गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है

गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है

गूलर  फिकस कुल  का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उदुम्बर, बांग्ला में हुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदम कहते हैं। इस पर फूल नहीं आते। इसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं ।
गूलर, २ प्रकार का होता है- नदी उदुम्बर और कठूमर। कठूमर के पत्ते गूलर के पत्तों से बडे होते हैं। इसके पत्तों को छूने से हाथों में खुजली होने लगती है और पत्तों में से दूध निकलता है।

औषधीय गुण

गूलर शीतल, गर्भसंधानकारक, व्रणरोपक, रूक्ष, कसैला, भारी, मधुर, अस्थिसंधान कारक एवं वर्ण को उज्ज्वल करने वाला है कफपित्त, अतिसार तथा योनि रोग को नष्ट करने वाला है।

  • गूलर की छाल - अत्यंत शीतल, दुग्धवर्धक, कसैली, गर्भहितकारी और वर्णविनाशक है।
  • कोमल फल- स्तम्भक, कसैले, हितकारी, तथा तृषा पित्त-कफ और रूधिरदोष नाशक है।
  • मध्यम कोमल फल - स्वादु, शीतल, कसैले, पित्त, तृषा, मोहकारक एवं वमन तथा प्रदर रोग विनाशक है।
  • तरूण फल - कसैले, रूचिकारी, अम्ल, दीपन, माँसवर्धक, रूधिरदोषकारी और दोषजनक है।
  • पका फल - कसैला, मधुर, कृमिकारक, जड, रूचिकारक, अत्यंत शीतल, कफकारक, तथा रक्तदोष, पित्त, दाह, क्षुधा, तृषा, श्रम, प्रमेह शोक और मूर्छा नाशक है।

 

गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है। इसका वनस्पतिक नाम फीकुस ग्लोमेराता रौक्सबुर्ग है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। यह नदी−नालों के किनारे एवं दलदली स्थानों पर उगता है। उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है।
* इसके भालाकार पत्ते 10 से सत्रह सेमी लंबे होते हैं जो जनवरी से अप्रैल तक निकलते हैं। इसकी छाल का रंग लाल−घूसर होता है। फल गोल, गुच्छों में लगते हैं। फल मार्च से जून तक आते हैं। कच्चा फल छोटा हरा होता है पकने पर फल मीठे, मुलायम तथा छोटे−छोटे दानों से युक्त होता है। इसका फल देखने में अंजीर के फल जैसा लगता है। इसके तने से क्षीर निकलता है।
* गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में #रक्तस्राव रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है।
* गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते। साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है।
* गूलर की छाल ग्राही है, रक्तस्राव को बंद करती है। साथ ही यह मधुमेह में भी लाभप्रद है। गूलर के कोमल−ताजा पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से भी मधुमेह में राहत मिलती है। इससे पेशाब में शर्करा की मात्रा भी कम हो जाती है।
* गूलर के तने को दूध बवासीर एवं दस्तों के लिए श्रेष्ठ दवा है। #खूनी बवासीर के रोगी को गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इसके नियमित सेवन से त्वचा का रंग भी निखरने लगता है।
* हाथ−पैरों की त्वचा फटने या #बिवाई फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है, पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
* गूलर से स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं भी दूर होती हैं। स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर इसकी छाल के काढ़े का सेवन करना चाहिए। इससे अत्याधिक बहाव रुक जाता है। ऐसा होने पर गूलर के पके हुए फलों के रस में खांड या शहद मिलाकर पीना भी लाभदायक होता है।
* विभिन्न योनि विकारों में भी गूलर काफी फायदेमंद होता है। योनि विकारों में योनि प्रक्षालन के लिए गूलर की छाल के काढ़े का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है।
* मुंह के छाले हों तो गूलर के पत्तों या #छाल का काढ़ा मुंह में भरकर कुछ देर रखना चाहिए। इससे फायदा होता है। इससे दांत हिलने तथा मसूढ़ों से खून आने जैसी व्याधियों का निदान भी हो जाता है। यह क्रिया लगभग दो सप्ताह तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
* आग से या अन्य किसी प्रकार से जल जाने पर प्रभावित स्थान पर गूलर की छाल को लेप करने से जलन शांत हो जाती है। इससे खून का बहना भी बंद हो जाता है। पके हुए गूलर के शरबत में शक्कर, खांड या शहद मिलाकर सेवन करने से गर्मियों में पैदा होने वाली जलन तथा तृषा शांत होती है।
* नेत्र विकारों जैसे आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में भी गूलर उपयोगी है। इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ और महीन कपड़े से छान लें। ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें। इससे नेत्र ज्योति भी बढ़ती है।
* नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है।
* धातुदुर्बलता के लिए 1 बताशे में 10 बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और 1 चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है। इस प्रकार से इसका उपयोग करने से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है।
* मर्दाना शक्तिवर्द्धक के लिए 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है।
*1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है।
* पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से 2 चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है। 2-2 घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं।
* बाजीकारक (काम उत्तेजना) के लिए 4 से 6 ग्राम गूलर के फल का चूर्ण और बिदारी कन्द का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है व बाजीकरण की शक्ति बढ़ जाती है। यदि इस चूर्ण का उपयोग इस प्रकार से स्त्रियां करें तो उनके सारे रोग ठीक हो जाएंगे।
** गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे- कब्ज तथा #खांसी और दमा आदि ठीक हो जाते हैं।
* उपदंश (फिरंग) के लिए 40 ग्राम गूलर की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश की बीमारी ठीक हो जाती है।
* शरीर को शक्तिशाली बनाने के लिए लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री मिलाकर रख दें। अब इस चूर्ण में से लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
* प्रदर के लिए गूलर के फूलों के चूर्ण को छानकर उसमें शहद एव मिश्री मिलाकर गोली बना लें। रोजाना 1 गोली का सेवन करने से 7 दिन में प्रदर रोग से छुटकार मिल जाता है।
* गूलर के पके फल को छिलके सहित खाकर ऊपर से ताजे पानी पीयें इससे श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
* गूलर के फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से #प्रदर रोग में आराम मिलता है।
* रक्तप्रदर के लिए गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
* 20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह 50 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है।
* पके गूलर के फलों को सुखाकर इसे कूटे और पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी ढक्कनदार बर्तन में भर कर रख दें। इसमें से 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
* पके गूलर के फल को लेकर उसके बीज को निकाल कर फेंक दें, जब उसके फल शेष रह जायें तो उसका रस निकाल कर शहद के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ मिलता है। रोगी इसके सब्जी का सेवन भी कर सकते हैं।
* 1 चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि #मासिकधर्म में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है।
* श्वेत प्रदर के लिए रोजाना दिन में 3-4 बार गूलर के पके हुए फल खाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
* गूलर का रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर इससे लेप करें। इससे श्वेत प्रदर रोग में आराम मिलता है।
** महिलाओ के श्वेत प्रदर के लिए 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। इसमें से #कच्चे गूलर 1 भाग उबाल लें और इनकों पीसकर 1 चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भागों से इसी प्रकार की क्रिया 2 दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है।
* 10-15 ग्राम गूलर की छाल को पीसकर, 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं। पकने के बाद 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर इसे छान लें और इसमें मिश्री व लगभग 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें तथा भोजन में इसके कच्चे फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
* गर्भपात ... गर्भावस्था में खून का बहना और गर्भपात होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरन्त ही गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में अथवा 2 से 4 गूलर के फल को पीसकर इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ पीएं। जब तक रोग के लक्षण दूर न हो तब तक इसका प्रयोग 4 से 6 घंटे पर उपयोग में लें।
* गूलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है।
* भगन्दर के लिए गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है।
* खूनी बवासीर के लिए गूलर के पत्तों या फलों के दूध की 10 से 20 बूंदे को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं। गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी लगाना लाभकारी है।
* 10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 250 ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
* आंव (पेचिश) के लिए 5 से 10 ग्राम गूलर की जड़ का रस सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से आमातिसार (पेचिश) ठीक हो जाता है।
* बताशे में गूलर के दूध की 4-5 बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से आमातिसार (आंव) ठीक हो जाता है।
* गूलर के पके फल खायें इससे पेचिश रोग ठीक हो जाता है।
* गूलर को गर्म जल में उबालकर छान लें और इसे पीसकर रोटी बना लें फिर इसे खाएं इससे पेचिश में लाभ होता है |
* दस्त के लिए ...दस्त और ग्रहणी के रोग में 3 ग्राम गूलर के पत्तों का चूर्ण और 2 दाने कालीमिर्च के थोड़े से चावल के पानी के साथ बारीक पीसकर, उसमें कालानमक और छाछ मिलाकर फिर इसे छान लें और इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
* गूलर की 10 ग्राम पत्तियां को बारीक पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रोगी को पिलाने से सभी प्रकार के दस्त समाप्त हो जाते हैं।
* बच्चों का आंव....गूलर के दूध की 5-6 बूंदे चीनी के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव ठीक हो जाते हैं।
* विसूचिका....विसूचिका (हैजा) के रोगी को गूलर का रस पिलाने से रोगी को आराम मिलता है।
* रक्तपित्त (खूनी पित्त) के लिए पके हुए हुए गूलर, गुड़ या शहद के साथ खाना चाहिए अथवा गूलर की जड़ को घिसकर चीनी के साथ खाने से लाभ मिलेगा और रक्तपित्त दोष दूर हो जाएगा।
* हर प्रकार के रक्तपित्त में गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम तथा उसका फल 2 से 4 ग्राम तथा गूलर का दूध 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा के रूप में सेवन करने से लाभ मिलता है।
* फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर उस पर पतला कागज चिपकाने से फोड़ा जल्दी ठीक हो जाता है।
* शरीर के अंगों में घाव होने पर गूलर की छाल से घाव को धोएं इससे घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
* गूलर के पत्तों को छांया में सूखाकर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद घाव को साफ करकें इसके ऊपर इस चूर्ण को छिड़के तथा इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा सुबह तथा शाम को पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
* गूलर के दूध में बावची को भिगोंकर इसे पीस लें और 1-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना इससे घाव पर लेप करें इससे घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
* गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
* गूलर के ताजे फल को खाकर ऊपर से ताजे पानी पीये इससे मधुमेह रोग में आराम मिलता है।
* शीतला (चेचक) के लिए गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को गाय के ताजे दूध में पीसकर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर चेचक से पीड़ित रोगी को पिलाये इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा।
* भिलावें की धुएं से उत्पन्न हुई सूजन को दूर करने के लिए गूलर की छाल को पीसकर इससे सूजन वाली भाग पर लेप करें।
* शरीर के किसी भी अंग पर गांठ होने की अवस्था में गूलर का दूध उस अंग पर लगाने से लाभ मिलता है।
* पेशाब अधिक आना....1 चम्मच गूलर के कच्चे फलों के चूर्ण को 2 चम्मच शहद और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब का अधिक मात्रा में आने का रोग दूर हो जाता है।
* पेशाब के साथ खून आना....पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसके फल 2 से 4 लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
* मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना....प्रतिदिन सुबह गूलर के 2-2 पके फल रोगी को सेवन करने से मूत्रकच्छ (पेशाब की जलन) में लाभ मिलता है।
* गूलर के 8-10 बूंद को 2 बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग (पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है।
* मधुमेह के लिए 1 चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को 1 कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। इसके साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक लाभकारी होता है। मधुमेह रोग ठीक हो जाने के बाद इसका सेवन करना बंद कर दें।
* दांतों की मजबूती के लिए गूलर की छाल के काढे़ से गरारे करते रहने से दांत और मसूड़ों के सारे रोग दूर होकर दांत मजबूत होते हैं।
* कंठमाला (गले में गिल्टी होना)....गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को पीसकर इसे मीठे या दही मिला दें और इसमें चीनी मिलाकर रोजाना 1 बार सेवन करें इससे कंठमाला के रोग से मुक्ति मिलती है।
* खांसी के लिए रोगी को बहुत तेज खांसी आती हो तो गूलर का दूध रोगी के मुंह के तालू पर रगड़ने से आराम मिलता है।
* गूलर के फूल, कालीमिर्च और ढाक की कोमल कली को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।
* नाक से खून बहना .....पके गूलर में चीनी भरकर घी में तलें, इसके बाद इस पर काली मिर्च तथा इलायची के दानों का आधा-आधा ग्राम चूर्ण छिड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में सेवन करें तथा इसके बाद बैंगन का रस मुंह पर लगाएं इससे नाक से खून गिरना बंद हो जाता है।
* गूलर का पेड़, शाल पेड़, अर्जुन पेड़, और कुड़े के पड़े की पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इन सब चीजों का काढ़ा भी बनाकर रख लें। इसके बाद इस चटनी तथा इससे 4 गुना ज्यादा घी और घी से 4 गुना ज्यादा काढ़े को कढ़ाही में डालकर पकाएं। पकने पर जब घी के बराबर मात्रा रह तो इसे उतार कर छान लें। अगर नाक पक गई हो तो इस घी को नाक पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
* रक्तस्राव (खून का बहना)...नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की 15 बूंदे 1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
* शरीर में कहीं से भी किसी कारण से रक्तस्राव (खून बहना) हो रहा हो तो गूलर के पत्तों का रस निकालकर वहां पर लगाएं इससे तुरन्त खून का आना बंद हो जाता है।
* मुंह में छाले हो अथवा खून आता हो या खूनी बवासीर हो तो 1 चम्मच गूलर के दूध में इतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से रक्तस्राव (खून बहना) होना बंद हो जाता है तथा इसके सेवन से मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं।
* चोट लगने पर खून का बहना...गूलर के पत्तों का रस चोट लगे हुए स्थान पर लगने से खून बहना रुक जाता है।
* गूलर के रस को रूई में भिगोकर इसे चोट पर रखकर पट्टी बांध लें इससे चोट जल्दी भरकर ठीक हो जाएगा।
* शिशु का दुबलापन...गूलर का दूध कुछ बूंदों की मात्रा में मां या गाय-भैंस के दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से कुछ महीने तक रोजाना 1 बार बच्चों को पिलाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट और सुडौल बनाता है लेकिन गूलर के दूध बच्चों उम्र के अनुसार ही उपयोग में लेना चाहिए।
* सूखा (रिकेट्स) रोग....5 बूंद गूलर के दूध को 1 बताशे पर डालकर इसका सेवन बच्चों को कराएं इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
* बच्चों के गाल पर सूजन होना...बच्चों के गाल की सूजन को दूर करने के लिए उनके गाल पर गूलर के दूध का लेप करें इससे लाभ मिलेगा।
* बिच्छू का जहर...जहां पर बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गूलर के अंकुरों को पीसकर लगाए इससे जहर चढ़ता नहीं है और दर्द से आराम मिलता है।
* आग से जलने पर ...जलने पर गूलर की हरी पत्तियां पीसकर लेप करने से जलन दूर हो जाती है।
* गूलर के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिट जाती है और छाले के निशान भी नही पड़ते।
* दमा के लिए गूलर की पेड़ की छाल उतारकर छाया में सुखा लें और फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे छानकर बोतल में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। इसमें से चूर्ण का सेवन प्रतिदिन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है।
* सितम्बर से मार्च तक की हर पूर्णमासी की रात में जितना खीर खा सकें, उतने दूध में चावल (इस खीर में अरबा चावल उत्तम माने जाते हैं) डालकर खीर बनाएं। इस खीर को कांसे की थाली में डालकर फैलाकर, इस पर ढाई चम्मच गूलर की छाल का चूर्ण चारो और छिड़क दें। खीर रात को नौ बजे तक तैयार कर लें। इसे रात को नौ बजे से सुबह के चार बजे तक खुले स्थान पर चांदनी में रखें। सुबह चार बजे के तुरन्त बाद इसे भर पेट खा लें। खीर खाने से पहले मंजन करके मुंह को साफ कर लें। आम के हरे पत्ते से खीर खाएं। इसके बाद धीरे-धीरे थकान नहीं हो तब तक घूमते रहें। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।
* जिगर का रोग के लिए 10 ग्राम की मात्रा में #जंगली गुलर की जड़ की छाल पीसकर गाय के मूत्र में मिला लें और इसे छानकर 25 ग्राम की मात्रा में रोजाना पीने से से यकृत वृद्धि खत्म जाती है।
* वमन (उल्टी) के लिए गूलर के दूध की 10 बूंदे सुबह और शाम दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों को उल्टी आना बंद हो जाता है।

 

Vote: 
0
No votes yet

New Health Updates

S.No Total views Views today
1 गर्मी में शरीर को ठंडा रखने के उपाय 478 16
2 स्त्रियों के ये अंग होते हैं सबसे ज्यादा कामुक 62,178 15
3 पति पत्नी के बीच में लड़ाई होने का कारण 391 13
4 मेकअप करने का स्टेप 12: लिप ग्लॉस 404 13
5 प्रेगनेंसी में डांस करने के तरीके 3,536 12
6 सबसे पहले ये जान लेते हैं कि ये पिल काम कैसे करती है? 299 12
7 लड़की के गर्लफ्रेंड बनने के इशारे 620 12
8 आप लिंग को योनि में कैसे डालते हैं? 28,741 12
9 महिला मुखमैथुन के दौरान योनि को कैसे चूसा जाता है 4,835 11
10 क्या है दुनिया का सबसे सेहतमंद खाना 7,684 11
11 पेट दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज 331 10
12 लड़की या औरत को कैसे गर्म करें घरेलू उपाय 36,823 10
13 दांतों में दाग-धब्‍बे और पीलापन आपकी चांद जैसी मुस्‍कान में ग्रहण लगा देते हैं। 4,041 10
14 दोस्त बनाने के सबसे आसान तरीके 8,463 10
15 शरीर में शुगर है तो जान ले ये संकेत 251 9
16 गुलाब के औषधीय गुण 7,505 9
17 पढ़ाई का सही वक्त : जेईई मेन में सफल होने के लिए आखिरी वक्त की तैयारी वाले टिप्स 3,195 9
18 हस्तमैथुन कितने दिन में करना चाहिए 8,442 9
19 बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार 5,545 9
20 दुनिया का सबसे मीठा फल अंजीर है। 6,618 9
21 प्रेगनेंसी में किस प्रकार का डांस करना चाहिए? 3,549 9
22 केसर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। 4,001 8
23 क्या है आई वी एफ की प्रक्रिया, जानें 5,124 8
24 कैसे पहचाने की आप ज्यादा पानी पी रहे है 313 8
25 बलगम से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय 220 8
26 किस चीज में कितनी कैलोरी होती है 235 8
27 बच्चा कैसे होता है 944 8
28 बलगम बनने का कारण 251 8
29 कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के पांच सबसे कारगर उपाय 3,526 8
30 मैथी खाने के फ़ायदे 3,199 8
31 कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए घरेलू उपाय 1,187 8
32 खाना खाने के बाद भी लग जाती है भूख तो ये गलत आदतें हैंं जिम्‍मेदार 158 8
33 आख़िर कब तक करनी होगी सोशल डिस्टेंसिंग 2,631 8
34 पानी पीने के लिए खुद को प्रेरित करने के तरीके 289 8
35 इरेक्शन कैसे होता है? 266 8
36 जानें किन कारणों से फैलता है टीबी रोग और किसे होता है ज्यादा खतरा 165 8
37 कैसे जाने कि लड़का मुझसे प्यार करता है 445 8
38 हनीमून क्या है? 350 8
39 पति पत्नी के बीच लड़ाई खत्म करने के लिए शब्दों का वार न करें 285 8
40 फिशर के कारण, लक्षण और उपाय 1,147 8
41 जल जाने पर अपनाएं ये घरेलू नुस्खे 970 8
42 तरबूज खाने के फायदे 4,584 8
43 बर्थडे गिफ्ट फॉर बॉयफ्रेंड 237 8
44 मर्जरी आसन 1,684 8
45 सूरज की रोशनी कितनी कारगर 4,911 8
46 योनि सेक्स 554 8
47 गर्लफ्रेंड रिलेशनशिप में सीरियस है तो ये संकेत देगी 705 7
48 सफेद बालों को काला करने के घरेलू उपाय 985 7
49 लड़के के दिल की बात कैसे जाने 315 7
50 गर्लफ्रेंड आपको खोने से डरती है 327 7
51 , जॉब करते समय बच्चों का रखे ध्यान आइये जाने बच्चों की परवरिश कैसे करें 3,660 7
52 सर दर्द से राहत के लिए करें ये घरेलु उपचार 7,307 7
53 लड़की दे ये 8 संकेत तो समझ जाएँ वो आपसे प्यार करती हैं 396 7
54 साबुन या फ़ेसवॉश से त्वचा रूखी होती है 4,662 7
55 मैसेज के रिप्लाई से लड़के के दिल की बात जाने 392 7
56 मेकअप करने का तरीका स्टेप बाय स्टेप 286 7
57 ज्यादा पानी पीने के कुछ शुरूआती लक्षण में शामिल है 221 7
58 ज्यादा भूख लगने के कारण क्या है 253 7
59 जननांग मस्सों के घरेलू इलाज 486 7
60 पानी पीने के लिए सही समय है खाना खाने से पहले 236 7
61 स्टार्ट-स्टॉप मेथड क्या है 180 7
62 ब्रेड, चिप्स और आलू को ज्यादा पकाने से बचिए. फूड वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इससे कैंसर होने का खतरा है. 3,097 7
63 गिफ्ट देकर रोमांस करे 247 7
64 पेनिस की खुजली की अन्य स्थितियों में निम्न प्रकार के लक्षण रोग की गंभीरता को प्रगट कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं: 865 7
65 कॉफी: फायदा या नुकसान? 7,212 7
66 पतंजलि के पास मर्दाना ताकत बढ़ाने की कोई दवाई है या नहीं 8,841 7
67 योनि सेक्स (वेजाइनल सेक्स) क्या है? 1,881 7
68 क्या अनियमित माहवारी (अनियमित पीरियड्स) के साथ गर्भवती होना संभव है? 193 7
69 5 संकेत जो बताते हैं आप बिस्तर में अपनी महिला पार्टनर को संतुष्ट कर रहे हैं 227 7
70 सेक्‍स टाइम बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा है कौंच बीज 162 7
71 दाँत दर्द की अचूक दवा 5,433 7
72 क्या मुझे गोली लेने के बाद पीरियड्स आ सकता हैं 234 7
73 स्नान संबंधी आचार 4,706 7
74 दाद खाज खुजली को ठीक करने के घरेलू इलाज 2,014 7
75 प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे सही उम्र क्या है? 380 7
76 जोश बढ़ाने का तरीका मन को चिंता मुक्त रखें 231 7
77 मेलाज्मा के लक्षण, कारण, घरेलू इलाज और परहेज 2,782 7
78 जुकाम और खांसी के लिए रामबाण है ये 3,417 7
79 गर्भावस्था में लें सही आहार 4,384 7
80 गंजापन दूर करने के घरेलू उपाय 1,312 7
81 फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार 919 7
82 गूलर के औषधीय गुण दांत व मसूढ़े स्वस्थ रखे 253 7
83 गुड हसबैंड क्वालिटीज़ 223 7
84 योनि यीस्ट संक्रमण के प्राकर्तिक और घरेलू उपचार 209 7
85 माँ का दूध बढ़ाने के तरीके 14,053 7
86 क्या है आई वी एफ की प्रक्रिया, जानें 4,770 6
87 आयु 3-5 वर्ष वर्ष के बच्चों के लिए सेक्स एजुकेशन 496 6
88 ऐसे में अपने पार्टनर को भरपूर मजा दें 253 6
89 यह तेल लगाएँ - सफेद बालों को जड़ से काला करें. 9,225 6
90 ये इंजेक्शन बाप बनने से रोकेगा 4,515 6
91 लड़के का आपको छुप छुप कर देखना 824 6
92 मोतिया बिन्द है तो करें ये घरेलु उपाय 6,372 6
93 *ऊर्जा का स्त्रोत है राजमा* 5,388 6
94 सेहत को रखना है फिट तो इस तरह से लें प्रोटीन... 8,732 6
95 वीर्य पतला होने के कारण 236 6
96 कील-मुँहासे (Acne) से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्ख़े 1,201 6
97 पुशअप एक्सरसाइज करें 199 6
98 योनी का कैंसर क्या होता है 314 6
99 फ्रेंडशिप डे कब और क्यों मनाया जाता है 613 6
100 एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) इन्फेक्शन 336 6