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युवक कौन .... ??

हिन्दुस्तान की जवानी तमाशबीन है। हम ऐसे रहते हैं खड़े होकर जीवन में, जैसे कोई जुलूस जा रहा है। वैसे रुके हैं, देख रहे हैं; कुछ भी हो रहा है! शोषण हो रहा है, जवान खड़ा हुआ देख रहा है! बेवकूफियां हो रही हैं, जवान खड़ा देख रहा है! बुद्धिहीन लोग देश को नेतृत्व दे रहे हैं, जवान खड़ा देख रहा है। जड़ता धर्मगुरु बनकर बैठी है, जवान खड़ा हुआ देख रहा है! सारे मुल्क के हितों को नष्ट किये जा रहे हैं, जवान खड़ा हुआ देख रहा है!
यह कैसी जवानी है?
इसलिए दूसरा सूत्र तुमसे कहता हूं और वह यह कि जवानी संघर्ष से पैदा होती है।
संघर्ष गलत के लिए भी हो सकता है और तब जवानी कुरूप हो जाती है। संघर्ष बुरे के लिए भी हो सकता है, तब जवानी विकृत हो जाती है। संघर्ष अधूरे की लिए भी हो सकता है, तब जवानी आत्मघात कर लेती है।
लेकिन संघर्ष जब सत्य के लिए, सुन्दर के लिए, श्रेष्ठ के लिए होता है, संघर्ष जब परमात्मा के लिए होता है, संघर्ष जब जीवन के लिए होता है; तब जवानी सुन्दर, स्वस्थ, सत्य होती चली जाती है।
हम जिसके लिए लड़ते हैं, अंततः वही हम हो जाते हैं।
लड़ो सुन्दर के लिए और तुम सुन्दर हो जाओगे। लड़ो सत्य के लिए और तुम सत्य हो जाओगे। लड़ो श्रेष्ठ के लिए तुम श्रेष्ठ हो जाओगे। और मरो—सड़ो तुम—खड़े—खड़े सडोगे और मर जाओगे और कुछ भी नहीं होओगे।
जिंदगी संघर्ष है और संघर्ष से ही पैदा होती है। जैसा हम संघर्ष करते हैं, वैसे ही हो जाते हैं।
हिन्दुस्तान में कोई लड़ाई नहीं है, कोई फाइट नहीं है! सब कुछ हो रहा है, अजीब हो रहा है। हम सब हैं, देखते हैं, सब हो रहा है और होने दे रहे हैं! अगर हिन्दुस्तान की जवानी खड़ी हो जाय, तो हिन्दुस्तान में फिर ये सब नासमझियां नहीं हो सकती हैं, जो हो रही हैं। एक आवाज में टूट जायेंगी। क्योंकि जवान नहीं है, ‘ कुछ भी हो रहा है। मैं यह दूसरी बात कहता हूं। लड़ाई के मौके खोजना सत्य के लिए, ईमानदारी के लिए।
अगर अभी न लड़ सकोगे तो बुढ़ापे में कभी नहीं लड़ सकोगे। अभी तो मौका है कि ताकत है, अभी मौका है कि शक्ति है, अभी मौका है कि अनुभव ने तुम्हें बेईमान नहीं बनाया है। अभी तुम निर्दोष हो, अभी तुम सकते हो, अभी तुम्हारे भीतर आवाज उठ सकती है, यह गलत है। जैसे—जैसे उम्र बढ़ेगी, अनुभव बढ़ेगा चालाकी बढ़ेगी।
अनुभव से ज्ञान नहीं बढ़ता है, सिर्फ कनिंगनेस बढ़ती है, चालाकी बढ़ती है।
अनुभवी आदमी चालाक हो जाता है, उसकी लड़ाई कमजोर हो जाती है, वह अपना हित देखने लगता है हमें क्या मतलब है, अपनी फिक्र करो, इतनी बड़ी दुनिया के झंझट में मत पड़ो।
जवान आदमी जूझ सकता है, अभी उसे कुछ पता नहीं। अभी उसे अनुभव नहीं है चालाकियों का।
इसके पहले कि चालाकियों में तुम दीक्षित हो जाओ और तुम्हारे उपकुलपति और तुम्हारे शिक्षक और? मां—बाप दीक्षांत समारोह में तुम्हें चालाकियों के सर्टिफिकेट देंगे, उसके पहले लड़ना। शायद लडाई तुम्हारी रहे, तो तुम चालाकियों में नहीं, जीवन के अनुभव में दीक्षित हो जाओ। और शायद लड़ाई तुम्हारी जारी रहे, वह जो छिपी है भीतर आत्मा, वह निखर जाये, वह प्रकट हो जाये। और जैसे आदमी अपने भीतर छिपे हुए का पूरा अनुभव करता है, उसी दिन पूरे अर्थों में जीवित होता है।
और मैं कहता हूं कि जो आदमी एक क्षण को भी पूरे अर्थों में जीवन का रस जान लेता है, उसकी फिर कभी मृत्यु कभी नहीं होती। वह अमृत से संबंधित हो जाता है।
युवा होना अमृत से संबंधित होने का मार्ग है। युवा होना आत्मा की खोज है। युवा होना परमात्मा के मंदिर पर प्रार्थना है।
ओशो