राग- गौड़ सारंग
Submitted by Anand on 18 November 2019 - 5:49pmठाठ - कल्याण (मतान्तर में कई लोग इसे विलावल ठाठ से उत्पन्न भी मानते हैं)
दोनों मध्यम का प्रयोग
गायन समय- दोपहर या मध्यान्ह काल
वादी - ग
संवादी- ध
जाति- सम्पूर्ण (*वक्र सम्पूर्ण- अर्थात आरोह व अवरोह में सभी स्वरों का प्रयोग *वक्र होता है)
*वक्र स्वर का अर्थ - जिस स्वर का प्रयोग सीधे न होकर घुमा कर किया जाए - उदाहरानार्थ 'सा रे ग म' सीधे न गा कर अगर 'सा रे ग रे म' गाया जाए तो ग वक्र स्वर हुआ क्योंकि ग के बाद सीधे म न लगा कर रे पर उतर कर फिर म लगा ) Read More : राग- गौड़ सारंग about राग- गौड़ सारंग