हमारे पूज्यनीय गुरु

'संगीत के माध्यम से सेवा करता रहूंगा'

हरि प्रसाद

जब कभी बांसुरी की चर्चा होती है, तब पंडित हरि प्रसाद चौरसिया का नाम बरबस ही लोगों की जुबान पर आता है. भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उनकी बांसुरी वादन को सराहने वाले मौजूद हैं.

हरि प्रसाद जी की जीवन गाथा भी ऐसी है जिससे दूसरों को काफ़ी प्रेरणा मिल सकती है.

इलाहाबाद में जन्मे हरि प्रसाद जी के पिता पहलवान थे और चाहते थे कि उनका बेटा भी पहलवानी ही करे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, बेटे को बांसुरी से प्यार हो गया.

बांसुरी के उसी प्यार ने बाद में उन्हें ऐसी प्रसिद्धि दिलाई कि वो आज भारत की महान विभूतियों में शामिल हैं. हाल में उनसे हुई बातचीत के अंश. Read More : 'संगीत के माध्यम से सेवा करता रहूंगा' about 'संगीत के माध्यम से सेवा करता रहूंगा'

शास्त्रीय गायिका गंगूबाई

गंगूबाई

भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुप्रसिद्ध गायिका गंगूबाई हंगल का जुलाई 2009 में निधन हो गया. वे 97 वर्ष की थीं और हृदय रोग से पीड़ित थीं.

उन्होंने 50 साल से अधिक समय तक संगीत की सेवा की और इस दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाई तक पहुँचाया.

वर्ष 1913 में कर्नाटक के एक गाँव हंगल में जन्मी गंगूबाई को उनकी माँ ने सुर की शुरूआती शिक्षा दी थी. बाद में उन्होंने संगीत की शिक्षा 'किराना घराने' के गुरू सवाई गंधर्व से ली.

गंगूबाई ने अपनी कला के प्रदर्शन की शुरुआत किशोरावस्था में मुंबई में स्थानीय समारोहों और गणेश उत्सवों में गायकी से की थी. Read More : शास्त्रीय गायिका गंगूबाई about शास्त्रीय गायिका गंगूबाई

अकबर और तानसेन

अकबर और तानसेन

एक बार अकबर अपने दरबार में तानसेन द्वारा गायन सुन रहे थे गायन सुनने के पश्चात अकबर बोले, "तानसेन आपसे अच्छा भी कोई गायन करता है" तानसेन ने जवाब दिया, "जी महाराज, मेरे गुरुजी" अकबर ने कहा, "तानसेन जी के गुरु को दरबार में पेश किया जाए" तानसेन ने जवाब दिया, "महाराज गुरुजी यहां नहीं आ पाएंगे अगर आपको गायन सुनना है तो आपको गुरुजी के पास चलना होगा अकबर को थोड़ा बुरा लगा लेकिन वह गायन सुनने के शौकीन थे वह तानसेन के साथ उनके गुरु जी से मिलने चले गए" वहां पहुंचे तो देखागुरुजी समाधि में बैठे हुए थे अब गायन कैसे हो गा सवाल यह था कभी तानसेन जी आश्रम में बैठकर गलत गलत राग गाने लगे गलत बात सुनकर गुरु जी Read More : अकबर और तानसेन about अकबर और तानसेन

फकीर हरिदास और तानसेन के संगीत में क्या अंतर है?

फकीर हरिदास और तानसेन के संगीत में क्या अंतर है?

अकबर ने एक दिन तानसेन को कहा, तुम्‍हारे संगीत को सुनता हूं, तो मन में ऐसा ख्‍याल उठता है कि तुम जैसा गाने वाला शायद ही इस पृथ्‍वी पर कभी हुआ हो और न हो सकेगा। 
क्‍योंकि इससे ऊंचाई और क्‍या हो सकेगी। इसकी धारणा भी नहीं बनती। तुम शिखर हो। लेकिन कल रात जब तुम्‍हें विदा किया था, और सोने लगा तब अचानक ख्‍याल आया। हो सकता है, तुमने भी किसी से सीखा है, तुम्‍हारा भी कोई गुरू होगा। तो मैं आज तुमसे पूछता हूं। कि तुम्‍हारा कोई गुरू है? तुमने किसी से सीखा है? Read More : फकीर हरिदास और तानसेन के संगीत में क्या अंतर है? about फकीर हरिदास और तानसेन के संगीत में क्या अंतर है?

ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान

ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान

देश की प्रसिद्ध ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का आज कोलकाता में निधन हो गया। वो सेनिया और बनारस घराने से तुल्लुक रखती हैं। गिरिजा देवी शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत का गायन करतीं थीं। ठुमरी गायन को लोकप्रिय बनाने में इनका अहम योगदान रहा। गिरिजा देवी को सन 2016 में पद्म विभूषण एवं 1980 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।   Read More : ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान about ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान

संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम

संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम

सोनू निगम को बहुआयामी प्रतिभा का धनी माना जाता है. उन्होंने छोटी उम्र से ही गाना प्रारंभ कर दिया था. इनकी प्रतिभा को देख कर कई लोगों ने उनके भविष्य को उज्जवल बताया.

सनम बेवफा के गाने से सब की नज़र में आए सोनू ने फिर पीछे मुड़ के नहीं देखा.फिल्म बॉर्डर से ले कर जोधा अकबर तक के गानों के लिए इन्होंने बहुत से अवॉर्ड जीते. अमरीका आए सोनू निगम से रचना श्रीवास्तव ने बात की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश. Read More : संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम about संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम

राग जिसने दिलाई थी केएल सहगल को बड़ी पहचान

केएल सहगल

केएल सहगल ने अपने छोटे से करियर में प्रभावी अभिनय के साथ-साथ कई यादगार नगमें भी फिल्म इंडस्ट्री को दिए, ‘जब दिल ही टूट गया’, ‘गम दिए मुस्तकिल’ जैसे गाने आज भी संगीत प्रेमियों को याद हैं  Read More : राग जिसने दिलाई थी केएल सहगल को बड़ी पहचान about राग जिसने दिलाई थी केएल सहगल को बड़ी पहचान

गाना गाते वक्त, मैं सब कुछ भूल जाती हूं: लता

लता मंगेशकर. बस नाम ही काफी है. दुनिया के किसी कोने में ये नाम लीजिए और आपको अहसास हो जाएगा कि लता जी के दीवाने कहां कहां मौजूद हैं.

84 साल की उम्र में उन्होंने इन दिनों फ़िल्मों में गाना भले बंद कर दिया हो लेकिन बीते छह दशक में उनके गाए गीत हर रोज दुनिया भर में करोड़ों लोग सुनते हैं.

आज भी लता मंगेशकर के रिकॉर्ड दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकते हैं. Read More : गाना गाते वक्त, मैं सब कुछ भूल जाती हूं: लता about गाना गाते वक्त, मैं सब कुछ भूल जाती हूं: लता

लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी?

लता मंगेशकर

दरअसल घर के सभी सदस्यों की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी. ऐसे में कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी.

बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी. बहुत ज़्यादा काम मेरे पास रहता था.

 

सोचा कि पहले सभी छोटे भाई बहनों को व्यवस्थित कर दूं. फिर कुछ सोचा जाएगा. फिर बहन की शादी हो गई. बच्चे हो गए. तो उन्हें संभालने की ज़िम्मेदारी आ गई. और इस तरह से वक़्त निकलता चला गया.

किशोर दा से वो पहली मुलाक़ात

40 के दशक में जब मैंने फिल्मों में गाना शुरू ही किया था. तब मैं अपने घर से लोकल पकड़कर मलाड जाती थी. Read More : लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी? about लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी?

वो राग जिसे गाते वक्त मेहदी हसन को लगता था बेसुरे होने का डर!

मेहदी हसन

कौन सा है वो राग जिसे गाते वक्त मेहदी हसन को लगता था बेसुरे होने का डर! इस राग पर ही आधारित है मशहूर कव्वाली- चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा 

मधुर भंडारकर रियलस्टिक फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं. चांदनी बार, पेज 3, कॉरपोरेट, फैशन जैसी फिल्मों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक कामयाब डायरेक्टर की छवि दी है. Read More : वो राग जिसे गाते वक्त मेहदी हसन को लगता था बेसुरे होने का डर! about वो राग जिसे गाते वक्त मेहदी हसन को लगता था बेसुरे होने का डर!

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