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स्त्री-पुरूष जोड़ों के लिए नाद ब्रह्म ध्यान
ओशो ने इस विधि का एक भिन्न रूप जोड़ों के लिए दिया है। स्त्री और पुरूष आमने सामने बैठ जायें। और अपने हाथ क्रॉस करके एक दूसरे के हाथों को पकड ले। फिर पूरे शरीर को एक बड़े कपड़ से ढंक लेते है। यदि वे निर्वस्त्र हो तो और भी अच्छा होगा। कमरे में मंद प्रकाश जैसे छोटी-छोटी चार मोमबत्तियाँ जल रही हों। केवल एक ध्यान के लिए अलग से रखी एक अगरबत्ती का उपयोग कर सकते है।
आंखे बंद कर लें और तीस मिनट तक एक साथ, भौंरे की गुंजार करें। कुछ ही समय में महसूस होगा की ऊर्जा एक दूसरे में मिल रही है।
(दूसरे और तीसरे चरण में साढ़े सात-सात मिनट के चरण में। पहले स्त्री भाव करे की उसकी उर्जा पुरूष में भर रही है, बह रही है, वह खाली हो रही है।
और तीसरे चरण में पुरूष भाव करे की उसकी ऊर्जा उसके साथ में भर रही हो और वह खाली हो रहा है। और ध्यान रहे जिस समय ऊर्जा एक दूसरे साधक के शरीर में बह रही हो तो पहला अपने आप को आस्तित्व के सहारे छोड़ दे अपने शरीर पर अपना अधिकार अपनी पकड़ छोड़ दे, अपने होने को छोड़ दे। नहीं तो ऊर्जा का वर्तुल टुट जायेगा। जब स्त्री पुरूष की ऊर्जा का विलय एक दूसरे में होगा। तब असीम आनंद बरसने लग जायेगा। एक महा मिलन का समय होगा वह। पति पत्नी के लिए ये खास ध्यान है। अगर जोड़ा इस ध्यान को करे तो उनका प्रेम बहुत गहरा हो सकता है। उनका अन्तस शरीर जो वो चाह कर भी कभी नहीं मिला सकते इन खुले क्षणों में मिल सकता है।)