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ब्रिटेन में होम्योपैथी का विरोध
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ब्रिटेन के सांसदों ने कहा है कि सरकार को होम्योपैथिक इलाज के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
होम्योपैथी को सरकारी सहायता देना बंद करने की ये सिफ़ारिश ब्रिटिश संसद की विज्ञान और तकनीकी समिति की रिपोर्ट में की गई है. समिति के सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि होम्योपैथिक दवाएँ ऐसे पदार्थों की तरह हैं जो ऐसे मरीज़ों को दिए जाते हैं जिन्हें दवा की ज़रूरत नहीं होती लेकिन जिन्हें लगता है कि उन्हें दवा चाहिए.
समिति ने साथ ही सिफ़ारिश की है कि इन दवाओं के निर्माताओं को बिना प्रमाण के दवाओं के प्रभावकारी होने का दावा करने से रोका जाना चाहिए.
लेकिन होम्योपैथिक दवा निर्माताओं और इसके समर्थकों ने रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सांसदों ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की है.
होम्योपैथी और ब्रिटेन
होम्योपैथी दो सौ साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है जिसमें तत्वों के अत्यंत तनु या फ़ीके द्रव्यों को खिलाकर चिकित्सा की जाती है.
समझा जाता है कि ब्रिटेन में सरकार होम्योपैथी पर हर साल लगभग 40 लाख पाउंड ख़र्च करती है.
ब्रिटेन में लंदन, ब्रिस्टल, लिवरपूल और ग्लास्गो में होम्योपैथिक अस्पताल हैं.
मगर सांसदों का कहना है कि होम्योपैथी केवल मीठी गोलियाँ हैं जो केवल विश्वास के कारण काम करती हैं.
चिकित्सा क्षेत्र में समझा जाता है कि कई लोग इस कारण स्वस्थ हो जाते हैं क्योंकि उन्हें ये विश्वास होता है कि उनका किया जा रहा इलाज कारगर है.
सांसदों का कहना है कि इस तरह की चिकिस्ता का प्रभाव हमेशा ही अनिश्चित रहता है और ये चिकित्सा तंत्र के हिसाब से धोखेबाज़ी के समान है.
साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि इस पद्धति से रोग की असल पहचान में समस्या आ सकती है क्योंकि इसमें तकलीफ़ को ख़त्म किया जाता है, तकलीफ़ की जड़ का पता नहीं लगाया जाता.
मगर रिपोर्ट में ये स्वीकार किया गया कि आम लोगों में होम्योपैथी लोकप्रिय है और सर्वेक्षणों से पता लगता है कि इसका इस्तेमाल करनेवाले 70 प्रतिशत लोग इससे संतुष्ट हैं.
निराशा
सांसदों की रिपोर्ट को सांसदों की समिति के ही एक सांसद ने ख़ारिज़ कर दिया है.
लेबर सांसद इयन स्टीवर्ट ने कहा है कि सांसदों ने अपना मत बनाते समय इस बात का ख़याल नहीं किया कि होम्योपैथी कुछ लोगों के लिए कारगर रही है.
साथ ही उन्होंने गवाहों के संतुलन को लेकर भी चिंता जताई.
ब्रिटिश एसोशिएशन ऑफ़ होम्योपैथिक मैनुफ़ैक्चरर्स के प्रतिनिधि रॉबर्ट विल्सन ने रिपोर्ट पर निराशा जताते हुए कहा,"इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि होम्योपैथी काम करती है, उदाहरण के लिए जानवरों और बच्चों में, और ये मानसिक संतोष वाली बात उनपर लागू नहीं होती कि उन्हें दवा नहीं चाहिए लेकिन उन्हें लगता है कि उन्हें दवा चाहिए."
स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने कहा है कि सरकार आनेवाले महीनों में इस रिपोर्ट का उत्तर देगी.