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योग-एक संक्षिप्त परिचय

योग से अर्थ योग=जोड़
मन या आत्मा का जुड़ाव परमात्मा से
परमात्मा से अर्थ सिर्फ ईश्वर ही न समझे अपितु
परमात्मा=परम(उच्च)+आत्मा(ज्ञान का प्रकाशक)
"इस ब्रह्माण्ड मे सर्वोच्च स्थान ज्ञान का ही तो है"
किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने ज्ञान प्रयोग अपने कार्य को सर्वोच्च वनाने मे करना भी योग है
अपने मन को व्यर्थ कार्यों से हटाकर सही दिशा से जोड़ना भी योग है
ज्ञान का अर्थ प्रत्येक व्यक्ति की परिस्थिति अनुसार अलग अलग हो सकता है
इसलिये ज्ञान की प्रकाशक सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के सारे अध्यायों को "योग" नाम दिया गया है जिसे योग की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक माना जाता है और वह श्रीमदभगवत "गीता" है
जिसमे योग को "योग कर्मशुकौसलम्"कहकर परिभाषित किया गया है
कर्म मे कुसलता परिपूर्णता ही योग है
श्रीमद् मे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को हर अध्याय मे परिस्थिति अनुसार मनःस्थिति मे ठहराव अपने कार्य से लगाव सिखाया है यही लगाव या जुड़ाव ही योग है परन्तु सही दिशा मे
योग का सर्वप्रसिद्ध ग्रंथ पातंजल्य "योगसूत्र" भी कहा गया है
"योगश्च चित्तवृत्ति निरोध:"
अर्थात् किसी भी कार्याभ्यास से पूर्व चित्त(मन) की वृत्ति को गलत विषयो मे प्रवृत्त होने से रोकना ही योग है
और "गीता" मे भी लिखा है
व्यवसायिकोआत्मिका वुद्धि एकःकुरूनन्दनः"
अर्थात् बहुशाखा वुद्धि मनुष्य का नाश और एक दिशा मे प्रवृत्त वुद्धि मनुष्य का कल्याण करती है
उदाहरण-मन को यदि गलत आहार-विहार जैसे जो शरीर के लिये लाभदायक नही है
उसकी तरफ प्रवृत्त करना ही तो रोग का कारण "प्रज्ञापराध" है
सही दिशा मे प्रवृत्त करना "निदान परिवर्जन" कहा जा सकता है
हर जगह योग है परन्तु सही योग सही दिशा मे जुड़ाव है
और जो आज हम करते है वह हटासन है जिसका निश्चित ही लाभ मिलता है लेकिन सही
प्रकार से लाभ लेना है तो योग का अर्थ समझना आवश्यक है
योग मे आसन मे सफलता चाहिये तो मन को प्रसन्न और एकाग्रचित करना आवश्यक है
वर्ना सर्वश्रेष्ठ आसन जिसे"ध्यानासन" कहते है बही सफल नही होगा अन्य का तो छोड़ ही दें....जव तक मन को एकाग्रचित नहीं करेंगे तव तक योग केवल योग दिवस पर ही होगा और साल भर योग की वातें......
रोज योग करना है तो पहले मन को स्वास्थ्य की ओर एकाग्रचित करे तभी अपने स्वास्थ्य लाभ की कामना केलिये रोज योग करेंगे
ध्यानासन मात्र को रोज अभ्यास करने से शरीर स्वंय को हुई क्षति को स्वयं पूर्ण कर उपचारित कर लेता है जिसे spiritual healing या आध्यात्मिक उपचार कहते है
जैसे -"ऊं institute मे ओम उच्चारण मात्र से काफी रोगो का उपचार किया जाता है"
योग दिवस पर मेरी ओर से स्वास्थ्य से सम्पूर्ण शुभकामनायें