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बेहद लोकप्रिय है शास्त्रीय गायकी का किराना घराना

किराना घराने की बात करने से पहले आपको बताते चलें कि शास्त्रीय गायकी के भारत रत्न से सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी किराना घराने से ही थे.
किराना घराना का प्रतिनिधि गायक अब्दुल करीब खान को माना जाता है. महान कलाकार सवाई गंधर्व भी किराना घराने से ही थे. इस घराने की गायकी में मींड और गमक को वीणा के सुर की तरह पैदा किया जाता है. सुरों की साधना इस घराने के कलाकारों की पहचान है.
ऐसा भी माना जाता है कि इस घराने के गायक तानपुरे को ‘प’ की बजाए ‘नी’ पर ट्यून कराते हैं. ये किराना गायकी की पहचान है. हीराबाई बरोड़कर, गंगूबाई हंगल और प्रभा आत्रे जैसे जाने माने और विश्व विख्यात कलाकार किराना घराने की परंपरा को बहुत आगे ले गए हैं. आपको सवाई गंधर्व की एक पुरानी रिकॉर्डिंग सुनाते हैं.
उफ ये सतही संगीत की बमबारी और स्तरीय की अनुपलब्धता. पंडित भीमसेन जोशी का इस पीढ़ी के लिए एक ही मतलब है, ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ को विचित्र भाव-भंगिमाओं के साथ गाने वाला एक बुजुर्ग गायक! लेकिन बजाहिर उनका वितान इससे कहीं विशाल है.
संगीत पर मेरी कच्ची समझ है, इसलिए नट कसने के लिए कभी-कभी देवांशु सर की संगत लेता हूं. हमेशा कुछ नया बताते हैं. इस पेशे के शुरुआती सबक भी उनसे मिले थे. वे पंडितजी के बड़े मुरीद हैं. उनसे लिखने की गुजारिश की तो बोले, यार मेहनत करके लिखना पड़ेगा.
तो उन्होंने मेहनत करके लिखा है. पढ़िएगा. इस पीढ़ी को ज्यादा पढ़ना चाहिए, जो ‘पंडिज्जी’ के श्रवण और उनके आभामंडल से महरूम रही है.
-कुलदीप ‘सरदार’
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