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आसमान से इंटरनेट मुहैया कराना चाहता है फेसबुक
ड्रोन्स के जरिए फेसबुक देगा हाइ-स्पीड इंटरनेट!
विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क प्लेफॉर्म फेसबुक लेजर टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है ताकि हाइ-स्पीड इंटरनेट ड्रोन या सैटेलाइट के द्वारा प्रदान कर सकें।
फेसबुक के फाउंडर और सीइओ मार्क जुकरबर्ग ने आज अपने सोशल मीडिया पेज पर कहा कि “हमारी कनेक्टिविटी लैब एक लेजर कम्युनिकेशन सिस्टम को विकसित कर रही है, जो कम्युनिटीज को आसमान से किरणों के सहारे डाटा दे सकता है। इससे दूरवर्ती क्षेत्रों में भेजे जाने वाले डाटा की स्पीड बढ़ जाएगी।“
फेसबुक लोगों को सैटेलाइट और ड्रोन के द्वारा इंटरनेट मुहैया कराने वाली टेक्नोलॉजी के विकास पर काम कर चुका है। इसने पहले भारतीय सरकार को भी देश में पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए अप्रोच किया था।
बिलियनर टेक इंवेस्टर ने आगे कहा कि “इंटरनेट.ओआरजी के प्रयास के हिस्से की तरह,हम ड्रोन्स और सैटेलाइट के इस्तेमाल के तरीकों पर काम कर रहे हैं ताकि बिलियन लोग, जो वायरलेस नेटवर्क की रेंज में नहीं रहतें उनसे जुड़ सकें। सामान्यतौर पर आपको असल में किरणें नहीं दिखती।“
फेसबुक ने कुछ चुनिंदा मार्केट्स में टेलिकॉम प्लेयर्स के साथ इंटरनेट.ओआरजी भागीदारी में शुरू की थी। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत समेत विकासशील देशों में रहने वाले लोग, मोबाइल इंटरनेट चार्जेस के लिए अदा किए बिना कुछ वेबसाइट्स एक्सेस कर सकते हैं।
आसमान से इंटरनेट मुहैया कराना चाहता है फेसबुक
फेसबुक पूरी दुनिया में इंटरनेट सुविधा मुहैया कराने के लिए महत्वाकांक्षी योजना के तहत ड्रोन, उपग्रह और सौर ऊर्जा से संचालित विमानों पर काम कर रहा है। इसके लिए उसने एक प्रयोगशाला तैयार की है।
दुनिया की नंबर एक सोशल नेटवर्किंग ने गुरुवार को बताया कि उसने नए "कनेक्टिविटी लैब" प्रोजेक्ट के लिए नासा की जेट प्रोपल्सन लैब और इसके एम्स रिसर्च सेंटर से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और संचार विशेषज्ञों को रखा है।
फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने अपनी सोशल साइट पर एक पोस्ट में बताया कि आज, हम फेसबुक के "कनेक्टिविटी लैब" की कुछ जानकारियां साझा कर रहे हैं। यह सभी तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए ड्रोन, उपग्रह और लेजर के निर्माण पर काम कर रही है। उन्होंने इसके बारे में कुछ खास जानकारियां दीं लेकिन यह कब तक काम करेगा इस बारे में कुछ नहीं बताया।
फेसबुक के येल मागुरे ने यूट्यूब पर पोस्ट एक वीडियो में बताया कि 20 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों के दायरे में उपनगरीय आबादी इंटरनेट सेवा पा सकेगी। उन्होंने बताया कि ये विमान सूर्य की ऊर्जा से महीनों तक आसमान में रह सकते हैं।
दरअसल फेसबुक ने यह कदम दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन गूगल द्वारा पिछले साल एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा किए जाने के बाद उठाया है। गूगल ने गत वर्ष दुनिया के दूरदराज वाले इलाकों में इंटरनेट मुहैया कराने के लिए सौर ऊर्जा से संचालित बैलून के इस्तेमाल की घोषणा की थी।
सेटेलाइट इंटरनेट से पीछे हटे गूगल-फेसबुक
फेसबुक और गूगल सेटेलाइट इंटरनेट की योजना से पीछे हट गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक ने जियो-स्टेशनरी सेटलाइट की योजना लागत वसूल न होने की चिंता के चलते छोड़ दी है।
वहीं, गूगल जिसने 2014 में सेटेलाइट समूह तैयार करने के लिए सेटेलाइट उद्यमी ग्रेग व्यालर को नियुक्त किया था, इस साल की शुरुआत में ही योजना से पीछे हट गई। सेटेलाइट इंटरनेट सेवा अभी बहुत महंगी है और इसका डाटा स्पीड भी धीमा है।
हालांकि व्यालर और अन्य सेटेलाइट उद्यमियों का मानना है कि बहुत से छोटे सेटेलाइट लगाए जाने से तेज गति की सेवा प्रदान की जा सकती है। इसके बाद वे कम्युनिकेशन सेटेलाइट की तरह पृथ्वी के नजदीक आ जाएंगे।
अभी ज्यादा कवरेज के लिए उन्हें अधिक ऊंचाई पर उड़ना पड़ रहा है। इसके अलावा वह कम खर्चीले होंगे, क्योंकि छोटे सेटेलाइट के निर्माण में कम लागत आती है।