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सम्मोहन: दुर्व्यसनों से छुटकारा पाने का सशक्त उपाय

सम्मोहन में हमारे शरीर और मन को बदलने की असीम संभावना है। यह दुर्व्यसनों के शिकार व्यक्ति की पीड़ा को राहत देने में अत्यंत सहायक हो सकता है।
हिप्नोसिस का मतलब भी तंद्रा है। वह भी ग्रीक शब्द हिप्नोस से बना है, जिसका अर्थ नींद होता है।
दो तरह की नींद संभव है। एक तो नींद, जब आपका शरीर थक जाता है, रात आप सो जाते हैं। वह प्राकृतिक है। दूसरी नींद है, जो चेष्टा करके आप में लाई जा सकती है, इनडयूस्ड स्लीप। योगत्तंद्रा या सम्मोहन या हिप्नोसिस वही दूसरी तरह की नींद है।
रात जब आप सोते हैं, तब आपका चेतन मन धीरे-धीरे, धीरे-धीरे शांत हो जाता है। और अचेतन मन सक्रिय हो जाता है। आपके मन की गहरी परतों में आप उतर जाते हैं। सम्मोहन में भी चेष्टापूर्वक यही प्रयोग किया जाता है कि आपके मन की ऊपर की पर्त, जो रोज सक्रिय रहती है, उसे सुला दिया जाता है। और आपके भीतर का मन सक्रिय हो जाता है।
भीतर का मन ज्यादा सत्य है। क्योंकि भीतर के मन को समाज विकृत नहीं कर पाया है। भीतर का मन ज्यादा प्रामाणिक है। क्योंकि भीतर का मन अभी भी प्रकृति के अनुसार चलता है। भीतर के मन में कोई पाखंड, कोई धोखा, भीतर के मन में कोई संदेह, कोई शक-सुबहा कुछ भी नहीं है। भीतर का मन एकदम निर्दोष है। जैसे पहले दिन पैदा हुए बच्चे का जैसा निर्दोष मन होता है, वैसा निर्दोष मन भीतर है। धूल तो ऊपर-ऊपर जम गई है। मन के बाहर की परतों पर कचरा इकट्ठा हो गया है। भीतर जैसे हम प्रवेश करते हैं, वैसा शुद्ध मन उपलब्ध होता है।
इस शुद्ध मन को हिप्नोसिस के द्वारा संबंधित, हिप्नोसिस के द्वारा इस शुद्ध मन से संपर्क स्थापित किया जा सकता है। स्वभावतः, लाभ भी हो सकता है, खतरा भी।
अगर मृत्यु तक पर भरोसा हो सकता है, तो फिर किसी भी चीज पर भरोसा हो सकता है।
तो सम्मोहन का लाभ भी उठाया जा सकता है। पश्चिम में बहुत बड़ा सम्मोहक था, कूए। कूए ने लाखों मरीजों को ठीक किया सिर्फ सम्मोहन के द्वारा। अब तक दुनिया का कोई चिकित्सक किसी भी चिकित्सा पद्धति से इतने मरीज ठीक नहीं कर सका है, जितना कूए ने सिर्फ सम्मोहन से किया। असाध्य बीमारियां दूर कीं। क्योंकि भरोसा दिला दिया भीतर कि यह बीमारी है ही नहीं। इस भरोसे के आते ही शरीर बदलना शुरू हो जाता है।
कूए ने हजारों लोगों की शराब, सिगरेट, और तरह के दर्ुव्यसन क्षणभर में छुड़ा दिए, क्योंकि भरोसा दिला दिया। मन को गहरे में भरोसा आ जाए, तो शरीर तक परिणाम होने शुरू हो जाते हैं।
तो लाभ भी हो सकता है। अगर आपको ध्यान नहीं लगता है, सम्मोहन में अगर आपको सुझाव दे दिया जाए, दूसरे दिन से ही आपका ध्यान लगना गहरा हो जाएगा। आप प्रार्थना करते हैं, लेकिन व्यर्थ के विचार आते हैं। सम्मोहन में कह दिया जाए कि प्रार्थना के क्षण में कोई भी विचार न आएंगे, तो प्रार्थना आपकी परम शांत और आनंदपूर्ण हो जाएगी, कोई विचार का विघ्न न रह जाएगा। आपकी साधना में सहयोग पहुंचाया जा सकता है।
कि सम्मोहन के माध्यम से निश्चित ही व्यक्ति के टाइप का पता लगाया जा सकता है। सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति के पिछले जन्मों में प्रवेश किया जा सकता है। सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति के भीतर कौन-से कारण हैं, जिनके कारण वह परेशान और उलझा हुआ है, वे खोजे जा सकते हैं। और सम्मोहन के माध्यम से बहुत-सी बातों का निरसन किया जा सकता है, रेचन किया जा सकता है; बहुत-सी बातें मन से उखाड़कर बाहर फेंकी जा सकती हैं।
गीता दर्शन, अध्याय 13, सातवां प्रवचन