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अलग-अलग ग्रहों से आए हैं पुरुष और महिलाएं?
अंग्रेज़ी में एक कहावत है कि 'मैन आर फ़्रॉम मार्स, वीमेन आर फ़्रॉम वीनस' यानी पुरुष मंगल ग्रह से और महिलाएं शुक्र से आई हैं. लेकिन इन दोनों के मस्तिष्क पर हुए एक अध्ययन का मानना है कि एक मायने में यह सही हो सकता है.
एक ताज़ा अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क की बुनावट इस क़दर भिन्न है कि लगता है कि दोनों ही अलग-अलग ग्रह की प्रजातियां हैं.
पुरुषों के मस्तिष्क की बुनावट आगे से पीछे की ओर होती है और दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए कुछ ही तंतु होते हैं जबकि महिलाओं के मस्तिष्क में तंतु बाएं से दाहिने और दाहिने से बाएं तिरछे एकदूसरे से जुड़े रहते हैं.
पुरुषों के मस्तिष्क में जहां तंत्रिका तंतु अपेक्षाकृत ज़्यादा होते हैं वहीं महिलाओं में न्यूरॉन कोशिकाएं रखने वाला ग्रे मैटर का हिस्सा ज़्यादा होता है.
पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से जुड़े अमरीकी वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क संरचना की बुनावट में इस भिन्नता से पुरुषों और महिलाओं के अलग-अलग व्यवहार एवं कौशल को समझा जा सकता है.
इस शोध की अगुवाई करने वाली डॉ. रागिनी वर्मा का कहना है कि पुरुषों के मस्तिष्क की बुनावट धारणा और कार्य में सामंजस्य बैठाने के लिए बेहतर है.
भिन्न व्यवहार
Image captionपुरुषों के मस्तिष्क का हेमीस्फियर बाहर से जबकि महिलाओं में यह अंदर से ज्यादा जुड़ा होता है.
जबकि महिलाओं का मस्तिष्क विचार प्रक्रिया, विश्लेषण और अंतर-दृष्टि के लिहाज से 'दिल और दिमाग' को एकीकृत उपयोग के लिए ज़्यादा उपयुक्त है.
पहले हुए शोध में बताया गया था कि पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा 'चालक' और 'स्थानिक' क्षमता ज्यादा होती है.
उदाहरण के लिए एक शल्य चिकित्सक को हाथों से बारीक सर्जरी करने के लिए बेहतर 'चालक' क्षमता की ज़रूरत होती है.
त्रिआयामी वस्तुओं की पहचान के लिए जिम्मेदार 'स्थानिक' क्षमता नक्शों को पढ़ने और कार पार्किंग में मदद करती है.
इस शोध में, दूसरी तरफ, महिलाओं में बेहतर याददाश्त और सामाजिक सूचनाओं को व्यवस्थित करने की बेहतर दक्षता दिखाई गई थी.
महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा दक्षता से दिमाग पढ़ सकती हैं. साथ ही वे बारीक मनोवैज्ञानिक छल के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होती हैं.
गुत्थी सुलझी
नए शोध के बारे में 'प्रोसीडिंग ऑफ दि नेशनल एकेडमी' जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
यह शोध आठ से 22 वर्ष उम्र के क़रीब 1,000 बच्चों और युवाओं के ब्रेन स्कैन के अध्ययन पर आधारित है.
वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार की एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) की मदद से मस्तिष्क के अंदर न्यूरॉन्स की संरचनागत बुनावट की जांच की. इस नई तकनीक का नाम डीटीआई (डिफ्यूजिंग टेंसर इमेजिंग) है.
इस तकनीक ने मस्तिष्क के 'ह्वाइट मैटर' की मैपिंग करने को संभव बनाया. 'ह्वाइट मैटर' में केबल वायरिंग की तरह तंत्रिका तंतु होते हैं जिनमें त्रिआयामी संदेश होकर गुजरते हैं.
अध्ययन से पता चला कि मनुष्य के मस्तिष्क की संरचनागत बुनावट में बुनियादी लैंगिक भेद है.
एकाग्रता में महिलाएं आगे
शोधकर्ताओं के अनुसार, व्यवहार की जांच में प्रभावी लैंगिक भेद देखने को मिला.
एकाग्रता, शब्द एवं चेहरे याद रखना और सामाजिक बंधनों को याद रखने के मामले में महिलाओं ने पुरुषों को काफ़ी पीछे छोड़ दिया.
पुरुष 'स्थानिक' क्षमताओं, मसलन सामंजस्यपूर्ण कार्रवाइयों के मामले में बेहतर दिखे.
वैज्ञानिकों ने 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में जो लैंगिक भेद चिन्हित किए थे, वो 14 से 17 वर्ष की उम्र में ज़्यादा प्रभावी हो गए.
मस्तिष्क के एक ख़ास हिस्से, जिसे सेरीबेलम कहते हैं, में उल्टी वायरिंग दिखी. पुरुषों में इस हिस्से में ज़्यादा कनेक्टिविटी दिखी जबकि महिलाओं इस हेमिस्फियर के अंदर ज़्यादा कनेक्टिविटी दिखी.