ओशो – ध्यानी का आहार
Submitted by Anand on 24 December 2019 - 6:00amमनुष्य एक अकेली प्रजाति है जिसका आहार अनिश्चित है। अन्य सभी जानवरों का आहार निश्चित है। उनकी बुनियादी शारीरिक जरूरतें और उनका स्वभाव फैसला करता है के वे क्या खाते हैं और क्या नहीं; कब वे खाते हैं और कब उन्हें नहीं खाना होता है। किन्तु मनुष्य का व्यवहार बिलकुल अप्रत्याशित है, वह बिल्कुल अनिश्चितता में जीता है। न ही तो उसकी प्रकृति उसे बताती है कि उसे कब खाना चाहिए, न उसकी जागरूकता बताती है कि कितना खाना चाहिए, और न ही उसकी समझ फैसला कर पाती है कि उसे कब खाना बंद करना है|
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