ध्यान विधि

साप्ताहिक ध्यान : श्वास को शिथिल करो

शिथिल करो

जब भी आपको समय मिले, कुछ देर के लिए श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें। और कुछ नहीं करना है--पूरे शरीर को शिथिल करने की कोई जरूरत नहीं है। रेलगाड़ी में, हवाई जहाज में या कार में बैठे हैं, किसी और को मालूम भी नहीं पड़ेगा कि आप कुछ कर रहे हैं। बस श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें। जैसे वह सहज चलती है, वैसे चलने दें। फिर आंखें बंद कर लें और श्वास को देखते रहें--भीतर गई, बाहर आई, भीतर गई। Read More : साप्ताहिक ध्यान : श्वास को शिथिल करो about साप्ताहिक ध्यान : श्वास को शिथिल करो

साप्ताहिक ध्यान : कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना

कल्पना द्वारा नकारात्मक

सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण-- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा-- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं। Read More : साप्ताहिक ध्यान : कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना about साप्ताहिक ध्यान : कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना

क्या आप सिगरेट छोड़ना चाहते हैं।

सिगरेट छोड़ना

शरीर एक यंत्र है। और उस यंत्र में आपने जो आदतें डाली है, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पडे़गा, नई बातें सुनकर नहीं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको सिगरेट पीना छोडना है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पडे़गी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएंगे।

इसलिए मैं आपको कहता हूँ कि जब भी आपको सिगरेट पीने का ख्याल हो तब दस गहरी श्वास लें, जिससे ज्यादा आक्सीजन भीतर चली जाएगी। तो ताजगी ज्यादा देर रुकेगी, जितनी देर निकोटिन से रुकती है, और ज्यादा स्वाभाविक होगी। यह एक नई आदत है। Read More : क्या आप सिगरेट छोड़ना चाहते हैं। about क्या आप सिगरेट छोड़ना चाहते हैं।

ध्यान : अपनी श्वास का स्मरण रखें

अपनी श्वास का स्मरण

"अगर तुम अपनी सांस पर काबू पा सको तो अपनी भावनाओं पर काबू पा सकोगे। अवचेतन सांस की लय को बदलता रहता है, अत: अगर तुम इस लय के प्रति और उसमें होने वाले सतत बदलाव के बारे में होश से भर जाओगे तो तुम अपनी अवचेतन जड़ों के बारे में, अवचेतन की गतिविधि के बारे में सजग हो जाओगे।"

दि न्यू एल्केमी

 

 1) जब भी स्मरण हो, दिन भर गहरी सांस लो, जोर से नहीं वरन धीमी और गहरी; और शिथिलता अनुभव करो, तनाव नहीं।

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