प्रेम एक ऊर्जा क्षेत्र है

प्रेम एक ऊर्जा क्षेत्र है

प्रेम एक ऊर्जा क्षेत्र है…… .वैज्ञानिक भी इससे सहमत है। दूसरी चीज हैं—प्रेम में एक रूपांतरित कर देने वाली शक्ति है। वह तुम्ह भारहीन होने में सहायता करती है, वह तुम्हें पंख देती है। तुम अनंत की ओर सभी के पार जा सकते हो। धार्मिक विचारक इससे सहमत होंगे कि प्रेम परमात्मा और विद्युत दोनों ही हैं। प्रेम एक दिव्य ऊर्जा है। बाउलों ने प्रेम को चुना है, क्योंकि यह मनुष्य के जीवन में होने वाला सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अनुभव है। तुम भले ही धार्मिक हो अथवा नहीं, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। प्रेम मनुष्य के जीवन का केंद्रीय अनुभव बना ही रहता है। यह सबसे अधिक सामान्य और सबसे अधिक असामान्य है। यह कम या अधिक प्रत्येक व्यक्ति को घटता है और जब यह घटता है, यह आकृति और प्रकृति दोनों बदल देता है। यह सामान्य होकर भी असामान्य है। यह तुम्हारे और सर्वोच्च सत्ता के मध्य एक सेतु है।’’

हमेशा तीन ‘ प ‘ का स्मरण रखो—प्रेम, प्रकाश और परिपूर्ण जीवन। परिपूर्ण जीवन तुम्हें अस्तित्व ने दिया है, तुम उसे जी रहे हो। प्रकाश तुम्हारे सामने मौजूद है लेकिन तुम्हें प्रकाश और अपने पूरे जीवन के मध्य एक सेतु बनाना है। यह सेतु ही प्रेम है। इन तीनों प को लेकर तुम पूरे जीवन का मार्ग बना सकते हो, अपने होने और अस्तित्व को एक नई दिशा दे सकते हो।
ओशो – प्रेम योग–(दि बिलिव्ड-1)

Vote: 
No votes yet

New Dhyan Updates

बहुत समय बाद किसी मित्र से मिलने पर जो हर्ष होता है, उस हर्ष में लीन होओ।
करने की बीमारी
आप अच्छे हैं या स्वाभाविक?
ध्वनि के केंद्र में स्नान करो
कृत्रिम न होओ , स्वाभाविक रहो अपने ऊपर आदर्श मत ओढो़
ध्यान: श्वास को विश्रांत करें
शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं हैं।
चक्रमण सुमिरन एक वरदान है
ओशो – पहले विचार फिर निर्विचार !
ध्यान : संतुलन ध्यान
ध्यान:: त्राटक ध्यान : ओशो
अपनी श्वास का स्मरण रखें
जागरण की तीन सीढ़ियां हैं।
ध्यान : संयम साधना
ध्यान :: गर्भ की शांति पायें
स्वर्णिम प्रकाश ध्यान : ओशो
प्रेम एक ऊर्जा क्षेत्र है
क्या यंत्र समाधि प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं?
ओशो की सक्रिय ध्यान विधि
ध्यान :: कभी, अचानक ऐसे हो जाएं जैसे नहीं हैं
ओशो जिबरिश ध्यान विधि
ओशो – प्रेमपूर्ण हो जाओ
ध्यान : "हां' का अनुसरण
ओशो देववाणी ध्यान
ध्यान : सब काल्पनिक है