दें जिससे शरीर का पूरा भार हाथों व घुटनों पर आ जाएँ।
- धीरे-धीरे श्वांस भरते हुये व चेहरे को ऊपर उठाते हुए आकाश की ओर देखने की कोशिश करें व कमर को नीचे की तरफ करें।
- 5 सैकेन्ड रुकने के बाद श्वास छोड़ते हुये चेहरे को नीचे लाते हुये पेट की ओर देखने की कोशिश करें व पीठ को यथाशक्ति ऊपर की ओर उठायें।
- इस प्रक्रिया को अपनी क्षमतानुसार 5-10 बार दोहरायें।
मर्जरी आसन के लाभ:
- तनाव कम करता है।
- मन व उत्तेजना को शान्त करता है।
- पाचन शक्ति को बढ़ाता तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
- रक्त संचार बेहतर करता है।
- कमर व पीठ की मांसपेशियों को लचीला व पुष्ट करता है।
- पेट की चर्बी कम कर उसे सुडौल बनाता है।
विशेष सावधानियाँ:
किसी भी आसन को करने से पूर्व अपने डॉक्टर से परामर्श करने के पश्चात् योग्य शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें। कमर, घुटनों, कंधों या पैरों में तकलीफ के रहते इस आसन को न करें। सर्वाइकल के रोगी आसन के दौरान श्वांस छोड़ते समय गर्दन को अधिक नीचे न करें।