प्रेम से भर रहा है ?

एक युवक एक युवती को देख कर प्रेम से भर जाए ।
किस चीज के प्रति प्रेम से भर रहा है ?
उस युवती में उसे कोई सौंदर्य दिखाई पडा़ है जो
बिलकुल अज्ञात है और रहस्यपूर्ण है ।
जिसे वह नहीं समझ पा रहा ।
जो उसकी समझ के पार हुआ जा रहा है ।
कोई अज्ञात सौंदर्य उसके प्राणों को खींच रहा है
जो उसकी समझ के बाहर है ।
वह आकर्षित हो गया है ।
वह उस युवती को प्रेम करके , विवाह करके घर
ले आता है । और महीने-पंद्रह दिन बीतता नहीं कि
प्रेम क्षीण होता मालूम पड़ता है ।
वर्ष दो वर्ष बीतते हैं कि वह ऊब जाता है । क्यों ?
वह जो अज्ञात रहस्यपूर्ण था , इधर दो वर्ष साथ रहने में
उसे यह भ्रम पैदा हो गया कि वह खत्म हो गया ,
मैंने जान लिया कि स्त्री क्या है ।
जैसे ही उसे खयाल आता है कि मैंने पहचान लिया
यह स्त्री क्या है , जान लिया यह स्त्री क्या है ,
वह रहस्य का भाव विलीन हो गया ।
वह अज्ञात सौंदर्य आंख से ओझल हो गया ।

जिसके जीवन में रहस्य आता है ,
उसके जीवन में प्रेम आता है ।
कोई प्रेम कोशिश कर-कर के नहीं ला सकता ।
कोई सोचता हो कि प्रेम करें सबको ,
इससे प्रेम नहीं कर सकता ।
चाहे कोई कितनी ही शिक्षा दे कि अपने शत्रुओं को
प्रेम करो , सच्चाई यह है कि लोग अपने मित्रों को भी
प्रेम करने में सफल नहीं हो पाते हैं ;
शत्रुओं को प्रेम करना दूर की बात है ।
मित्रों को प्रेम करना ही बहुत कठिन है ।

प्रेम करने में इसलिए सफल नहीं हो पाते कि
जीवन में रहस्य का कोई बोध ही नहीं है ।
जिसके बिना प्रेम कभी पैदा नहीं होता ।
प्रेम तो प्राणों की वह तीव्र भाव-दशा है जो
रहस्य को जानने के लिए आंदोलित हो उठती है ।
इसलिए मैं नहीं कहता हूं कि आप प्रेम करें ,
मैं कहता हूं , जीवन में रहस्य को आने दें ।
द्वार खोल दें , ज्ञान की झूठी बातें हटा दें ।
रहस्य को आने दें और आप रहस्य की छाया को
इस भांति पाएंगे कि हृदय प्रेम से भर रहा है ।

ओशो

प्रेम-पंथ ऐसो कठिन

 

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