साप्ताहिक ध्यान : कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना

कल्पना द्वारा नकारात्मक

सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण-- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा-- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।

जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो…जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो , तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।

किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही। तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।

तो जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें उसे।

एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो— बिना किसी कारण के।

 

Vote: 
No votes yet
Meditation Category: 

New Dhyan Updates

साप्ताहिक ध्यान : कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना
चक्रमण सुमिरन एक वरदान है
ध्यान: क्या आप स्वयं के प्रति सच्चे हैं?
ओशो स्टाॅप मेडिटेशन
ध्यान : अपने विचारों से तादात्मय तोड़ें
किसी का ध्यान नहीं करना है, अपने भीतर ध्यान में पहुंचना है।
अग्नि पर फ़ोकस करना
प्रेम से भर रहा है ?
बहुत समय बाद किसी मित्र से मिलने पर जो हर्ष होता है, उस हर्ष में लीन होओ।
साप्ताहिक ध्यान : संयम साधना
दूसरे को तुम उतना ही देख पाओगे जितना तुम अपने को देखते हो
प्रेम की ऊर्जा
साप्ताहिक ध्यान : मौन का रंग
ध्यान -:पूर्णिमा का चाँद
ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव !
जागरण की तीन सीढ़ियां हैं।
अपनी श्वास का स्मरण रखें
ध्यान :: गर्भ की शांति पायें
ओशो की सक्रिय ध्यान विधि
ओशो – ध्यान धन है ।
ओशो नाद ब्रह्म ध्‍यान
ओशो: जब कामवासना पकड़े तब क्या करें ?
श्वास को शिथिल करो!
ध्यान क्या है? ध्यान है पर्दा हटाने की कला। ओशो
संकल्प कैसे काम करता है?