भाषा चोर जिनकी कभी कोई भाषा ही नही थी वो आज विश्व के सिरमौर बन बैठे

भाषा चोर जिनकी कभी कोई भाषा ही नही थी वो आज विश्व के सिरमौर बन बैठे

भाषा चोर जिनकी कभी कोई भाषा ही नही थी वो आज विश्व के सिरमौर बन बैठे

संस्कृत के चोर अंग्रेज

मनु = मैन
पितर = फादर
मातर = मदर
भ्रातर =ब्रदर
स्वसा = सिस्टर
दुहितर = डाटर
सुनु = सन
विधवा = विडव्
अहम् = आई एम
वामा = वुमेन
षट = six
खाट = Cot
शत = cent
चक्र = circle 
चरित्र = कैरेक्टर 
पथ = पाथ 
मूष = माउस
ऋत =राइट
स्वेद = स्वेट (पसीना )
अंतर =अंडर (नीचे ,भीतर )
द्यौपितर = जुपिटर (आकाश , बृहष्पति)
पशुचर =पाश्चर (चरवाहा )
दशमलव =डेसिमल
ज्यामिति = ज्योमेट्री
पथ =पाथ (रास्ता )
नाम =नेम
वमन=vomity=उल्टी करना
द्वार > डोर (door)
हृत > हार्ट (heart)
द्वि > two
त्रि > three
पञ्च > penta > five
सप्त > hept > seven
अष्ट > oct > eight
नव > non > nine
दश > deca > ten
दन्त > dent
शुतुरमुर्ग > ostrich
गौ > cow
गम् > go
स्था > stay
अक्ष- axis
सप्त अम्बर- september
अष्ट अम्बर- october
नबं अम्बर- november
दशं अम्बर- december
इससे यह भी पता चलता है
की december
12वाँ नहीं 10वाँ महीना है
जो हिन्दी महीनों के अनूरूप है।
एक और शब्द है,
रथ - rad (जर्मन में पहिये को rad कहते है)
इसी से radius बना है।

संस्कृत ही मूल भाषा है, अन्य
सभी उसके अपभ्रंश एवं विकृत रूप हैं।

इसलिए संस्कृत पर आइये और अपनी आनेवाली पीढी को 
भारत की और विश्व की इस सनातन भाषां को पढाईये
।।जयति जयति सनातन संस्कृति।।
।।जयति जयति पुण्य भूमि भारत।।
।। जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्र ।।

 

 

 

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