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राग बिलावल
- इस राग में सात स्वर लगते हैं।
- इस राग में सब स्वर शुद्ध लगते हैं।
- इस राग का वादी स्वर "ध" है।
- इस राग का संवादी स्वर "ग" है।
- इस राग के गाने बजाने का समय प्रातःकाल है है।
- आरोही = स रे ग म प ध नी सं
अवरोही = सं नी ध प म ग रे स
पकड़ = सं नी ध प, म ग, रे स
राग बिलावल
(ताल सरगम तीन ताल)
स्थाई
समतालीखालीताली
x |
२ |
० |
३ |
अन्तरा
|
|
प — प प |
नी — नी — |
[ ३८ ]
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
स्वामी सरन परियो दरवारे।
कोटि अपराध खण्डन के दाते,तुझ बिन कौन उभारे ।।
खोजत खोजत बहु परकारे, सरब अरथ बिचारे ।
साध संग परम गत पाइये, माया रच बन्धारे ।।
चरन कमल संग प्रीत मन लागी, सुरजन मिले प्यारे।
"नानक" आनन्द करे हर जप जप, सगले रोग निवारे।।
राग बिलावल
(तीन ताल मात्रा १६)
स्थाई
समतालीखालीताली
x |
२ |
० |
३ |
[ ३९ ]
अन्तरा
प — प प |
नी — नी नी |
सं सं सं सं |
नी रें सं — |
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक(श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
ऊच अपार बेअंत स्वामी।
कौन जाणे गुण तेरे ॥
गावते उधरे सुनते उधरे ।
बिनसे पाप घनेरे ॥
पसू परेत मुगध को तारे ।
पाहन पार उतारे ॥
'नानक दास', तेरी सरनाई।
सदा सदा बलिहारे ॥
[ ४० ]
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
स्थाई
समतालीखालीताली
x |
२ |
० |
३ |
अन्तरा
|
|
|
प — नी नी |
([ ४१ ]
राग बिलावल
( तीन ताल )
भजन कबीर
बीत गये दिन भजन बिना रे ।
बाल अवस्था खेल गँवायो,
जब जवानी तब मान घना रे ॥१॥
लाहे कारन मूल गँवायो ।
अजहुँ न गई मन की तृष्ना रे ॥२॥
कहत 'कबीर' सुनो भई साधो ।
पार उतर गये संत जना रे ॥३॥
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
स्थाई
समतालीखालीताली
x |
२ |
० |
३ |
[ ४२ ]
अन्तरा
|
|
प — प प |
नी — सं — |
अडाना | अभोगी कान्ह्डा | अल्हैया बिलावल | अल्हैयाबिलावल | अहीर भैरव | अहीरभैरव | आनंदभैरव | आसावरो | ककुभ | कलावती | काफ़ी | काफी | कामोद | कालिंगड़ा जोगिया | कीरवाणी | केदार | कोमल-रिषभ आसावरी | कौशिक कान्हड़ा | कौशिक ध्वनी (भिन्न-षड्ज) | कौसी | कान्ह्डा | खंबावती | खमाज | खम्बावती | गारा | गुणकली | गुर्जरी तोडी | गोपिका बसन्त | गोरख कल्याण | गौड मल्हार | गौड सारंग | गौड़मल्लार | गौड़सारंग | गौरी | गौरी (भैरव अंग) |चन्द्रकान्त | चन्द्रकौन्स | चारुकेशी | छाया-नट | छायानट | जयजयवन्ती | जयतकल्याण | जलधर | केदार | जेजैवंती | जेतश्री | जैत | जैनपुरी | जोग | जोगकौंस | जोगिया | जोगेश्वरी | जौनपुरी | झिंझोटी | टंकी | तिलंग | तिलंग बहार | तिलककामोद | तोडी | त्रिवेणी | दरबारी कान्हड़ा | दरबारी कान्हडा | दीपक | दुर्गा | दुर्गा द्वितीय | देव गन्धार | देवगंधार | देवगिरि बिलावल | देवगिरी | देवर्गाधार | देवश्री | देवसाख | देश | देशकार | देस | देसी | धनाश्री | धानी | नंद | नट भैरव | नट राग | नटबिलावल | नायकी कान्ह्डा | नायकी द्वितीय | नायकीकान्हड़ा | नारायणी | पंचम | पंचम जोगेश्वरी | पटदीप | पटदीपकी | पटमंजरी | परज | परमेश्वरी | पहाड़ी | पीलू | पूरिया | पूरिया कल्याण | पूरिया धनाश्री | पूर्याधनाश्री | पूर्वी | प्रभात | बंगालभैरव | बड़हंससारंग | बसन्त | बसन्त मुखारी | बहार | बागेश्री | बागेश्वरी | बिलावल शुद्ध | बिलासखानी तोडी | बिहाग | बैरागी | बैरागी तोडी | भंखार | भटियार | भीम | भीमपलासी | भूपाल तोडी | भूपाली | भैरव | भैरवी | मधमाद सारंग | मधुकौंस | मधुवन्ती | मध्यमादि सारंग | मलुहा | मल्हार | मांड | मारवा | मारू बिहाग | मालकौंस | मालकौन्स | मालगुंजी | मालश्री | मालीगौरा | मियाँ की मल्लार | मियाँ की सारंग | मुलतानी | मेघ | मेघ मल्हार | मेघरंजनी | मोहनकौन्स | यमन | यमनी | रागेश्री | रागेश्वरी | रामकली | रामदासी मल्हार | लंका-दहन सारंग | लच्छासाख |ललिट | ललित | वराटी | वसंत | वाचस्पती | विभाग | विभास | विलासखानी तोड़ी | विहाग | वृन्दावनी सारंग | शंकरा | शहाना | शहाना कान्ह्डा | शिवभैरव | शिवरंजनी | शुक्लबिलावल | शुद्ध कल्याण | शुद्ध मल्लार | शुद्ध सारंग | शोभावरी | श्याम | श्याम कल्याण | श्री | श्रीराग | षट्राग | सरपर्दा | सरस्वती | सरस्वती केदार | साजगिरी | सामंतसारंग | सारंग (बृंदावनी सारंग) | सिंदूरा | सिंधुभैरवी | सिन्धुरा | सुघराई | सुन्दरकली | सुन्दरकौन्स | सूरदासी मल्हार | सूरमल्लार | सूहा | सैंधवी | सोरठ | सोहनी | सौराष्ट्रटंक | हंसकंकणी | हंसकिंकिणी | हंसध्वनी | हमीर | हरिकौन्स | हामीर | हिंदोल | हिन्डोल | हेमंत |हेमकल्याण | हेमश्री |