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ऊँची आवाज़ ख़तरनाक भी हो सकती है
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊँची आवाज़ में संगीत सुनने से फेफड़े भी बेकार हो सकते हैं.
श्वास प्रणाली की विशेष स्वास्थ्य पत्रिका थोरेक्स में के ताज़ा अंक में ऐसे चार मामलों के बारे में लिखा गया है जिनमें संगीत प्रेमियों को न्यूमोथोरैक्स नाम की एक बीमारी हुई है.
एक व्यक्ति कार चला रहा था जब उसे न्यूमोथोरैक्स का अनुभव हो हुआ. यह अनुभव था साँस लेने में तकलीफ़ और सीने में दर्द.
डॉक्टरों ने उसे उस व्यक्ति की कार में लगे एक हज़ार वॉट के ‘बॉस बॉक्स’ स्टीरियो सिस्टम से जुड़ा पाया.
न्यूमोथोरैक्स तब होता है जब फेफड़ों की दीवार में छोटे-छोटे छेद होने से फेफड़ों और उसको ढकने वाली एक झिल्ली के बीच हवा घुस जाती है
माना जाता है कि बहुत ऊँची आवाज़ से जो तंरगे निकलती हैं वो फेफड़ों को भेद देती हैं क्योंकि हवा और ऊतक पर ध्वनि का अलग-अलग तरह से असर होता है.
आवाज़ भी बीमारी जैसी
फेफड़ों को नुक़सान होने के कुछ अन्य भी कारण होते हैं, जैसे धूम्रपान, लंबी बीमारी से आई कमज़ोरी, फेफड़ों के अन्य संक्रमण या ऐसी दवाओं का उपयोग जो चेतना पर असर डालती हैं जैसे नींद की दवाएँ और शराब.
और कुछ ऐसे मामले देखे गए हैं जिनमें ज़रूरी अंगों को ऑक्सीजन इतनी कम हो जाती है कि मरीज़ की जान को ख़तरा हो सकता है.
न्यूमोथोरैक्स के इलाज में सीने में एक नली डाल कर हवा निकाली जाती है.
थोरैक्स में एक और मामले की जानकारी देते हुए बताया गया है कि एक 25 साल के सिगरेट पीने वाले व्यक्ति को एक क्लब में एक लाउड स्पीकर के बगल में खड़े होने पर सीने में तीखा दर्द महसूस हुआ.
एक तीसरे व्यक्ति के फेफड़े उस समय बैठ गए जब वो एक पॉप संगीत समारोह में लाउड स्पीकरों के बगल में चुपचाप खड़ा हुआ था.
ब्रिटेन में ब्रिस्टल के साउथमीड अस्पताल के डॉ जॉन हार्वी ने थोरैक्स की अपनी रिपोर्ट में कहा है, “मुझे नहीं लगता कि इसके बाद लोग ऊँचे संगीत वाले क्लबों में जाना बंद कर देंगे लेकिन कम से कम लाउडस्पीकर के बगल में तो खड़े नहीं होंगे और कार में बास बॉक्स नहीं लगाएंगे.”
उन्होंने कहा, “यह स्थिति पुरूषों में महिलाओं के मुक़ाबले तीन गुना ज़्यादा देखी गई है.”
डॉ हार्वी मानते हैं कि इस रिपोर्ट के बाद शायद और ज़्यादा डॉक्टर इस ख़तरे से मरीज़ों को आगाह कर पाएंगे.
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Anand
13 November 2019 - 1:44pm
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कानों को नुकसान पहुंचा सकता है तेज़ आवाज़, जानिए बचने के 4 तरीके
तेज़ आवाज़ कान को पर्दों को हानि पहुंचा सकता है या नहीं यह काफ़ी समय से चर्चा का विषय बना रहा है। एप्पल आईपैड और अन्य म्यूज़िक गैजेट के आने के बाद से इस चर्चा में तेज़ी ही आई है।
हाल के वर्षों में फोन और टेबलट पर गाना सुनना जैसे एक आम बात बन गई है। ऐसे में यह जानना ज़रुरी हो जाता है कि क्या ऊंची आवाज़ में म्यूज़िक (संगीत) सुनने पर कानों के पर्दों को वाकई नुकसान पहुंच सकता है? यदि हां, तो इससे कैसे बचा जाए।
2014 में डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संस्थान) द्वारा प्रकाशित इयर केयर मैनुअल (कान की देखभाल विषय पर पुस्तिका) में बताया गया है कि ऊंची आवाज़ कान के पास बजने से श्रवणशक्ति पर असर पड़ सकता है। इस मैनुअल के अनुसार “कान के पास बजनेवाले तेज़ संगीत का समय बढ़ने पर बहरेपन का ख़तरा भी बढ़ जाता है। ऐसा देखा गया है कि, इयरफ़ोन या हेडफ़ोन पर अधिकतम वोल्यूम पर 5 मिनट से अधिक देर संगीत सुनने पर श्रवणशक्ति पर बुरा असर पड़ता है। इससे बचने के लिए संगीत सुनते वक्त के बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लिया जाना उचित है।” पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।
2014 में गार्डियन अख़बार में छपे एक रिपोर्ट में कान पर तेज़ ध्वनि के असर को विस्तार से समझाया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार “तेज़ आवाज़ से कान के अंदरुणी हिस्से के सूक्ष्म बालों, जिन्हें स्टेरियोसिलिका कहते हैं, उन्हें क्षति पहुंचाता है- जिसके कारण बहरेपन का ख़तरा पैदा हो जाता है। तेज़ ध्वनि से स्टेरियोसिलिका में कंपन पैदा होता है, जिससे उनमें संचारित वोल्टेज में बदलाव आता है। इस बदलाव की ख़बर तंत्रिकाएं ब्रेन तक पहुंचाती हैं।” इस रिपोर्ट के अनुसार, स्टेरियोसिलिका में लगातार कंपन पैदा कर वोल्टेज में बदलाव करने से बहरापन हो सकता है।
ऊंची ध्वनि से कानों को नुकसान पहुंचता है जानते हुए भी सफ़र के दौरान या काम करते समय संगीत सुनना आज हमारी आदत बन चुका हैं। ऐसे में क्या करें कि हमारे कानों को कोई नुकसान ना पहुंचे। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ तरीके –
1. 85 डेसिबल (ध्वनि को डेसिबल में मापा जाता है) से अधिक उंची ध्वनि में संगीत ना सुनें।
2. मोबाइल या टैबलेट पर संगीत सुनने की बजाय अपने साथ छोटे ब्लूटूथ या दूसरे स्पीकर ले रखें, और इनका इस्तेमाल करें।
3. काफ़ी देर तक हेडफोन लगा कर संगीत ना सुनें, बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें। ऑस्टियोपैथिक पेडियाट्रिशियन (बच्चों के डॉक्टर) डॉ जेम्स इ, फॉय के अनुसार एक दिन में एमपी3 प्लेर या किसी भी अन्य गैजेट पर संगीत 60 मिनट से अधिक देर नहीं सुनना चाहिए। (स्त्रोत: अमरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन)
4. क्या आपने ऑटोमैटक वाल्यूम लेवलर के बारे में सुना है? यह गैजेट ध्वनि के प्रेशर को एक निश्चित सीमा के अंदर रखने में मदद करता है। कई कारों में यह सुविधा होती है, जहां ये लेवलर कार की गति के साथ संगीत या रेडियो की ध्वनि को घटाता या बढ़ाता है।