ओशो सक्रिय ध्यान

ओशो स्टाॅप मेडिटेशन

तुम कहीं भी इसका प्रयोग कर सकते हो। तुम स्नान कर रहे हो; अचानक अपने को कहो: स्टॉप! अगर एक क्षण के लिए भी यह एकाएक रुकना घटित हो जाए तो तुम अपने भीतर कुछ भिन्न बात घटित होते पाओगे। तब तुम अपने केंद्र पर फेंक दिए जाओगे। और तब सब कुछ ठहर जाएगा। तुम्हारा शरीर तो पूरी तरह रुकेगा ही, तुम्हारा मन भी गति करना बंद कर देगा। Read More : ओशो स्टाॅप मेडिटेशन about ओशो स्टाॅप मेडिटेशन

ध्यान विधि : - ओशो

" ध्यान चेतना की विशुद्ध अवस्था है-जहां कोई विचार नहीं होते, कोई विषय नहीं होता। साधारणतया हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, कामनाओं से आच्छादित रहती है। जैसे कि कोई दर्पण धूल से ढंका हो। हमारा मन एक सतत प्रवाह है- विचार चल रहे हैं, कामनाएं चल रही हैं, पुरानी स्मृतियां सरक रही हैं- रात-दिन एक अनवरत सिलसिला है। नींद में भी हमारा मन चलता रहता है, स्वप्न चलते रहते हैं। यह अ-ध्यान की अवस्था है। ठीक इससे उलटी अवस्था ध्यान की है।जब कोई विचार नहीं चलते और कोई कामनाएं सिर नहीं उठातीं, सारा ऊहापोह शांत हो जाता है और हम परिपूर्ण मौन में होते हैं-वह परिपूर्ण मौन ध्यान है। और उसी परिपूर्ण मौन में सत्य Read More : ध्यान विधि : - ओशो about ध्यान विधि : - ओशो

आज के युग मे ओशो सक्रिय ध्यान

आज के युग मे ओशो सक्रिय ध्यान

आज के युग मे ओशो सक्रिय ध्यान एक ऐसा ध्यान है जो शरीर ओर मन दोनो को रिलेक्स करता है ओर नई शक्ति को जगाता है ओर कई शारीरीक मानसिक बिमारियों से तुरन्त छुटकारा दिलाता है पतंजलि ने पांच हजार साल पहले योग और ध्यान की विधियां जिस 'आदमी' के लिए दी थीं, वह 'आदमी' अब नहीं है। जैसा आदमी आज इंटनेट के इस युग में अंधी विकास की दौड़ में जिस प्रतिस्पर्धा व तनाव को जी रहा है, ऐसा आदमी जमीन पर पहले कभी भी नहीं था।यह बड़ी नई घटना है। इस नई घटना को सोचकर ओशो ने ध्यान की कुछ नई पद्धतियों का समावेश किया है। इसके पहले कि आप ध्यान में उतरें, आपके तनावों व दमन का रेचन यानी उनका हट जाना जरूरी है। आज अष्‍टांग योग के Read More : आज के युग मे ओशो सक्रिय ध्यान about आज के युग मे ओशो सक्रिय ध्यान