तेज़ टाइपिंग करने वाले लोगों में ऐसा क्या जादू होता है

तेज़ टाइपिंग करने वाले लोगों में ऐसा क्या जादू होता है

जिन लोगों की टाइपिंग की रफ़्तार धीमी होती है, उन्हें की-बोर्ड पर दूसरों की थिरकती उंगलियां देखकर रश्क हो जाता है.

धीमी टाइपिंग करने वाले सोचते हैं कि काश! हमारी भी टाइपिंग स्पीड ऐसी ही होती. लेकिन क्या होता है तेज़ टाइपिंग सीखने का नुस्खा?

माना जाता है कि ऑनलाइन गेमिंग के शौक़ीनों की टाइपिंग की रफ़्तार सबसे ज़्यादा होती है.

फिनलैंड की ऑल्टो और ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने दुनिया भर में क़रीब 1 लाख 68 हज़ार लोगों की टाइपिंग के तरीक़े पर बारीक़ी से ग़ौर किया.

उन्होंने पाया कि गेम खेलने वाले अक्सर 'रोलओवर टाइपिंग' करते हैं. इसका मतलब ये कि ये लोग पिछली की छोड़ने से पहले ही बाद वाले अक्षर का बटन दबा देते हैं.

 

टाइपिंग

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES/IGOR_KELL

बात रोलओवर टाइपिंग की

ज़्यादातर गेम खेलने वाले बाएं हाथ से की-बोर्ड को कंट्रोल करते हैं और दाहिने हाथ से माउस चलाते हैं.

ऐसे लोग टाइप करते वक़्त अपने खेल के खिलाड़ियों को एक हाथ से ही काफ़ी रफ़्तार से भगा लेते हैं या कमांड देते हैं.

तेज़ टाइपिंग के लिए ज़रूरी है कि की-बोर्ड पर अगला बटन दबने से पहले पिछला बटन छूट जाए. वरना ग़लत कमांड चली जाती है.

ऐसा हुआ तो, सारा किया-धरा बेकार हो सकता है.

फिनलैंड की ऑल्टो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एंती ओलसविर्ता कहते हैं कि रॉलओवर टाइपिंग आम तौर पर क़ुदरती होती है. इसे सीखा नहीं जा सकता है.

हो सकता है कि टाइपिंग के वक़्त आप ये तरीक़ा इस्तेमाल करते हों और आपको इसके बारे में पता ही न हो.

 

टाइपिंगइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

एक मिनट में 108 शब्द

ओलसविर्ता का कहना है कि हर टाइप करने वाला अपने हिसाब से अपनी तकनीक सीखता है और रफ़्तार बढ़ाता है.

इस रिसर्च के मुताबिक़, आप जिस उंगली से कोई बटन दबाते हैं, उसी से हमेशा वो बटन दबाना चाहिए.

लेकिन, तेज़ टाइपिंग का अवॉर्ड जीत चुके शॉन व्रोना कहते हैं कि ऐसा नहीं है. हर शब्द के साथ बटन दबाने का तरीक़ा बदल जाता है.

शॉन दस साल की उम्र में ही एक मिनट में 108 शब्द टाइप कर लेते थे.

वो कहते हैं कि आम तौर पर जो बटन आपकी उंगली के क़रीब होती है, उसी उंगली से आप फलां बटन को दबाते हैं.

रोलओवर टाइपिंग अगर सीख नहीं सकते तो फिर तरीक़ा क्या है?

टाइपिंगइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

क्या तेज़ टाइपिंग के फ़ायदे होते हैं?

जिस टाइपिंग स्पीड को लेकर हम इतने फ़िक्रमंद हैं, उसकी शायद ज़रूरत ही ख़त्म हो जाए.

डिजिटल एक्सपर्ट बेन वुड कहते हैं कि 2022 तक लोग आवाज़ से कमांड देकर ज़्यादा सर्च करने लगेंगे. और ये टाइपिंग कमांड की जगह ले लेगा.

हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि टाइपिंग की ज़रूरत ही ख़त्म हो जाएगी.

ये ज़रूर है कि इसकी रफ़्तार के मुक़ाबले उतने दिलचस्प नहीं रह जाएंगे, क्योंकि तेज़ी से टाइपिंग की ज़रूरत अब कम होती जा रही है.

लेकिन, तेज़ टाइपिंग से किसी आदमी की ही नहीं, उसकी कंपनी की, उसके देश की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ जाती है.

टाइपिंगइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सिर्फ़ टाइपिंग की रफ़्तार से काम चलेगा?

टाइपिंग का मुक़ाबला जीतने वाले शॉन व्रोना मानते हैं कि तेज़ टाइपिंग ऐसी ख़ूबी है जो बहुत काम आ सकती है. हालांकि वो इसे इतना अहम भी नहीं मानते.

व्रोना कहते हैं कि बहुत कम लोग हैं जो अपने विचारों को फटाफट टाइप कर सकें.

आज ज़रूरत है कि लोग 30-40 शब्द प्रति मिनट की रफ़्तार को बढ़ा कर 60-80 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड तक ले आएं.

ये रफ़्तार विचारों को तुरंत टाइप करने के लिए ज़रूरी है. इससे ज़्यादा रफ़्तार सिर्फ़ बड़बोले लोगों के काम आती है, जो ये दावा कर सकें कि वो सब से तेज़ टाइप करते हैं.

उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिर्फ़ तेज़ टाइपिंग से काम नहीं चलेगा.

टाइपिंगइमेज कॉपीरइटDOMINIC LIPINSKI/PA

प्रोडक्टिविटी पर असर

ब्रिटेन के प्रोडक्टिविटी एक्सपर्ट क्रिस ब्यूमोंट कहते हैं कि प्रोडक्टिविटी बेहतर करने के लिए टाइपिंग के अलावा दूसरे हुनर भी ज़रूरी हैं.

वो कहते हैं कि हम दिन भर टाइपिंग तो करते नहीं. जो इससे हमारी उत्पादकता बढ़ जाए. हम मीटिंग करते हैं. प्रेज़ेंटेशन तैयार करते और देते हैं.

सामान की आवाजाही का इंतज़ाम करते हैं. इनकी रफ़्तार का हमारी प्रोडक्टिविटी पर ज़्यादा असर होता है.

ब्यूमोंट कहते हैं कि हमारी बुद्धि की धार हमारी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में ज़्यादा अहम रोल निभाती है. टाइपिंग नहीं.

तो, फिर कभी अगर कोई तेज़ी से टाइप करता दिखे, तो उसको अक़्ल से मात देने की सोचिएगा. अपनी टाइपिंग स्पीड बढ़ाकर नहीं.

Vote: 
No votes yet

विज्ञान एवं तकनीकी

विज्ञान एवं तकनीकी Total views Views today
सोनी का नया एलईडी बल्‍ब ब्‍लूटूथ स्‍पीकर के साथ 3,979 2
आपको डेंटिस्‍ट की जरूरत नहीं पड़ेगी 3,784 2
नन्हे दिल बचाएंगे लाइलाज बीमारी से 1,805 2
नेटवर्क स्पीड जाँचिए और शिकायत करिए 4,654 2
फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर 1,067 2
क्या दरियाई घोड़ा मांसाहारी है? 6,063 2
नया गूगल ग्‍लास : बिना कांच के 5,386 2
पेट के बल सोने के नुकसान गर्दन दर्द होना 675 2
कुछ लोग लेफ़्ट हैंड से क्यों लिखते हैं? 1,122 2
मीठे पेय पदार्थ पीते हैं तो आपको हो सकता है कैंसर? 1,460 1
कंप्यूटर का अविष्कार किसने किया 31,353 1
स्मार्टफोन के लिए एन्क्रिप्शन क्यों ज़रूरी है 3,500 1
सोलो: लद्दाख का वह पौधा जिसे मोदी ने बताया संजीवनी बूटी 2,851 1
भरी महफ़िल में बोलने से डरते हैं, तो पढ़िए 3,447 1
मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें 1,637 1
इस ग्रह पर मिला पानी, जीवन भी मिलेगा? 1,731 1
पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है. 871 1
रिकॉर्ड तोड़ेगा इसरो स्वयं का ,एक साथ भेजेगा 20 उपग्रह 3,414 1
ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2 1,980 1
पिन, की बेस्ड डिवाइस असुरक्षित 3,492 1
TRAI ने कहा, फोन की घंटी कितनी देर बजे, इसपर फैसला होना चाहिए 1,457 1
महिला के आकार की बनावट वाले इस फूल की वास्तविकता? 4,205 1
अब आपके स्मार्टफोन की टूटी स्क्रीन खुद हो जाएगी ठीक! 3,973 1
भारत में मिला घोंसले बनाने वाला मेंढक 1,981 1
महिला नागा साधुओं से जुड़ी ये रोचक बातें 10,163 1