कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत में मूलभूत अंतर

कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत में मूलभूत अंतर

१. हिंदुस्तानी पद्दति में विविधता बहुत है और विविधता पर आज भी बिना झिझक कार्य हो रहा है। कर्नाटिक में स्थिरता बहुत है और विविधता को कई संगीत शास्त्री अमान्य मानते हैं।

२. हिंदुस्तानी पद्दति में अधिक प्रभाव लोक संगीत का दिखता है और वहीं कर्नाटिक में बहुत बड़े पंडितों और भगवान समान माने जाने वाले संगीत शास्त्रियों के पदचिन्हों पर ही लोग चलना पसंद करते हैं।

३. हिंदुस्तानी में एक बारी में २ से अधिक लोग एक ही साथ पूरे राग को गाते नहीं दिखेंगे (अगर बच्चों और नए-नए सीखने वालों को छोड़ दें तो)। वहीं कर्नाटिक में मैंने अन्य ५ लोगों के साथ मिलकर १ घंटे का पूरा कार्यक्रम दिया है जिसमें हमने एक साथ पूरे राग और तान गाए थे।

४. हिंदुस्तानी संगीत में गमक का प्रयोग सीमित है और वो हरकतों में कभी-कभी दिखता है। कर्नाटिक में गमक का बहुत अधिक प्रयोग होता है और यह कारक हिंदुस्तानी को कर्नाटिक से अलग बताने में सबसे सरल कारक है।

५. हिंदुस्तानी संगीत की बन्दिशों में विषय भगवान से लेकर प्रेम तक का बहुत सुनने को मिलता है। कर्नाटिक संगीत में भगवान और बहुत पहुंचे हुए पंडितों के बारे में ही आप अपने राग में सुनेंगे।

६. हिंदुस्तानी संगीत का प्रभाव आपको अन्य अलग तरह के संगीत जैसे कि ग़ज़ल, फिल्मी गीत (दक्षिणी फिल्मों में भी), लोक गीत, क़व्वाली, इत्यादि में स्पष्ट दिखता है किन्तु कर्नाटिक संगीत के अलचीलेपन के कारण उसका प्रभाव अन्य संगीतों में बहुत कम पसरा है।

Vote: 
Average: 3.5 (2 votes)

अडाना | अभोगी कान्ह्डा | अल्हैया बिलावल | अल्हैयाबिलावल | अहीर भैरव | अहीरभैरव | आनंदभैरव | आसावरो | ककुभ | कलावती | काफ़ी | काफी | कामोद | कालिंगड़ा जोगिया | कीरवाणी | केदार | कोमल-रिषभ आसावरी | कौशिक कान्हड़ा | कौशिक ध्वनी (भिन्न-षड्ज) | कौसी  | कान्ह्डा | खंबावती | खमाज | खम्बावती | गारा | गुणकली | गुर्जरी तोडी | गोपिका बसन्त | गोरख कल्याण | गौड मल्हार | गौड सारंग | गौड़मल्लार | गौड़सारंग | गौरी | गौरी (भैरव अंग) |चन्द्रकान्त | चन्द्रकौन्स | चारुकेशी | छाया-नट | छायानट | जयजयवन्ती | जयतकल्याण | जलधर  | केदार | जेजैवंती | जेतश्री | जैत | जैनपुरी | जोग | जोगकौंस | जोगिया | जोगेश्वरी | जौनपुरी | झिंझोटी | टंकी | तिलंग | तिलंग बहार | तिलककामोद | तोडी | त्रिवेणी | दरबारी कान्हड़ा | दरबारी कान्हडा | दीपक | दुर्गा | दुर्गा द्वितीय | देव गन्धार | देवगंधार | देवगिरि बिलावल | देवगिरी | देवर्गाधार | देवश्री | देवसाख | देश | देशकार | देस | देसी | धनाश्री | धानी | नंद | नट भैरव | नट राग | नटबिलावल | नायकी कान्ह्डा | नायकी द्वितीय | नायकीकान्हड़ा | नारायणी | पंचम | पंचम जोगेश्वरी | पटदीप | पटदीपकी | पटमंजरी | परज | परमेश्वरी | पहाड़ी | पीलू | पूरिया | पूरिया कल्याण | पूरिया धनाश्री | पूर्याधनाश्री | पूर्वी | प्रभात | बंगालभैरव | बड़हंससारंग | बसन्त | बसन्त मुखारी | बहार | बागेश्री | बागेश्वरी | बिलावल शुद्ध | बिलासखानी तोडी | बिहाग | बैरागी | बैरागी तोडी | भंखार | भटियार | भीम | भीमपलासी | भूपाल तोडी | भूपाली | भैरव | भैरवी | मधमाद सारंग | मधुकौंस | मधुवन्ती | मध्यमादि सारंग | मलुहा | मल्हार | मांड | मारवा | मारू बिहाग | मालकौंस | मालकौन्स | मालगुंजी | मालश्री | मालीगौरा | मियाँ की मल्लार | मियाँ की सारंग | मुलतानी | मेघ | मेघ मल्हार | मेघरंजनी | मोहनकौन्स | यमन | यमनी | रागेश्री | रागेश्वरी | रामकली | रामदासी मल्हार | लंका-दहन सारंग | लच्छासाख |ललिट | ललित | वराटी | वसंत | वाचस्पती | विभाग | विभास | विलासखानी तोड़ी | विहाग | वृन्दावनी सारंग | शंकरा | शहाना | शहाना कान्ह्डा | शिवभैरव | शिवरंजनी | शुक्लबिलावल | शुद्ध कल्याण | शुद्ध मल्लार | शुद्ध सारंग | शोभावरी | श्याम | श्याम कल्याण | श्री | श्रीराग | षट्राग | सरपर्दा | सरस्वती | सरस्वती केदार | साजगिरी | सामंतसारंग | सारंग (बृंदावनी सारंग) | सिंदूरा | सिंधुभैरवी | सिन्धुरा | सुघराई | सुन्दरकली | सुन्दरकौन्स | सूरदासी मल्हार | सूरमल्लार | सूहा | सैंधवी | सोरठ | सोहनी | सौराष्ट्रटंक | हंसकंकणी | हंसकिंकिणी | हंसध्वनी | हमीर | हरिकौन्स | हामीर | हिंदोल | हिन्डोल | हेमंत |हेमकल्याण | हेमश्री |