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अमलतास के बीमारी मे लाभ

अमलतास का वृक्ष काफी बड़ा होता है, जिसकी ऊंचाई 25-30 फुट तक होती है। वृक्ष की छाल मटमैली और कुछ लालिमा लिए होती है। यह वृक्ष प्राय: सभी जगह पाया जाता है। बाग-बगीचों, घरों में इसे शौकिया तौर पर सजावट के लिए भी लगाया जाता है। मैदानी भागों और देहरादून के जंगलों में अधिकता से मिलता है। इसके पत्ते लगभग एक फुट लंबे, चिकने और जामुन के पत्तों के समान होते हैं।
मार्च-अप्रैल में पत्तियां झड़ जाती हैं। फूल डेढ़ से ढाई इंच व्यास के चमकीले तथा पीले रंग के होते हैं। फूलों से आच्छादित वृक्ष की शोभा देखते ही बनती है। इसके फूलों में कोई गंध नहीं होती। इसकी फलियां एक से दो फुट लंबी और बेलनाकार होती हैं। कच्ची फलियां हरी और पकने पर काले रंग की प्राय: पूरे वर्ष वृक्ष पर लटकती मिलती हैं। फली में 25 से 100 तक चपटे एवं हलके पीले रंग के बीज होते हैं। इनके बीच में काला गूदा होता है, जो दवाई के काम में आता है। इसकी छाल चमड़ा रंगने और सड़ाकर रेशे को निकालकर रस्सी बनाने में प्रयुक्त होती है।
1.. त्वचा रोग :
त्वचा रोगों में इसका गूदा 5 ग्राम इमली और 3 ग्राम पानी में घोलकर नियमित प्रयोग से लाभ होता है | इसके पत्तों को बारीक पीसकर उसका लेप भी साथ-साथ करने से लाभ मिलता गये है
2. कब्ज दूर करने के लिए :
एक चम्मच फल के गूदे को एक कप पानी में भिगोकर मसलकर छान ले | इसके प्रयोग से कब्ज दूर हो जाता है
गुलाब के सूखे फूल, सौंफ और अमलतास की गिरी बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। एक कप पानी में दो चम्मच चूर्ण घोलकर शाम को रख दें। रात्रि में सोने से पूर्व छानकर पीने से अगली सुबह कब्ज़ में राहत मिलेगी।
कब्ज का प्राकृतिक औषधियों द्वारा इलाज
3. सूखी खांसी ठीक करने के लिए :
इसकी फूलों का अवलेह बनाकर सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है |
4. बुखार ठीक करने के लिए :
इसकी जड़ की छाल का काढ़ा ५० मिली. की मात्रा में नियमित प्रयोग से आमपाचन होकर बुखार ठीक हो जाता है |
5. गले की खरास ठीक करने के लिए:
इसके लिए जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर, गुनगुने काढ़े से गरारा करने से फायदा मिलता है |
6. एसिडिटी ठीक करने के लिए:
फल के गूदे को पानी मे घोलकर हलका गुन्गुना करके नाभी के चारों ओर 10-15 मिनट तक मालिस करें। यह प्रयोग नियमित करने से स्थायी लाभ होता है ।
7. श्वास कष्ट ठीक करने के लिए:
अस्थमा के रोगी में कफ को निकालने और कब्ज को दूर करने के लिये फलों का गूदा दो ग्राम पानी में घोलकर गुनगुना सेवन करना चहिये ।
8. घाव ठीक करने के लिए :
इसकी छाल के काढ़े का प्रयोग घावों को धोने के लिये किया जाता है । इससे संक्रमण नही होता है ।
9. गले की तकलीफें :
अमलतास की जड़ की छाल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर उसे 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें और पकाएं। पानी एक चौथाई बचा रहने पर छान लें। इसमें से एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से गले की सूजन, दर्द, टांसिल्स में शीघ्र आराम मिलता है।
10. बिच्छू का विष :
अमलतास के बीजों को पानी में घिसकर बिच्छू के दंश वाले स्थान पर लगाने से कष्ट दूर होता है।
11. बच्चों का पेट दर्द :
इसके बीजों की गिरी को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास लेप लगाने से पेट दर्द और गैस की तकलीफ में आराम मिलता है।
12. चर्म रोगों पर :
अमलतास के पत्तों को सिरके में पीसकर बनाए लेप की चर्म रोगों यानी दाद, खाज-खुजली, फोड़े-फुसी पर लगाने से रोग दूर होता है। यह प्रयोग कम-से-कम 3 हफ्ते तक अवश्य करें। अमलतास के पंचांग (पत्ते, छाल, फूल, बीज और जड़) को समान मात्रा में लेकर पानी के साथ बनाए लेप से भी उपरोक्त लाभ मिलेंगे।
13. मुंह के छाले :
अमलतास की गिरी को बराबर की मात्रा में धनिए के साथ पीसकर उसमें चुटकी-भर कत्था मिलाकर तैयार चूर्ण की आधा चम्मच मात्रा दिन में 2-3 बार चूसने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।
14 वमन हेतु :
अमलतास के 5-6 बीज पानी में पीसकर पिलाने से हानिकारक खाई हुई चीज वमन में निकल जाती है।
15. पेशाब न होना :
पेशाब खुलकर होने के लिए अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में पीसकर तैयार गाढ़े लेप को नाभि के निचले भाग (यौनांग से ऊपर) पर लगाएं।
विशेष प्रयोग :
पित्त कब्ज विकारों में अमलताश का प्रयोग संशोधन के लिये और वात वैतिक विकारों में संशमन के लिये सफलतापूर्वक किया जाता है ।