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पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है.
अमरीका के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और आक्रामकता बढ़ाने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है. पाँच साल से भी ज़्यादा समय तक चले शोध में ये नतीजे सामने आए हैं. नॉर्थवेस्ट युनिवर्सिटी टीम के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता बनने के बाद पुरुष पारिवारिक हो जाते है, साथ ही उनका मानसिक भटकाव भी ख़त्म हो जाता है.
टेस्टोस्टेरोन ही वो हार्मोन है जो न सिर्फ़ पुरूषों में काम भावना बढ़ाता है बल्कि उन्हें महिला सहयोगी के लायक भी बनाता है.
नेशनल ऐकेडमी ऑफ साइंस ने इस शोध के लिए 624 युवा पुरुषों की मदद ली. इन पर पिता बनने से पहले और पिता बनने के बाद दोनों ही स्थितियों का विश्लेषण किया गया.
इसमें पता चला कि जैसे ही ये पिता बने इनके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में गिरावट आ गई.
इनमें भी विशेष रूप से उन पुरुषों में इस हार्मोन का स्तर ज़्यादा कम पाया गया जिनके पास एक महीने से कम उम्र का या नवजात शिशु था.
सोसोइटी फॉर एन्डोक्रॉनोलॉजी के प्रोफ़ेसर एशले ग्रॉसमैन का कहना है कि इस शोध से पुरुषों के यौन व्यवहार और पिता होने के नाते शिशु की देखभाल के व्यवहार में अंतर पता चलता है.
पहले में अधिक और दूसरे में कम टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की ज़रूरत पड़ती है.
फिलीपीन्स में मुख्य शोधकर्ता क्रिस्टोफर कुज़वा कहते हैं कि पितृत्व भाव और नवजात शिशु मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और भावनात्मक लगाव की मांग करता है और इसी के चलते पुरुष का शरीर इन माँगों के अनुरूप ख़ुद को ढाल लेता है.
शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर संभवत: पुरूषों की गंभीर बीमारियों के ख़तरे से भी रक्षा करता है. इसीलिए शादीशुदा पुरुष व पिता की सेहत हमउम्र युवकों की अपेक्षा बेहतर होती है.