बुद्धपद्मासन

बद्ध पद्मासन  यह पद्मासन का ही एक प्रकार है। यह आसन ध्यान के लिए नहीं है बल्कि मुख्यत: स्वास्थ्य में सुधार लाने एवं शरीर को सशक्त और सुदृढ़ बनाने के लिए है। यह आसन श्रम साध्य है। इसलिए जिन लोगों से यह आसन प्रारंभ में न हो पाए, वे भी निराश न हों, धैर्य पूर्वक प्रयत्न करते रहें। बद्ध पद्मासन कैसे करें ? बद्ध पद्मासन करने की विधि : एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा कर पद्मासन करें। पेट के नीचे वाले हिस्से को एड़ियों का स्पर्श होना चाहिए। फिर दाएँ-बाएँ दोनों हाथ पीठ के पीछे ले जाएँ। दाएँ हाथ से दाएँ पैर का अँगूठा और बाएँ हाथ से बाएँ पैर का अँगूठा पकड़ें। पैरों के आँगूठे पकड़ते समय कठिनाई महसूस हो तो आगे की ओर झुक कर औगूठे पकड़ें और अँगूठे पकड़ने के बाद फिर पूर्ववत् सीधे हो जाएँ। श्वासोच्छवास धीरे-धीरे जारी रखें। आप एक-दो मिनट से शुरू कर क्रमश: दस मिनट तक पहुँच सकते हैं।

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

योगासन एवं आसनयोगासन एवं आसन पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन,

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

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