नष्ट होते तारों से आया धरती पर सोना

सोना पुराने समय से ही मनुष्य को आकर्षित करता रहा है. इस सोने की खोज में कइयों ने अपनी जान गंवाई. इसी सोने के कारण कई युध्द लड़े गये. एक ओर जहां यह आभूषण बनाने के काम आता है तो दूसरी ओर इसकी कमी इसका मूल्य बढ़ा देती है.

सोना केवल धरती पर ही कम मात्रा में नहीं है, बल्कि ब्रह्मांड में भी इसकी कमी है. पिछले दिनों एक खगोलीय घटना के विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने यह संकेत दिया कि सोने का जन्म नष्ट होते तारों के टकराने से हुआ है. कार्बन और लोहे के विपरीत सोना तारों के अंदर नहीं पैदा होता है बल्कि इसका जन्म और भी जटिल घटना से होता है.

ऐसी ही एक घटना पिछले महीने हुई जिसे शॉर्ट गामा रेज बर्स्ट (जीआरबी) कहा जाता है. जीआरबी के अध्ययन और विश्लेषण से इस बात के संकेत मिलते हैं कि सोने का जन्म दो न्यूट्रॉन तारों के टक्कर से हुआ है.

दरअसल, जब तारे धमाकों के साथ खत्म हो जाते हैं, जिसे सुपरनोवा एक्सप्लोजन भी कहा जाता है, तो इसके बाद न्यूट्रॉन तारे का जन्म होता है. जीआरबी के बाद इन तारों में एक अनोखी चमक काफी दिनों तक बरकरार रही, जिससे इस बात का सबूत मिलता है कि इसमें भारी धातुओं का निर्माण हुआ जिसमें सोना भी शामिल है.

हावर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के प्रमुख शोधार्थी एडो बर्जर ने कहा, “हमने अपने आकलन में पाया कि दो न्यूट्रॉन तारों के टकराने से इतनी मात्रा में सोने का निर्माण हो सकता है, जो दो चांद के बराबर है.”

मालूम हो कि, गामा-रे बर्स्ट उच्च ऊर्जा वाली रोशनी (गामा रेज) की वह चमक है जो बहुत ही शक्तिशाली धमाके से पैदा होती है. इस तरह के धमाके ब्रह्मांड में काफी दूरी पर होते हैं. बर्जर और उनके सहकर्मियों ने जीआरबी 130603बी का अध्ययन किया जो धरती से करीब 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर है.

धमाके के बाद हालांकि गामा रेज तो तुरंत ही खत्म हो गई पर जीआरबी 130603बी में आहिस्ता-आहिस्ता कम होती रोशनी लगातार दिखती रही, इसमें इंफ्रारेड किरणें भी मौजूद थीं. इसमें जो चमक थी वह रेडियोधर्मी तत्वों जैसी थी. बर्जर की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि गामा-रे बर्स्ट के दौरान इसमें से जो तत्व बाहर आए उसमें कुछ मात्रा सोने की भी थी.

कार्बन और लोहे के विपरीत सोना तारों के अंदर नहीं पैदा होता है बल्कि इसका जन्म और भी जटिल घटना से होता है। ऐसी ही एक घटना पिछले महीने हुई जिसे शॉर्ट गामा रेज बर्स्ट (जीआरबी) कहा जाता है। जीआरबी के अध्ययन और विश्लेषण से इस बात के संकेत मिलते हैं कि सोने का जन्म दो न्यूट्रॉन तारों के टक्कर से हुआ है।

दरअसल, जब तारे धमाकों के साथ खत्म हो जाते हैं, जिसे सुपरनोवा एक्सप्लोजन भी कहा जाता है, तो इसके बाद न्यूट्रॉन तारे का जन्म होता है। जीआरबी के बाद इन तारों में एक अनोखी चमक काफी दिनों तक बरकरार रही, जिससे इस बात का सबूत मिलता है कि इसमें भारी धातुओं का निर्माण हुआ जिसमें सोना भी शामिल है।

हावर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के प्रमुख शोधार्थी एडो बर्जर ने कहा, “हमने अपने आकलन में पाया कि दो न्यूट्रॉन तारों के टकराने से इतनी मात्रा में सोने का निर्माण हो सकता है, जो दो चांद के बराबर है।”

मालूम हो कि, गामा-रे बर्स्ट उच्च ऊर्जा वाली रोशनी (गामा रेज) की वह चमक है जो बहुत ही शक्तिशाली धमाके से पैदा होती है। इस तरह के धमाके ब्रह्मांड में काफी दूरी पर होते हैं। बर्जर और उनके सहकर्मियों ने जीआरबी 130603बी का अध्ययन किया जो धरती से करीब 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर है।

धमाके के बाद हालांकि गामा रेज तो तुरंत ही खत्म हो गई पर जीआरबी 130603बी में आहिस्ता-आहिस्ता कम होती रोशनी लगातार दिखती रही, इसमें इंफ्रारेड किरणें भी मौजूद थीं। इसमें जो चमक थी वह रेडियोधर्मी तत्वों जैसी थी। बर्जर की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि गामा-रे बर्स्ट के दौरान इसमें से जो तत्व बाहर आए उसमें कुछ मात्रा सोने की भी थी।

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