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पेटेन्ट कैसे कराया जाता है |
किन परिस्थितियों में पेटेंट कार्यालय की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है?
व्यक्ति को निम्नलिखित परिस्थितियों में पेटेन्ट कार्यालय से पूर्व अनुमति लेना अपेक्षित हैः
क)आवेदन अनिवासी भारतीय हो और आविष्कार भारत में हुआ हो,
ख) आवेदक विदेश में पेटेंट-आवेदन जमा करने से पहले भारत में आवेदन करना नहीं चाहता हो,
ग) यदि आवेदक भारतीय नागरिक हो तो पेटेन्ट का आवेदन भारत में जमा कर दिया गया हो और उस तारीख से छह महीने का समय अभी व्यतीत न हुआ हो, तथा
घ) आविष्कार परमाणु ऊर्जा से अथवा रक्षा उद्देश्य से संबंधित हो।
क्या भारत के बाहर या विदेश में पेटेन्ट के लिए आवेदन जमा करने के लिए पेटेन्ट कार्यालय से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है?
सामान्यतः निम्नलिखित परिस्थितियों में विदेश में पेटेन्ट आवेदन जमा करने के लिए पेटेन्ट कार्यालय की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक नहीं हैः
क) जब आवेदक भारत का निवासी न हो और आविष्कार विदेश में हुआ हो।
ख) यदि आवेदक भारत का निवासी हो और भारत में पेटेन्ट आवेदन जमा किया गया हो तथा उस तारीख से छह महीने का समय बीत चुका हो।
ग) आविष्कार परमाणु ऊर्जा अथवा रक्षा के उद्देश्यों से संबंधित न हो।
अन्य परिस्थितियों में, पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। और अधिक विवरणों के लिए कृपया पेटेन्ट अधिनियम 1970 की धारा 39 देखें।
is required. For further details kindly refer to section 39 of the Patents Act, 1970
पेटेंटेयोग्य होने के लिए के मानदंड क्या हैं ?
किसी आविष्कार को पेटेंटयोग्य सामग्री होने के लिए निम्नलिखित मानदंड पूरे करने चाहिए
- i) यह नवीन होना चाहिए
- ii) इसमें आविष्कारी चरण होना चाहिए अथवा यह नॉन-ओबियस होना चाहिए।
- iii) उसमें इतनी क्षमता होनी चाहिए कि उसका औद्योगिक अनुप्रयोग हो सके।
- iv) यह पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3 और 4 के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आना चाहिए।
क्या पेटेन्ट एजेन्टों द्वारा अपनी सेवाओं के लिए वसूले गए शुल्क का पता पेटेन्ट कार्यालय लगाता है??
नहीं। यह आवेदक और पेटेन्ट एजेन्ट के बीच का मामला है। पेटेन्ट एजेन्ट जो शुल्क लेता है उसका पता लगाने में या उसमें मदद करने में पेटेन्ट कार्यालय की कोई भूमिका नहीं है।.
क्या पेटेन्ट कार्यालय पेटेन्ट की खोज करने अथवा पेटेन्ट आवेदन तैयार और निष्पादित करने के लिए पेटेन्ट अटर्नी अथवा एजेंट का चयन करने में मदद करता है?
नहीँ। पेटेन्ट कार्यालय पेटेन्ट एजेन्ट के चयन के लिए कोई संस्तुति नहीं करता। किन्तु आवेदक को स्वतंत्रता रहती है कि वह कार्यालय द्वारा तैयार की गई पेटेन्ट एजेंटों की सूची में से कोई भी पेटेन्ट एजेन्ट नियुक्त कर ले। यह सूची पेटेन्ट कार्यालय की वेबसाइट पर देखी जा सकती है।
क्या पेटेन्ट के लिए आवेदन करने के लिए किसी पंजीकृत पेटेन्ट एजेन्ट की सेवाएँ लेना आवश्यक है?
नहीं। पेटेन्ट कानून के अंतर्गत पेटेन्ट के लिए आवेदन करने के लिए किसी पंजीकृत पेटेन्ट एजेन्ट की सेवाएँ लेना आवश्यक नहीं है। आवेदक अपने-आप या पेटेन्ट एजेन्ट के माध्यम से आवेदन जमा करने के लिए स्वतंत्र है। किन्तु यदि कोई आवेदक भारत का नागरिक न हो तो उसे या तो पंजीकृत एजेन्ट के माध्यम से आवेदन जमा करना होता है या उसे तामील के लिए भारत का कोई पता देना होता है।
पेटेन्ट एजेन्ट से क्या आशय है और पेटेन्ट एजेन्ट बनने के पात्रता मानदंड क्या हैं?
पेटेन्ट एजेन्ट भारतीय पेटेन्ट कार्यालय में पंजीकृत व्यक्ति होता है, और पेटेन्ट कार्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसका नाम पेटेन्ट एजेन्ट रजिस्टर में दर्ज़ किया जाता है। वह निम्नलिखित के लिए पात्र होता है—
(a) नियंत्रक के यहाँ प्रैक्टिस करना और
(b)सभी दस्तावेज दैयार करना, समस्त कार्य एवं ऐसे प्रकार्य निष्पादित करना जो इस अधिनियम के अंतर्गत कंट्रोलर के यहाँ जारी प्रक्रिया के संबंध में निर्दिष्ट हों।
पेटेन्ट एजेन्ट के रूप में पंजीकरण की पात्रता शर्तें इस प्रकार हैं.-
कोई व्यक्ति यदि निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है तो वह पेटेन्ट एजेन्ट के रजिस्टर में अपना नाम लिखाने के लिए अर्ह होगा—
(क) वह भारत का नागरिक हो;
(ख) वह 21 वर्ष का हो चुका हो;
(ग) उसने विज्ञान, इंजीनियरिंग अथवा प्रौद्योगिकी में किसी ऐसे विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की हो जो इस समय प्रचलित कानून के अनुसार भारत की सीमा में स्थापित हो अथवा जिसके पास केन्द्र सरकार द्वारा इस बारे में विनिर्दिष्ट कोई समतुल्य योग्यता हो।
और साथ ही, जिसने—
(i) इस उद्देश्य से लिए निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण की हो; अथवा
(ii) कम से कम दस वर्ष तक या तो परीक्षक के रूप में काम किया हो या धारा 73 के अंतर्गत नियंत्रक का कामकाज देखा हो या दोनों काम किए हों, किन्तु अब ऐसे किसी पद पर न हो।
स्थगन के बाद पेटेन्ट को रिस्टोर कब किया जा सकता है?
पेटेन्ट के स्थगन के 18 महीने के भीतर उसके रिस्टोरेशन के लिए अनुरोध किया जा सकता है। सथा में निर्धारित शुल्क जमा करना होता है। अनुरोध मिलने के बाद मामले को आगे की कार्रवाई के लिए सरकारी जर्नल में अधिसूचित किया जाता है।
क्या पेटेन्ट करानेवाला नवीकरण शुल्क एकमुश्त अदा कर सकता है या उसे यह शुल्क हर वर्ष देना होता है??
The patentee has choice to pay the renewal fees every year or he can pay in lump sum as well.
पेटेन्ट मिलने के बाद पेटेन्ट करानेवाले के क्या दायित्व हैं?
पेटेन्ट मिलने के बाद हर पेटेन्ट करानेवाले को प्रत्येक वर्ष अनुसूची I में निर्धारित नवीकरण शुल्क अदा करके पेटेन्ट कायम रखना होता है। पहले दो वर्ष तक कोई नवीकरण शुल्क नहीं होता। नवीकरण शुल्क तीसरे वर्ष और उसके पश्चात् देय होता है। नवीकरण शुल्क अदा नहीं करने पर पेटेन्ट स्थगित हो जाएगा।
क्या पेटेन्ट आवेदन करने के लिए व्यक्तियों अथवा विधिक सत्ताओं द्वारा अदा किए जानेवाले शुल्क की राशि में कोई अंतर है?
हाँ। किसी व्यक्ति (प्राकृतिक व्यक्ति) के आवेदन जमा करने का शुल्क रु. 1,000/- है जबकि व्यक्ति से इतर किसी विधिक सत्ता के आवेदन जमा करने का शुल्क 10 दावों और 30 पृष्ठों तक रु. 4,000/- है। किन्तु यदि पृष्ठों की संख्या 30 से अधिक हो तो प्राकृतिक व्यक्ति को हर अतिरिक्त पृष्ठ के लिए रु. 100/- और प्राकृतिक व्यक्ति से इतर व्यक्ति को प्रति पृष्ठ रु. 400/- अदा करने होंगे। इसी प्रकार यदि दावों की संख्या 10 से अधिक हो तो प्राकृतिक व्यक्ति को प्रत्येक अतिरिक्त दावे के लिए रु. 200/- तथा प्राकृति व्यक्ति से इतर व्यक्ति को प्रत्येक अतिरिक्त दावे के लिए रु. 800/- अदा करने होंगे।
पेटेन्ट की मियाद कितनी होती है?
भारत में हर पेटेन्ट की मियाद पेटेन्ट आवेदन जमा करने की तारीख से 20 वर्ष तक होती है, चाहे वह अनन्तिम रूप से जमा किया गया हो या पूरे ब्यौरों के साथ। किन्तु पीसीटी के अंतर्गत जमा किए गए आवेदनों के मामले में 20 वर्ष की अवधि अंतरराष्ट्रीय आवेदन-तारीख से शुरू होती है।
कोई यह कैसे जान सकता है कि कोई आविष्कार पहले से पेटेन्टेड है या नहीं?
संबंधित व्यक्ति पेटेन्ट कार्यालय की वेबसाइट पर इंडियन पेटेन्ट डाटा बेस में प्रदत्त पेटेन्ट के अंतर्गत अथवा पेटेन्ट कार्यालय द्वारा हर सप्ताह जारी जर्नल में अथवा पेटेन्ट कार्यालय के सर्च व रिफरेन्स रूम में रखे दस्तावेजों को देख एक प्राथमिक सर्च कर सकता है, जिसमें भारतीय पेटेन्टों की जानकारी अंतरराष्ट्रीय पेटेन्ट वर्गीकरण प्रणाली के साथ-साथ, क्रम संख्या के अनुसार दी गई रहती है। यह आम जनता के लिए सोमवार से शुक्रवार तक खुलता है और राजपत्रित छुट्टियों में बंद रहता है। जनता पेटेन्ट कार्यालय की वेबसाइट पर निश्शुल्क सर्च भी कर सकती है। संबंधित व्यक्ति इस तरह की जानकारी के अधिनियम की धारा 153 के तहत भी अनुरोध कर सकते हैं।
क्या पेटेन्ट कार्यालय पेटेन्ट के उपयोगकर्ता खोजने में मदद करता है?
पेटेन्ट के वाणिज्यीकरण में पेटेन्ट कार्यालय की कोई भूमिका नहीं होती। किन्तु पेटेन्ट संबंधी जानकारी पेटेन्ट कार्यालय के जर्नल में छापी जाती है और पेटेन्ट कार्यालय की वेबसाइट पर भी डाली जाती है, जो पूरी दुनिया में आम आदमी की पहुँच में है। इससे निश्चय ही आवेदक को लाइसेन्स के भावी उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने में मदद मिलती है। पेटेन्ट कार्यालय ऐसे पेटेन्टों की सूची भी तैयार करता है, जिनका भारत में वाणिज्यिक रूप से इस्तेमाल नहीं होता।
पेटेन्ट मिलने से पहले किसी उत्पाद पर "पेटेन्ट लंबित" या "पेटेन्ट आवेदित" अंकित करना कितना उपयोगी है?
पेटेन्ट के लिए आवेदन जमा करने के बाद किसी उत्पाद पर "पेटेन्ट लंबित" या "पेटेन्ट आवेदित" अंकित करने का आशय जनता को सूचित करना है कि पेटेन्ट के लिए आवेदन पेटेन्ट कार्यालय में लंबित है। किन्तु इन शब्दों का कोई विधिक महत्त्व नहीं है। पेटेन्ट मिलने के बाद ही उसके उल्लंघन को रोकने की कार्रवाई की जा सकती है।