होमियोपैथी

होमियोपैथो कुछ ही बिमारियों के लिए पर्याप्त नहीं है बल्कि विश्व की सारी बिमारियों में उपयुक्त है । एलर्जिक बिमारियों में अनेक प्रकार की त्वचा की बिमारियों जैसे कि अट्रीकेरिया (शीतपित्त), एक्जीमा, आदि में यह अत्यंत असरकारक है । साथ-ही-साथ शारीरिक-मानसिक असंतुलन जैसे कि माइग्रेन,अस्थमा, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, एलर्जी, अल्सरेटिव कोलाइटिस, एलर्जिक ब्रोंकईटिस, किडनी व पिशाब संबंधी रोग, नस-नाड़ियों के रोग, श्वास के व पेट सबंधी तकलीफों, आदि का सफलता से उपचार होता है । शरीर में उत्पन्न बिमारियों के कारण का मानसिकता से कैसा संबंध है यह होमियोपैथो अच्छे से पहचानती है । हर प्रकरण में मरीज की मानसिक व शारीरिक स्थिति की जाँच करके ही उसके अनुकूल दवाई दी जाती है , जिससे बीमारी समूल नष्ट हो जाती है । होमियोपैथो केवल लाक्षणिक बीमारी का उपचार न करके पुरे व्यक्ति का उपचार करती है । होमियोपैथो दवाईयां मानसिक बा भावनात्मक असंतुलित स्थिति का भी उपचार करती है ।

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश्‍ा प्राकृतिक चिकित्सक, पोषण चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, वानस्पतिक चिकित्सा, आयुर्वेद आदि पौर्वात्य चिकित्सा, होमियोपैथी, छोटी-मोटी शल्यक्रिया, मनोचिकित्सा,  जल चिकित्सा, होमियोपैथी, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा, उष्ण टावल से स्वेदन, कटि स्नान, टब स्नान, फुट बाथ, परिषेक, वाष्प स्नान, कुन्जल, नेति आदि का प्रयोग वात जन्य रोग पक्षाद्घात राधृसी, शोध, उदर रोग, प्रत

इस थेरेपी के अनुसार, भोजन प्राकृतिक रूप में लिया जाना चाहिए। ताज़े मौसमी फल, ताज़ी हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित भोजन बहुत ही लाभकारी हैं। ये आहार मोटे तौर पर तीन प्रकार में विभाजित हैं जो इस प्रकार हैं: Read More : प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा about प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

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