शार्क की कई प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. ये आकलन पर्यवारण संरक्षण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने किया है.
Image captionशार्क की कई प्रजातियों पर ख़तरा मँडरा रहा है
इस सूची में 64 प्रकार की शार्क का विवरण है जिनमें से 30 फ़ीसदी पर लुप्त होने का खतरा है.
आईयूसीएन के शार्क स्पेशलिस्ट ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका मुख्य कारण ज़रूरत से ज़्यादा शार्क और मछली पकड़ना है.
हैमरहेड शार्क की दो प्रजातियों को लुप्त होने वाली श्रेणी में रखा गया है. इन प्रजातियों में अक्सर फ़िन या मीनपक्ष को हटाकर शार्क के शरीर से हटा कर फेंक दिया जाता है. इसे फ़िनिंग कहते हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशु-पक्षियों पर नज़र रखने की कोशिश के तहत आईयूसीएन ने नई सूची जारी की है.
संगठन का कहना है कि शार्क ऐसी प्रजाति है जिसे बड़े होने मे काफ़ी समय लगता है और नए शार्क कम पैदा होते हैं.
ख़तरा
आईयूसीएन शार्क ग्रुप के उपाध्यक्ष सोंजा फ़ॉर्डहैम का कहना है कि ख़तरे के बावजूद शार्क की रक्षा के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाए गए हैं.
उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन प्रजातियों को बड़े पैमाने पर पकड़ा जा रहा है जिसका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने करीब एक दशक पहले शार्क को होने वाले खतरों से आगाह किया था.
कई बार शार्क ग़लती से उन जालों में फँस जाते हैं जो मछली पकड़ने के लिए फेंके जाते हैं लेकिन पिछले कई सालों से शार्क को भी निशाना बनाया जा रहा है ताकि उन्हें माँस, दाँत और जिगर का व्यापार किया जा सके.
हैमरहैड जैसी प्रजातियों ख़ास तौर पर शिकार बनती हैं क्योंकि उनके फ़िन काफ़ी उच्च गुणवत्ता के होते हैं.
शार्क के फ़िन की एशियाई बाज़ार में काफ़ी माँग है.