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गाना गाते वक्त, मैं सब कुछ भूल जाती हूं: लता

लता मंगेशकर. बस नाम ही काफी है. दुनिया के किसी कोने में ये नाम लीजिए और आपको अहसास हो जाएगा कि लता जी के दीवाने कहां कहां मौजूद हैं.
84 साल की उम्र में उन्होंने इन दिनों फ़िल्मों में गाना भले बंद कर दिया हो लेकिन बीते छह दशक में उनके गाए गीत हर रोज दुनिया भर में करोड़ों लोग सुनते हैं.
आज भी लता मंगेशकर के रिकॉर्ड दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकते हैं.
पाँच साल में शुरुआत
उनकी कामयाबी और बुलंदी का सफ़र महज़ पाँच साल की उम्र में शुरू हो गया था. लता मंगेशकर के पिता संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर थे.
घर का माहौल संगीतमय जरूर था, लेकिन लता जी को संगीत की समझ कितनी है इसका पता कब चला?
इसको याद करते हुए लता मंगेशकर ने बीबीसी रेडियो 4 को बताया, “जब मैं पांच साल की थी, तब की बात है. मेरे पिता बाहर गए हुए थे. लेकिन उनके शिष्य मेरे घर में रियाज़ कर रहे थे. एक शिष्य गा रहा था लेकिन ग़लत अंदाज़ में. मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उसे जाकर समझाया कि कैसे गाना है.”
जब पिता को ये मालूम हुआ तो उन्हें अहसास हो गया कि लता मंगेशकर कितनी ऊंचाइयों तक पहुंचेगी.
लेकिन जीवन में तूफ़ान का आना बाकी था. 1942 में जब लता महज़ तेरह साल की हुईं तो उनके पिता का निधन हो गया.
संघर्षों का सफ़र
लता जी घर की बड़ी लड़की थीं और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई. इसके बाद रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का संघर्ष शुरू हो गया.
लता जी की जीवनी लिख चुके पत्रकार-लेखक हरीश भिमानी ने बीबीसी रेडियो 4 को बताया, “लता जी को एक्टिंग पसंद नहीं थी, लेकिन 13 साल की उम्र में उन्हें यही काम मिला. तो परिवार चलाने के लिए वे फ़िल्मों में काम करने लगीं. पांच-छह फ़िल्मों में उन्होंने काम किया. उस दौर में प्ले बैक गायक नहीं होते थे. ऐक्टर-ऐक्ट्रेस को ही गाने गाने होते थे. लता जी आवाज़ ने लोगों का ध्यान खींचा.”
लता जी की आवाज़ आज भी जवान हैं. उनके गाने को सुनकर कभी ये अंदाज़ा ही नहीं होता है कि लता जी ने ये गाना किस उम्र में गाया.
फिल्म पत्रकार शशि बलिगा बीबीसी रेडियो 4 को बताती हैं, “संगीतकार मदन मोहन ने एक बार बताया था कि उन्होंने देश भर में कई कलाकारों की आवाज़ को सुना लेकिन लता मंगेशकर से बेहतर आवाज़ उन्हें नहीं मिली.”
हरीश भिमानी बताते हैं, “जब भारत में अंग्रेजों का शासन था, एक तरह से सेंसरशिप लागू थी तब उन्होंने वंदे मातरम जैसा गीत गाया.”
इसके बाद लाल किले पर उनका गाया गीत ऐ मेरे वतन के लोगों आज भी देशभक्ति के जज़्बे से लोगों को ओतप्रोत कर देता है.
ऐसे में लता जी राजनीति को किस अंदाज में देखती थीं, बीबीसी के रेडियो 4 ने इसे भी जानने की कोशिश की.
राजनीति से नाता नहीं
लता जी ने बताया, “देशभक्ति के जज़्बे से प्रेरित गाने जब मुझे गाने को मिले तो मैंने गाया है. मैं इसके लिए कभी मना नहीं कर सकती. लेकिन राजनीति में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है.”
कइयों को ये अजीब लगता है कि प्यार किया तो डरना क्या से लेकर लग जा गले कि ये हसीं रात हो ना हो या फिर आजा रे परदेसी जैसी मधुर प्रणय गीतों को आवाज़ देने वाली लता मंगेशकर ने कभी प्रेम नहीं किया. न ही शादी की.
शायद संगीत और गीत से उनका अटूट रिश्ता जो बन चुका था.
गाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का ज़िक्र करते हुए बॉलीवुड के अभिनेता कबीर बेदी ने बीबीसी रेडियो 4 को बताया, “एक बार मैंने उन्हें एक गीत की रिकॉर्डिंग करते हुए देखा. वे अपने साथ एक मुड़ा तुड़ा कागज़ लेकर आईं थीं, जिस पर उन्होंने फोन पर ही गीत लिखे थे. उस कागज़ को देखते हुए चार- पांच घंटे के अंदर ही उन्होंने एक उम्दा गीत रिकॉर्ड कर लिया. ये बिना किसी ताम-झाम के अपने काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की मिसाल है.”
'सब भूल जाती हूं'
गाने की इसी प्रतिबद्धता की वजह से लता मंगेशकर छह दशकों तक बॉलीवुड की न जाने कितनी अभिनेत्रियों की आवाज़ बनी रहीं.
अपनी इस प्रतिबद्धता और समपर्ण के बारे में लता जी ने बीबीसी के रेडियो 4 से कहा, “जब भी मैं गाना गाती हूं, मुझे कुछ भी याद नहीं रहता. कहां हूं, क्या करना है, कितना पैसा मिलेगा, गाना हिट होगा भी या नहीं, इन सबको भूल जाती हूं. कुछ भी याद नहीं होता. बस मेरा ध्यान उस गाने को गाने पर लगा होता है.”
ब्रिटेन के युवा संगीतकार नितीन सोनी लता मंगेशकर के गाने अपने बचपन से सुनते रहे हैं. उन्होंने बीबीसी रेडियो 4 से कहा, “लता जी ने जिस पवित्रता से, तरह-तरह के अंदाज़ में गाने गाए हैं वह भी एकदम सहजता से, उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती.”
बॉलीवुड के सौ साल के इतिहास में छह-सात दशक को लता जी ने करीब से देखा है.
'आत्मा को नुकसान'
शुरू-शुरू में फिल्मों में गीत को रिकॉर्ड करने के लिए एक साथ सौ लोगों का दल काम करता था, जिसमें गायक से लेकर तमाम तरह के संगीतकार तक शामिल होते थे. ये सफ़र आज के तकनीकी युग में महज एक लैपटॉप तक सीमित हो गया है.
इस बदलाव पर लता मंगेशकर कहती हैं, “तकनीक भले आधुनिक हो गई और इसने कलाकारों की सुविधाओं को बढ़ा दिया है लेकिन संगीत की आत्मा को नुकसान पहुंचाया है.”
एक तो बढ़ती उम्र और दूसरी तकनीक पर आधारित होते संगीत के चलते ही लता जी अब गाना नहीं गातीं.
लेकिन उनके गाए करीब 25 हज़ारों गीतों में कोई ना कोई गीत तो हम-आप रोजाना ही सुनते हैं. आने वाली पीढ़ियां भी सुनती रहेंगी.
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