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बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चे करें ये 2 आसान काम, तनाव रहेगा कोसों दूर

न टीवी, न फोन और न ही दोस्तों के साथ घूमने जाने की परमीशन, अगर कुछ सबसे ज्यादा नज़दीक होगा तो वो है किताबें और नोट्स! बोर्ड का इम्तहांन दे रहे छोत्रों को माता-पिता से कुछ इस प्रकार के निर्देश ही मिलते हैं। हर माता-पिता की बोर्ड परिक्षा दे रहे अपने बच्चे से बस एक ही इच्छा होती है, कि इस बार उनका बच्च परीक्षा में अव्वल आये और ज्यादा से ज्यादा स्कोर करे। यह इच्छा दरअसल बच्चे के सुनहरे भविष्य के सपने से जो जुड़ी होती है। इस सपने का होना बहुत स्वाभाविक है, लेकिन कई बार यह सपना पद, पैसा और रुतबा पाने जैसी महत्वाकांक्षाओं का रूप ले लेता है, जो बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने लगता है और बच्चे परिक्षा के परिणामों के समय अपना विवेक और सब्र खोने लगते हैं, जिसके कुछ बेहद गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं। लेकिन बोर्ड परिक्षाओं के परिणामों को समय बच्चों का साथ देने का होता है, न कि उन पर और ज्यादा दबाव बनाने का। तो चलिये जानें कि कैसे बोर्ड रिजल्ट के तनाव से अपने बच्चे को बचाया जा सकता है और मनोचिकित्सकों व अन्य विशेषज्ञों की इस बारे में क्या राय है।
बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी न बनें
मनोचिकित्सक डॉ सुनील मित्तल के अनुसार, अपने बच्चे की क्षमताओं व रुचियों को पहचानना बेहद जरूरी होता है। माता-पिता और समाज द्वारा अनुचित रूप से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाना आज के युवाओं में तनाव और उच्च रक्तचाप के कारण बनते हैं।
उनसे बात करें
जब परिक्षा के परिणाम आने वाले हों तो माता-पिता को चाहिये कि वे बच्चे के कंधे पर हाथ रखें, उसके साथ खड़े हों और कहें कि किसी भी परीक्षा परिणाम जिंदगी से बड़ा नहीं होता, उठो और आगे के बारे में सोचो। ऐसे रास्तों के बारे में सोचो, जो तुम्हें बेहतर कल की ओर ले जायें। क्योंकि अगर परिणाम खराब भी आए तो जितना वक्त तुम खराब परिणाम से दुखी होने, निराशा और अवसाद को हावी होने देने में जाया करोगे, उतने वक्त में तुम आगेबहुत कुछ बेहतर कर सकते हो। हार के बाद भी जीत संभव है, बशर्ते अगर इंसान दिमाग की परीक्षा से गुजरना न बंद करे।
इस साल के दसवीं-बारहवीं के रिजल्ट आ रहे हैं, साथ ही आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम भी आने शुरू हो चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि अभिभावक हर हाल में अपने बच्चे के साथ खड़े हों। बच्चे को रिजल्ट अच्छा न आने पर डांट कर हतोत्साहित करने की बजाय, इसके कारण जानने का कोशिश करें और बच्चे को मोटिवेट करें और भावनात्मक सहारा दें।
समझदार बनें
रिजल्ट के समय माता-पिता के द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित करने, उनका समर्थन व सराहना करने तथा समझदार बनने की आवश्यकता होती है, बजाए पहले बेहद तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे बच्चों पर और दबाव बनाने के। बच्चों की परवाह करना जरूरी होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि रिजल्ट के समय घर जंग के मैदान जैसा बना दिया जाए।
उनका थोड़ा समय दें
पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेना भी जरूरी होता है। बिना किसी ब्रेक के घंटों तक लगातार बढ़ते रहने से तनाव और दबाव ज्यादा होता है। सीबीएसई की जनसंपर्क अधिकारी, रमा शर्मा कहती हैं कि वे अपनी बेटी को उसकी परिक्षा के एक दिन पहले आइसक्रीम ब्रेक पर लेकर गईं। रमा जी की दो बेटियों ने इस वर्ष बोर्ड की परिक्षा पास की हैं। रमा शर्मा करह ती हैं कि बोर्ड की सदस्या होने के नाते उन्हें अपने खुद के बच्चों पर भी परिक्षा या उनके परिणामों तनाव को हावी नहीं होने दिया। वे कहती हैं कि उन्हें अपनी बेटी की क्षमताओं के बारे में पता है और वे उससे अधिक के लिये कभी उस पर दबाव नहीं बनाती हैं।