राग बहार
Submitted by Anand on 23 August 2019 - 12:16amआरोह में गमपगमधनिसां इस प्रकार पंचम का वक्र प्रयोग भी होता है जिससे रागरंजकता बढ़ती है। इस राग का वादी स्वर षडज तथा संवादी स्वर मध्यम हैं। राग विस्तार मध्य व तार सप्तक में होने के कारण यह चंचल प्रकृति का राग माना जाता है। मपगम धनिसां इसकी मुख्य पकड़ है। यह राग बाकी अनेक रागों के साथ मिलाकर भी गाया जाता हैं। जिस राग के साथ उसे मिश्रित किया जाता है उसे उस राग के साथ संयुक्त नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए बागेश्री राग में इसे मिश्र करने से बागेश्री-बहार, वसंत-बहार, भैरव-बहार इत्यादि। परंतु मिश्रण का एक नियम हे कि जिसमें बहार मिश्र किया जाय वह राग शुद्ध मध्यम या पंचम में होना चाहिए क्योंकि Read More : राग बहार about राग बहार