साप्ताहिक ध्यान : श्वास को शिथिल करो

शिथिल करो

जब भी आपको समय मिले, कुछ देर के लिए श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें। और कुछ नहीं करना है--पूरे शरीर को शिथिल करने की कोई जरूरत नहीं है। रेलगाड़ी में, हवाई जहाज में या कार में बैठे हैं, किसी और को मालूम भी नहीं पड़ेगा कि आप कुछ कर रहे हैं। बस श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें। जैसे वह सहज चलती है, वैसे चलने दें। फिर आंखें बंद कर लें और श्वास को देखते रहें--भीतर गई, बाहर आई, भीतर गई।

एकाग्रता न करें। यदि आप एकाग्रता करेंगे तो मुश्किल में पड़ जाएंगे, क्योंकि तब सब कुछ बाधा बन जाएगा। यदि कार में बैठे हुए आप एकाग्रता करेंगे, तो कार की आवाज बाधा बन जाएगी, पास में बैठा हुआ व्यक्ति बाधा बन जाएगा।

 

ध्यान एकाग्रता नहीं है। ध्यान सिर्फ जागरूकता है। आप सिर्फ शिथिल रहें और श्वास को देखते रहें। उस देखने में कुछ भी बहिष्कृत नहीं है। कार आवाज कर रही है--बिलकुल ठीक है, स्वीकार कर लें। सड़क पर टऱ्ैफिक है--वह भी ठीक है, जीवन का अंग है। आपके पास में बैठा व्यक्ति खर्राटे ले रहा है--स्वीकार कर लें। कुछ भी अस्वीकृत नहीं है।

 

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