छोटी-मोटी शल्यक्रिया

शल्य चिकित्सा एक बहुत विस्तृत विषय है। मानव के शरीर के अँग अनुसार शल्यचिकित्सा के चिकित्सक होते है। शल्यचिकित्सा सै सबसे ज्यादा फायदा भित्री अंगौं का रोग जैसे कि हर्निया, भाल्भुलर रोग आदि जैसे मे होता है। शल्यचिकित्सा केवल काट्ना और जोड्ना नही है। इसमै शल्यपूर्व बिमार व्यक्ति का अवस्था (ह्र्दय गति, रक्तचाप, तापक्रम आदि), शल्यक्रिया (एनेस्थेसिया लगाना, शल्यक्रिया करना, टांका लगाना), शल्यक्रिया के बाद बिमार मै हो सकने वाली कम्प्लिकेसन और बिमार व्यक्ति का प्रोग्नोसिस आदि सब के बारे मै ध्यान रखना जरुरी होता है।

 

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश्‍ा प्राकृतिक चिकित्सक, पोषण चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, वानस्पतिक चिकित्सा, आयुर्वेद आदि पौर्वात्य चिकित्सा, होमियोपैथी, छोटी-मोटी शल्यक्रिया, मनोचिकित्सा,  जल चिकित्सा, होमियोपैथी, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा, उष्ण टावल से स्वेदन, कटि स्नान, टब स्नान, फुट बाथ, परिषेक, वाष्प स्नान, कुन्जल, नेति आदि का प्रयोग वात जन्य रोग पक्षाद्घात राधृसी, शोध, उदर रोग, प्रत

इस थेरेपी के अनुसार, भोजन प्राकृतिक रूप में लिया जाना चाहिए। ताज़े मौसमी फल, ताज़ी हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित भोजन बहुत ही लाभकारी हैं। ये आहार मोटे तौर पर तीन प्रकार में विभाजित हैं जो इस प्रकार हैं: Read More : प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा about प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

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