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अगरु के लाभ

अगरु (Agaru) को अगर भी कहा जाता हैं। आयुर्वेद में इसका प्रयोग श्वसनीशोध,अस्थमा, घाव, आंतों की कीड़े, मुँह की बदबू, भूख न लगना,आंत्र गैस, हृदय की कमजोरी, गठिया, लगातार हिचकी आना, एनरेसिस, कैल्यूरिया, ठण्ड के साथ बुखार और पुरुष प्रजनन तंत्र के रोगों के इलाज़ के लिए किया जाता हैं।
अगरु और अगर-अगर (Agar-agar) दोनों को ‘अगर’ भी कहा जाता हैं। किन्तु यह दोनों एक दूसरे से अलग हैं। अगरु की सुगन्धित लकड़ी अगर-अगर से अलग होती हैं। यह एक्विलेरिया अग्लाछा पौधों के अंतर्गत आता है। एक्वलरिया अग्लाछा प्रजातियों से प्राप्त अगरु की लकड़ी का आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है
अगरु (Agaru) पेट, आंतों, फेफड़े व वायुमार्ग, हृदय, यकृत, मस्तिष्क और इंद्रियों को मजबूत बनाता हैं। यह जोड़ों की सूजन को कम करता हैं, इसीलिए यह गठिया और संधिशोथ में भी लाभदायक हैं। इसके भूख को बढ़ाने वाले और वायुनाशी गुण पेट की बीमारियों को कम करने में सहायता करते हैं। यह तंत्रिका उत्तेजक है और इस का प्रयोग लक़वा के मामलों में भी किया जा सकता हैं।
श्वसनीशोध
अगरु अग्रो ब्रोन्कियल ट्यूबों की सूजन और जलन कम कर देता है। यह गाढ़ी बलगम को पतला करने में भी मदद करता हैं, जिससे फेफड़ों को साफ़ होने में मदद मिलती हैं। यह तीव्र और पुराने श्वसनीशोध के उपचार में सहायक हैं।
दमा
अगरु के चूर्ण (500 mg) को शहद के साथ या अगरु के तेल की कुछ बूंदों (एक से दो बुँदे) को पान के पत्ते के साथ लेने से भी दमा के उपचार में मदद मिलती हैं।
लगातार हिचकी आना
अगरु पाउडर (500 mg) को शहद के साथ दिन में चार से पांच बार लेने से लगातार हिचकी आने की समस्या दूर होती हैं।
बुखार को कम करने में अगरु का प्रयोग
अगरु ठण्ड व थकान को कम करता हैं और बुखार में लगने वाली प्यास को बढ़ाता हैं। यह बुखार को कम करने में मददगार हैं और शरीर को मजबूत बनाता हैं।
बुखार में, इसका काढ़ा भी असरदार और लाभदायक हैं। अगरु क्वाथ ( काढ़ा) को पांच ग्राम अगरु वुड चूर्ण और 240 मिलीलीटर पानी के साथ बनाया जाता हैं, धीमी आंच में पका कर इसकी मात्रा को 60 मिलीलीटर तक कम की जाती हैं, ठंडा होने के बाद इसका उपयोग किया जाता है।
इसका उपयोग त्रिकातु चूर्ना और लाउंग (लौंग) के साथ भी किया जा सकता है।
अगरु चूर्ण 1000 मिलीग्राम
त्रिकटु चूर्ण – 500 मिलीग्राम
लौंग पाउडर 250 मिलीग्राम
अदरक का रस 2.5 मिलीलीटर
शहद 5 मिलीलीटर
यह मिश्रण दिन में दो बार लेना चाहिए।
बुखार के बाद की थकान और दुर्बलता को कम करता है
बुखार के बाद होने वाली थकान और दुर्बलता को कम करने के लिए अगरु को गिलोय ,अश्वगंधा और शतावरी के साथ लेने से फयदा होता है। यह एक बेहतरीन औषधि है। यह मिश्रण शरीर को पुनः शक्तिशाली व मजबूत बनाता है और थकान, दुर्बलता, आलस्य और शरीर के दर्द को कम करता है।
अगरु चूर्ण 500 मिलीग्राम
गिलोय – 500 मिलीग्राम
अश्वगंधा चूर्ण – 500 मिलीग्राम
शतावरी – 500 मिलीग्राम
यह अगरु मिश्रण पांच से सात दिन तक रोजाना दो बार लेना चाहिए।
अधिक प्यास लगना
अगरु वुड चूर्ण प्यास को कम करने में लाभदायक है। इसका प्रयोग इलायची बीज के पाउडर के साथ भी किया जा सकता है।
अगरु चूर्ण 1000 मिलीग्राम
इलाइची बीज का चूर्ण – 1000 मिलीग्राम
इस मिश्रण को 5 ग्राम मुनक्का के साथ काढ़ा बना कर लेना चाहिए।
दस्त
अगरु में दस्त को रोकने और रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, इसलिए यह दस्त की आवृत्ति को कम करने में मदद करता है और संक्रमण के लिए जिम्मेदार रोगाणुओं को रोकता है।
आयुर्वेद में, समान्यतया इसका प्रयोग अटिविशा के साथ किया जाता है। अगरु चूर्ण और अतिविष चूर्ण को समान मात्रा में मिला कर लस्सी के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
आंतों की गैस,सूजन और उदर का फैलाव
अगरु आंतों की गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। इस का प्रयोग आंतों की गैस,सूजन और उदर का फैलाव के उपचार के लिए जीरा और अजवाइन के साथ किया जा सकता है। यह मिश्रण अधिक गैस के कारण होने वाली पेट की ऐंठन और दर्द को दूर करने में भी उपयोगी है।
भूख का कम लगना
अगरु पेट और यकृत पर प्रभाव डाल कर भूख को बढ़ाता है। यह यकृत के कामों को सुधारता है और चयापचय को उत्तेजित करता है। यह गैस्ट्रिक स्राव को बेहतर बनाता है और भूख को भी बढ़ाता है।
आयुर्वेद में, अगरु चूर्ण का प्रयोग सैंधव लवण और निम्बू के रस के साथ किया जा सकता है।
अगरु चूर्ण 1000 मिलीग्राम
सैंधव लवण – 500 मिलीग्राम
निम्बू रस 5 मिलीग्राम
यह अगरु मिश्रण को दिन में दो बार खाने से पहले लेना चाहिए।
मुंह से दुर्गंध – ख़राब सांस
80 फीसदी मामलों में मसूढ़ों और मुँह की बीमारियां , मुंह से आने वाली दुर्गंध का एक आम कारण हैं। इन मामलों में अगरु चूर्ण ख़राब साँस को ठीक करने की सबसे अच्छी औषधि है। इसके रोगाणुरोधी और सूजन को दूर करने के गुण मसूढ़ों की बिमारियों को कम करते हैं और इस तरह से मुँह की दुर्गन्ध का इलाज करते हैं। दूसरी और यह एक खुशबूदार और सुगन्धित जड़ी बूटी है, जो ख़राब साँस को रोकने में भी मदद करती है।
मुँह में दुर्गन्ध होने की स्थिति में, अच्छे परिणाम पाने के लिए अगरु की दो से तीन डंडियों को दिन में दो से तीन बार चबाना चाहिए।
खून वाली बवासीर
अगरु चूर्ण का मिश्री के चूर्ण के साथ प्रयोग खून वाली बवासीर का उपचार करने में किया जाता है।
अगरु पाउडर 1 ग्राम
मिश्री पाउडर 3 ग्राम
गाय का घी Q.S.
इन सामग्रियों का गाय के घी के साथ पेस्ट बनायें और इसे दिन में दो बार खाएं। इस अगरु पेस्ट को खाने के बार गर्म दूध पीना चाहिए।