माइक्रोफोन का कार्य

माइक्रोफोन का कार्य

माइक्रोफोन एक ऐसा डिवाइस है जो आपकी आवाज़ को डिजिटल डाटा में बदलता है. इसको माइक भी कहा जाता है. ये कंप्यूटर में एक इनपुट डिवाइस की तरह इस्तेमाल होता है. इसकी मदद से आप अपने कंप्यूटर में ऑडियो डाटा को डाल सकते हो, साथ ही आप इसकी मदद से अपने कंप्यूटर में टाइप कर सकते हो क्योकि इसमें एक ऐसा यंत्र लगा रहता है जो आपकी आवाज़ को पहचानता है और उसी के आधार पर टाइप करता है. इसके लिए बस अपने माइक्रोफोन को अपने कंप्यूटर के साथ जोड़ना होता है और फिर माइक में जो आप टाइप करना चाहते हो उसे बोलना होता है. इस तरह से टाइप करने से आपका समय बचता है. माइक्रोफोन को कंप्यूटर के साथ जोड़ने के लिए आपके कंप्यूटर में एक पोर्ट दिया होता है, साथ ही इसको अपने कंप्यूटर में इस्तेमाल करने के लिए आपके कंप्यूटर में साउंड कार्ड का इनस्टॉल होना भी बहुत जरुरी होता है.

माइक्रोफोन काम कैसे करता है?

माइक्रोफोन सबसे पहले साउंड का पता लगता है फिर ये एक विधुत सिग्नल को कंप्यूटर तक भेजता है. इसके बाद कंप्यूटर में लगे कुछ ख़ास हार्डवेयर यंत्र इन एनालॉग डाटा को डिजिटल डाटा में बदल देते है ताकि इन्हें स्टोर किया जा सके साथ ही इन्हें आप तक आसानी से पहुँचाया जा सके. इसके काम करने के तरीके को आप नीचे दिए स्टेप से समझ सकते हो.

स्टेप 1 : जब हम माइक्रोफोन में कुछ बोलते है तो हमारी आवाज़ से बनी हुई सारी साउंड वेव ( Sound Wave ) एक उर्जा में बदल जाती है और वो उर्जा फिर माइक्रोफोन के पास जाती है. इस बात का भी हमेशा ध्यान रखे कि हम जो आवाज सुनते है वो कम्पन ( Vibration ) के द्वारा बनाई गई एक उर्जा ही होती है.

स्टेप 2 : इसके बाद हमारी आवाज माइक्रोफोन में एक छोटे से Diaphragm से टकराती है. ये प्लास्टिक का बना होता है और ये इतना छोटा होता है कि ये आपको जल्दी से दिखाई भी नही देगा. जब हमारी आवाज इससे टकराती है तो ये आगे पीछे हिलने लगता है और इसके हिलने से कम्पन पैदा होता है.

स्टेप 3 : इस Diaphragm से एक Coil भी जुडी होती है, जब डायाफ्राम आगे पीछे हिलने लगता है तो इसके साथ लगी coil भी आगे पीछे हिलने लगती है.

स्टेप 4 : इसके बाद माइक्रोफोन में लगी एक स्थाई चुम्बक ( Permanent magnet ) एक चुम्बकीय क्षेत्र बनती है जो coil से होकर गुजरती है. इस तरह जब coil आगे पीछे घूम रही हो और उसे समय वो चुम्बकीय क्षेत्र में आ जाते तो इससे एक विधुत करंट का निर्माण होता है और वो करंट coil से प्रवाहित होने लगता है.

स्टेप 5 : ये करंट माइक्रोफोन में लगे एक एम्पलीफायर या फिर साउंड रिकॉर्डिंग डिवाइस से बहता हुआ बाहर निकलता है. तो इस तरह से आपकी आवाज़ एनालॉग डाटा से डिजिटल में परिवर्तित होती है और आप माइक्रोफोन का इस्तेमाल कर पाते हो.

इसके अलावा आप अपने माइक्रोफोन को किसी Amplifier या फिर Loud Speaker के साथ जोड़ सकते हो. जिससे आपकी आवाज़ और भी ज्यादा ऊँची और दूर तक सुने देती है.

 

 

 

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