प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास

प्राकृतिक चिकित्सा का विकास (अपने पुराने इतिहास के साथ) प्रायः लुप्त जैसा हो गया था। आधुनिक चिकित्सा प्राणालियों के आगमन के फलस्वरूप इस प्रणाली को भूलना स्वाभाविक भी था। इस प्राकृतिक चिकित्सा को दोबारा प्रतिष्ठित करने की मांग उठाने वाले मुख्य चिकित्सकों में बड़े नाम पाश्चातय देशों के एलोपैथिक चिकित्सकों का है। ये वो प्रभावशाली व्यक्ति थे जो औषधि विज्ञान का प्रयोग करते-2 थक चुके थे और स्वयं रोगी होने के बाद निरोग होने में असहाय होते जा रहे थे। उन्होने स्वयं पर प्राकृतिक चिकित्सा के प्रयोग करते हुए स्वयं को स्वस्थ किया और अपने शेष जीवन में इसी चिकित्सा पद्धति द्वारा अनेकों असाध्य रोगियों को उपचार करते हुए इस चिकित्सा पद्धति को दुबारा स्थापित करने की शुरूआत की। इन्होने जीवन यापन तथा रोग उपचार को अधिक तर्कसंगत विधियों द्वारा किये जाने का शुभारम्भ किया। प्राकृतिक चिकित्सा संसार मे प्रचलित सभी चिकित्सा प्रणाली से पुरानी है आदिकाल के ग्रंथों मे जल चिकित्सा व उपवास चिकित्सा का उल्लेख मिलता है पुराण काल मे (उपवास)को लोग अचूक चिकित्सा माना करते थे

 

 प्राकृतिक चिकित्सा का विदेशों मे विकास
1.1 जेम्स क्यूरी और सर जॉन फ्लायर
1.2 लुई कूने
1.3 विन्सेंज प्रिस्निज
1.4 डॉ॰ इसाक जेनिंग
1.5 सेबस्टियन नीप
1.6 आर्नल्ड रिक्ली
1.7 एडोल्फ जुस्ट
1.8 आर्नल्ड एहरेट
1.9 हेनरी लिण्डल्हार
1.10 बेनिडिक्ट लुस्ट
1.11 जे. एच. टिल्डेन
1.12 हेनरिच लेमैन
1.13 बरनर मैकफेडन
1.14 सर विलियम अर्बुथनाट लेन
1.15 जे. एच. केलाग
1.16 सर विलियम
 
 भारतीय प्राकृतिक चिकित्सक
2.1 डॉ॰ कुलरंजन मुखर्जी
2.2 डॉ॰ विट्ठलदास मोदी
2.3 डॉ॰ जानकीशरण वर्मा
2.4 डॉ॰ के लक्ष्मण शर्मा
2.5 डॉ॰ बालेश्वर प्रसाद सिंह
2.6 महात्मा गांधी
2.7 डॉ॰ वेगिराज कृष्णम राजू
2.8 डॉ॰ महावीर प्रसाद पोद्दार
2.9 सन्त विनोबा भावे
2.10 मोरार जी देसाई
2.11 डॉ॰ शरण प्रसाद
2.12 डॉ॰ एस. जे. सिंह
2.13 डॉ॰ बी. वेंकटराव तथा डॉ॰ श्रीमती विजय लक्ष्मी
2.14 डॉ॰ एस. स्वामीनाथन
2.15 डॉ॰ हीरा लाल
2.16 डॉ॰ जे. एम. जस्सावला
2.17 डॉ॰ गौरीशंकर
2.18 डॉ॰ जगदीश चन्द्र जौहर
2.19 डॉ॰ युगल किशोर चौधरी
 

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश्‍ा प्राकृतिक चिकित्सक, पोषण चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, वानस्पतिक चिकित्सा, आयुर्वेद आदि पौर्वात्य चिकित्सा, होमियोपैथी, छोटी-मोटी शल्यक्रिया, मनोचिकित्सा,  जल चिकित्सा, होमियोपैथी, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा, उष्ण टावल से स्वेदन, कटि स्नान, टब स्नान, फुट बाथ, परिषेक, वाष्प स्नान, कुन्जल, नेति आदि का प्रयोग वात जन्य रोग पक्षाद्घात राधृसी, शोध, उदर रोग, प्रत

इस थेरेपी के अनुसार, भोजन प्राकृतिक रूप में लिया जाना चाहिए। ताज़े मौसमी फल, ताज़ी हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित भोजन बहुत ही लाभकारी हैं। ये आहार मोटे तौर पर तीन प्रकार में विभाजित हैं जो इस प्रकार हैं: Read More : प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा about प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली खुराक चिकित्सा

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प्राकृतिक चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा

सभी रोगों, उनके कारण और उपचार एक हैं। दर्दनाक और पर्यावरणीय स्थिति को छोड़कर, सभी रोगों का कारण एक है यानी शरीर में रुग्णता कारक पदार्थ का संचय होना। सभी रोगों का उपचार शरीर से रुग्णता कारक पदार्थ का उन्मूलन है। रोग का प्राथमिक कारण रुग्णता कारक पदार्थ का संचय है। बैक्टीरिया और वायरस शरीर में प्रवेश कर तभी जीवित रहते हैं जब रुग्णता कारक पदार्थ का संचय हो और उनके विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण शरीर में स्थापित हुआ हो। अतः रोग का मूल कारण रुग्णता कारक पदार्थ है और बैक्टीरिया द्वितीयक कारण बनते हैं। गंभीर बीमारियां शरीर द्वारा आत्म चिकित्सा का प्रयास होती हैं। अतः वे हमारी मित्र हैं, शत्रु नही Read More : प्राकृतिक चिकित्सा about प्राकृतिक चिकित्सा