गर्मी बढ़ने का एक कारण, ठंडक देने वाले एयर कंडिशनर

गर्मी बढ़ने का एक कारण, ठंडक देने वाले एयर कंडिशनर

इन दिनों भारत के कई इलाकों में गर्मी अपना क़हर बरपा रही है. ऐसे में घरों, दफ़्तरों और दुकानों में लगे एयर कंडिशनर ही लोगों को गर्मी की तपन से राहत दे रहे हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के इस माहौल में एयर कंडिशनर यानी एसी की डिमांड लगातार बढ़ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमें ठंडक देने वाले ये एसी दुनिया को और गर्म बनाते जा रहे हैं?

दरअसल एयर कंडिशनर चलाने के लिए बिजली का ज़्यादा इस्तेमाल होता है. ये अतिरिक्त बिजली हमारे पर्यावरण को और गर्म बना रही है. पर्यावरणविदों का कहना है कि साल 2001 के बाद के 17 में से 16 साल अधिक गर्म रहे हैं.

ऐसे में एयर कंडिशनर की बढ़ती डिमांड कोई हैरानी का विषय नहीं है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक 2050 तक एयर कंडिशनर चलाने के लिए लगने वाली एनर्जी आज के मुक़ाबले में तीन गुना हो जाएगी.

इसका मतलब साल 2050 तक दुनिया भर के एयर कंडिशनर उतनी बिलजी की खपत करेंगे जितनी अमरीका, यूरोपीय संघ और जापान मौजूदा वक्त में मिलकर करते हैं.

इसलिए वैज्ञानिक और तकनीक से जुड़ी कंपनियां कूलिंग सिस्टम को और ज़्यादा असरदार बनाने की कोशिश कर रही हैं, ताकि बिजली की खपत में कमी आ सके.

उदाहरण के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ख़ास तरह का सिस्टम विकसित किया है. ये सिस्टम अत्याधुनिक सामग्री और "नैनो-फोटोनिक्स" से बना है.

इसमें एक बेहद पतला और रिफ्लेक्टिंग मटैरियल लगा होता है जो सूरज की सीधी रोशनी में भी हीट दूर फेंक देता है.

गर्मीइमेज कॉपीरइटAASWATH RAMAN

Image captionस्काईकूल सिस्टम का छत पर परीक्षण किया गया.

एयर कंडिशनर बिजली के बिना चले तो?

परीक्षण करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे पैनल के नीचे लगे पाइपों में भरे पानी को ठंडा किया जा सकता है. इस ठंडे पानी वाले सिस्टम से किसी बिल्डिंग में कूलिंग आसानी से की जा सकती है.

ये सब करने के लिए बिजली की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती. शोधकर्ताओं का कहना है कि वो इस स्काईकूल सिस्टम को बाज़ार में उतारना चाहते हैं.

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के सौर ऊर्जा केंद्र से जुड़े डैनी पार्कर अपने साथियों के साथ लंबे समय से एयर कंडिशनर और हीटिंग सिस्टम को अधिक असरदार बनाने के तरीके खोजते रहे हैं.

साल 2016 में उन्होंने एक ऐसा यंत्र खोजा जो पानी के वाष्पीकरण के ज़रिए ठंडा होता है. इस यंत्र को पारंपरिक एयर कंडिशनिंग यूनिट के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे कम बिजली में ज़्यादा ठंडी हवा मिल सकेगी.

शोधकर्ताओं की मानें तो इस तरीके से यूरोपीय देशों में कूलिंग के असर को 30% से 50% तक बेहतर किया जा सकता है.

गर्मीइमेज कॉपीरइटEPA

तकनीक के क्षेत्र की बड़ी कंपनी सैमसंग ने "विंड फ्री" नाम की एक तकनीक विकसित की है. ये तकनीक कमरे के तापमान को कम कर देती है जिससे कमरा ठंडा हो जाता है.

इसकी खास बात ये है कि इसके साथ बिजली के पंखे चलाने की ज़रूरत नहीं होती है. सैमसंग कंपनी का कहना है कि ये तकनीक पारंपरिक एयर कंडिशनर से 32 फीसदी ज़्यादा फायदेमंद है.

गर्मीइमेज कॉपीरइटEPA

Image captionपाकिस्तान के करांची में गर्मी से बचने की कोशिश करता एक शख्स

बाज़ार में पहले से कई सस्ते और कम बिजली की खपत वाले एयर कंडिशनर मौजूद हैं. इनमें इन्वर्टर लगे होते हैं.

एनर्जी विशेषज्ञ लैन स्टाफेल कहते हैं, "लोग एयर कंडिशनर के लिए ज़्यादा पैसा खर्च करना नहीं चाहते. चीन में बिजली बेहद सस्ती है इसलिए उन्हें बिजली के बिल की ज़्यादा चिंता नहीं है."

इसके बावजूद चीन के कुछ एनर्जी ग्रुप ने साल की शुरुआत में एयर कडिंशनर को और असरदार बनाने के लिए प्रोग्राम चलाए, ताकि बिजली की खपत कम की जा सके.

गर्मीइमेज कॉपीरइटTADO

Image captionजब कोई घर में नहीं होता तो ये रिमोट कंट्रोल सिस्टम खुद-ब-खुद एसी बंद कर देता है

हम अपने एयर कंडिशनर का सही तरीके से रख-रखाव करके बहुत हद तक ऊर्जा बचा सकते हैं.

उदाहरण के लिए टाडो का "स्मार्ट एसी कंट्रोल" एक ऐप कनेक्टेड रिमोट कंट्रोल है. जब लोग कमरे से बाहर चले जाते हैं तो ये रिमोट कंट्रोल खुद-ब-खुद एयर कंडिशनर को बंद कर देता है.

इसके अलावा ये रिमोट कंट्रोल बाहर के मौसम के हिसाब से अंदर की कूलिंग को भी सेट कर देता है. टाडो का दावा है कि इस तरह के बेहतर मैनेजमेंट से एनर्जी की खपत को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है.

नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल

अगर बिजली की जगह सारे एसी रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा की मदद से चलने लगे तो भी हम इससे होने वाले नुक़सान को कम कर सकते हैं. लेकिन इसकी संभावना कम ही लगती है.

एयर कंडिशनर के लिए बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. इसकी वजह सिर्फ तापमान का बढ़ना ही नहीं बल्कि लोगों की आमदनी का बढ़ना भी है.

चीन, भारत और इंडोनेशिया में अगले 30 साल में पूरी दुनिया के 50 प्रतिशत एसी खप जाने की संभावना है.

Vote: 
No votes yet

विज्ञान एवं तकनीकी

विज्ञान एवं तकनीकी Total views Views today
हिमालय में आ सकता है एम 8 तीव्रता का भूकंप 3,876 4
4जी की 10 बातें जो आपको जाननी चाहिए 3,551 3
चंद्रयान के बारे में ये सब आपको कहीं भी नहीं पता चलेगा, पढ़ लो. 2,927 3
'महिलाओं के लिए वायग्रा' को मंज़ूरी 1,466 2
डिस्कवरी नए मिशन पर रवाना 1,676 2
पृथ्वी के थे दो चांद 9,353 2
भूकंप और सुनामी की चेतावनी देने वाला नया उपकरण 4,351 2
महिला के आकार की बनावट वाले इस फूल की वास्तविकता? 4,232 2
अगर हम सब दिमाग़ बढ़ाने वाली गोली लेने लगें तो क्या होगा? 1,504 2
नगालैंड में सिर काटने वाला क़बीला 1,203 2
कार्बन डाईऑक्साइड ऊर्जा का स्रोत हो सकता है 4,162 2
अब 'भेजा-टू-भेजा' भेज सकेंगे ईमेल! 1,233 2
नदी में बसे सहस्त्रलिंगो का रहस्य 5,133 2
फेसबुक के लिए फ्री इंटरनेट ऐप लाया रिलायंस 3,157 2
आधे मस्तिष्क से भी इन्सान रह सकते हैं ज़िंदा ! 3,812 2
दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन 1,604 2
चोरी के अनाधिकृत वीडियो अपलोड करना होगा मुश्किल 3,055 2
चूहे बनेंगे सुपर जासूस, पहचानेंगे विस्फोटक 4,193 1
तेज़ी से पिघल रहा है ग्लेशियर 1,746 1
कंप्यूटर का अविष्कार किसने किया 31,402 1
ब्रह्मांड की चौड़ाई - 93 अरब प्रकाशवर्ष 6,807 1
Secret World of Primeval Rivers Lies Beneath Greenland Glacier 3,931 1
बारिश के लिए है आपका स्मार्टफोन? 3,974 1
चीन का फेसबुक-ट्विटर हैं वीबो 4,888 1
रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है. 978 1