वैज्ञानिक तरीके से रिपीट करना

वैज्ञानिक तरीके से रिपीट करना

हमें यह मानना पड़ेगा कि-
‘मजबूत मेमोरी उतनी अच्छी नहीं, जितना एक वीक प्वाइंट!’
जब तक हम रिपीट न करें, किसी चीज को पढ़ने और सीखने का कोई महत्व नहीं है। तुम हम सब जानते हो कि दोहराना कितना जरूरी है, लेकिन अच्छा रिजल्ट पाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से रिपीट करना इम्पॉर्टेट है।
वैज्ञानिक तरीके से रिपीट करना
इसे हम एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। अगर हम किसी टॉपिक को दो घंटे दिन में याद करते हैं, तो इसे कब रिपीट करना चाहिए? वैज्ञानिक तौर पर कहें तो पहले 24 घंटे खत्म होने तक हो जाना चाहिए। 
इसका एक कारण है। हमारा दिमाग नई सीखी हुई चीज या सूचना 80 से 100 प्रतिशत तक केवल 24 घंटे के लिए ही धारण कर पाता है। अगर इस दौरान दोबारा न पढ़ा जाए या रिपीट न किया जाए तो उतनी ही तेजी से भूलने का चक्र भी शुरू हो जाता है। इसलिए पहला रिवीजन 24 घंटे खत्म होने तक जरूर हो जाना चाहिए। 
24 घंटे में एक बार रिपीट करने के बाद हमारा दिमाग इस सूचना को लगभग सात दिन तक याद रखता है। सात दिन के बाद भूलने का चक्र दोबारा तेजी से शुरू हो जाता है।
अगला रिवीजन सात दिन बाद होना चाहिए
अगर हम 24 घंटे में पहला और सात दिन बाद दूसरी बार रिवाइज करें, तो हमारा रिपीट करने का टाइम केवल 10 प्रतिशत ही रह जाता है। यह दस प्रतिशत उस समय का है, जो टॉपिक को सीखने में लगा है।