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भरत नाट्यम - तमिलनाडु
भरत नाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक रूप है जो तमिलनाडु के मंदिरों में उत्पन्न हुआ है और इसकी कृपा, शान, शुद्धता, कोमलता, अभिव्यक्ति और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है। भगवान नाराज के स्वरूप में भगवान शिव को इस नृत्य का भगवान माना जाता है
भरतनाट्यम नृत्य शास्त्रीय नृत्य का एक प्रसिद्ध नृत्य है। भरत नाट्यम, भारत के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के तमिलनाडुराज्य से है। यह नाम 'भरत' शब्द से लिया गया तथा इसका संबंध नृत्यशास्त्र से है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा, हिन्दू देवकुल के महान् त्रिदेवों में से प्रथम, नाट्य शास्त्र अथवा नृत्य विज्ञान हैं। इन्द्र व स्वर्ग के अन्य देवताओं के अनुनय-विनय से ब्रह्मा इतना प्रभावित हुआ कि उसने नृत्य वेद सृजित करने के लिए चारों वेदों का उपयोग किया। नाट्य वेद अथवा पंचम वेद, भरत व उसके अनुयाइयों को प्रदान किया गया जिन्होंने इस विद्या का परिचय पृथ्वी के नश्वर मनुष्यों को दिया। अत: इसका नाम भरत नाट्यम हुआ। भरत नाट्यम में नृत्य के तीन मूलभूत तत्वों को कुशलतापूर्वक शामिल किया गया है। ये हैं-
- भाव अथवा मन:स्थिति,
- राग अथवा संगीत और स्वरमार्धुय और
- ताल अथवा काल समंजन।
भरत नाट्यम की तकनीक में हाथ, पैर, मुख व शरीर संचालन के समन्वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्पादन नृत्य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।
मूल तत्व
भरत नाट्यम में जीवन के तीन मूल तत्व – दर्शन शास्त्र, धर्म व विज्ञान हैं। यह एक गतिशील व सांसारिक नृत्य शैली है, तथा इसकी प्राचीनता स्वयं सिद्ध है। इसे सौंदर्य व सुरुचि संपन्नता का प्रतीक बताया जाना पूर्णत: संगत है। वस्तुत: यह एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पूर्ण समर्पण, सांसारिक बंधनों से विरक्ति तथा निष्पादनकर्ता का इसमें चरमोत्कर्ष पर होना आवश्यक है। भरत नाट्यम तुलनात्मक रूप से नया नाम है। पहले इसे सादिर, दासी अट्टम और तन्जावूरनाट्यम के नामों से जाना जाता था।
मुद्राएं
विगत में इसका अभ्यास व प्रदर्शन नृत्यांगनाओं के एक वर्ग जिन्हें 'देवदासी' के रूप में जाना जाता है, द्वारा मंदिरों में किया जाता था। भरत नाट्यम के नृत्यकार मुख्यत: महिलाएं हैं, वे मूर्तियों के अनुसार अपनी मुद्राएं बनाती हैं, सदैव घुटने मोड़ कर नृत्य करती हैं। यह नितांत परिशुद्ध शैली है, जिसमें मनोदशा व अभिव्यंजना संप्रेषित करने के लिए हस्त संचालन का विशाल रंगपटल प्रयोग किया जाता है। भरत नाट्यम अनुनादी है तथा इसमें नर्तक को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। शरीर ऐसा जान पड़ता है मानो त्रिभुजाकार हो, एक हिस्सा धड़ से ऊपर व दूसरा नीचे। यह, शरीर भार के नियंत्रित वितरण, व निचले अंगों की सुदृढ़ स्थिति पर आधारित होता है, ताकि हाथों को एक पंक्ति में आने, शरीर के चारों ओर घुमाने अथवा ऐसी स्थितियाँ बनाने, जिससे मूल स्थिति और अच्छी हो, में सहूलियत हो।
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Comments
Pari Mam
26 November 2019 - 3:50pm
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भरतनाट्यम नृत्य कहां से आया?
भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली का एक प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य शैली की उत्पत्ति तमिलनाडु राज्य से हुई है और यह भारत के सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। इसकी शुरुआत लगभग 2000 वर्ष पूर्व मानी जाती है। भरतनाट्यम नृत्य द्वारा नृत्यकर्ता अपनी भावनाओं को विभिन्न मुद्राओं से व्यक्त करता है इस नृत्य में भावना, संगीत, लय और अभिव्यक्ति अद्भुत सामंजस्य होता है। मुद्रा जो हाथ की स्थिति, चेहरा भाव की स्थिति तथा पद्म पैरों की स्थिति को व्यक्त करते हैं। ई.कृष्ण अय्यर को भारतनाट्यम के विकास एवं पुनर्जीवित करने के लिए प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में पहचाना जाता है।
Anand
26 November 2019 - 3:51pm
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भरतनाट्यम के विषय में आप क्या जानते हैं?
भरतनाट्यम् या चधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। यह भरत मुनि के नाट्य शास्त्र (जो 400 ईपू का है) पर आधारित है। वर्तमान समय में इस नृत्य शैली का मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अभ्यास किया जाता है। इस नृत्य शैली के प्रेरणास्त्रोत चिदंबरम के प्राचीन मंदिर की मूर्तियों से आते हैं।
इसके तीन प्रमुख अंग हैं:
Anand
26 November 2019 - 3:58pm
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भरतनाट्यम किस राज्य का मुख्य नृत्य है