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मसालों से असल में कितना फायदा

2019 में इटली में किए गए शोध के अनुसार, जो लोग हफ्ते में चार दिन लाल मिर्च से पका हुआ खाना खाते हैं, उनमें समय से पहले मौत का खतरा कम होता है।
इसी तरह का एक और शोध 2015 में चीन में किया गया था। यहां, यह शोध लाल मिर्च का सेवन करने वाले लगभग पांच लाख स्वस्थ लोगों पर किया गया था।
शोध में पाया गया है कि जो लोग प्रतिदिन मिर्च का सेवन करते हैं, वे उन लोगों की तुलना में अधिक लंबा जीवन जीते हैं जो सप्ताह में एक दिन मिर्च खाते हैं। यानी ऐसे लोगों में कैंसर, दिल की बीमारियाँ और सांस की बीमारियाँ बहुत कम होती हैं।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सेहत को बचाने के लिए अधिक से अधिक लाल मिर्च का उपयोग किया जाना चाहिए।
कहने का मतलब यह है कि मिर्च का सेवन करने से मेटाबोलिक क्रिया यानी पाचन प्रक्रिया ठीक रहती है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
एक शोध में यह भी कहा गया है कि कैप्साइसिन शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है, जिसे हमारा शरीर किसी भी काम के दौरान जलाता रहता है। यह हमारी भूख को भी कम रखता है।
कतर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ज़ुमिन शी कहती हैं कि मिर्च मोटापे की शिकायतों से राहत दिलाती है और उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। लेकिन प्रोफेसर जुमिन शी का यह भी कहना है कि अधिक मिर्च का सेवन करने वालों का मस्तिष्क बहुत तेजी से काम नहीं करता है।
विशेष रूप से, यद् रखने की क्षमता इससे बिगड़ जाती है। वह कहती हैं कि उन लोगों के लिए खतरा अधिक है जो हर दिन 50 ग्राम मिर्च खाते हैं।
इसके अलावा, अक्सर लोग मिर्च खाने के बाद जलन की शिकायत करते हैं। यह बात शोधकर्ताओं के लिए भी बहुत दिलचस्प है। लेकिन थोड़ी जलन होना स्वाभाविक है।
जैसा कि हम कैफीन के मामले में देखते हैं। कैफीन के सेवन से हमारा मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, जिससे हमें ऐसा लगता है कि हम काम के लिए रीफ्रेश हो गए हैं।
2014 की एक शोध रिपोर्ट कहती है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अगर हम कम मात्रा में मिर्च लेते हैं, तो हमें इससे कितना फायदा होता है।
उसी तरह, हल्दी को सर्वगुण संपन्न कहा जाता है। हल्दी में, करक्यूमिन (Curcumin) नामक तत्व बड़ी मात्रा में पाया जाता है। इसके छोटे-छोटे अणु जलन, तनाव, दर्द और अन्य कई तरह की समस्याओं से राहत दिलाने में बहुत मददगार होते हैं।
हल्दी के कई गुणों को गिनाया जाता है। लेकिन इससे जुड़े दावे में कई कमियां हैं।
लैब में किए गए कई अध्ययनों में पाया गया है कि करक्यूमिन कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने की क्षमता रखता है। लेकिन लैब का वातावरण मानव शरीर से अलग है।
करक्यूमिन (Curcumin) आसानी से पानी में नहीं घुलता है। इसका मतलब है कि हमारे शरीर को हल्दी का पूरा लाभ नहीं मिलता है।
शोधकर्ता फ्रीडमैन के अनुसार, लोग गर्म, ठंडा, सूखा और नम खाना पसंद करते हैं। वह इन सभी के बीच संतुलन चाहता है और हल्दी भोजन में यही काम करती है।
उदाहरण के लिए, मछली एक ठंडा और गीला आहार है लेकिन मसाले इसे गर्म और शुष्क बनाने के लिए काम करते हैं।
इसके अलावा मसालों का आयुर्वेदिक महत्व भी है। भारत में, मसालों के इस महत्व को हजारों वर्षों से प्राथमिकता दी जा रही है। यह खोज पश्चिमी देशों के लिए पूरी तरह से नई है। इसलिए वे इसे दवाओं के नए युग के रूप में देख रहे हैं