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लौकी जूस के बेहतरीन गुण

लौकी– “Cucurbitaceae Family” से सम्बंधित पौधे का फल होता है। भारत में लौकी को घीया, कद्दू , दूदी,और दुधी भोपळा भी कहते हैं।
घिया की आकृति बोतल जैसी होती है , इसलिए पुराने जमाने में इसको सुखाने के बाद अंदर से खोखला करके इसके बोतलनूमा पात्र में पानी ,शराब आदि भर कर रखते थे शायद इसी के कारण इसे बॉटलगार्ड (Bottle Gourd) भी कहते हैं। लौकी केवल एक सब्जी ही नहीं है बल्कि यह शरीर को रोगरूपी जंजाल से मुक्त करने वाली औषधी भी होती है। बहुत सारे लोग लौकी खाना कम पसंद करते हैं क्योंकि वो इसको स्वादिष्ट नहीं मानते , परन्तु वो इसके वास्तविक फायदों के बारे में नहीं जानते हैं| लौकी का रस बुखार, खाँसी, पेट के रोगों ,हृदय के विकार, गर्भाशय आदि से सम्बंधित रोगों में लाभदायक है। लौकी नाड़ी-मण्डल को स्वस्थ रखती है और शक्ति देती है। सबसे पहले हम लौकी का रस बनाने की विधि जानेंगे उसके बाद इसके जूस के गुण तथा अंत में लौकी के लाभ जानेगें |
लौकी का रस बनाने की विधि
अगर लौकी का स्वाद कड़वा लगे तो इसको कभी ना पियें | सबसे पहले लौकी के जूस को थोडा सा चखें अगर यह कडवा लगे तो फेंक दें | दूसरी बार फिर से जूस बनाकर पियें | भोजन के पौन घंटे (45 मिनट) पहले या भोजन के एक घंटे बाद प्रतिदिन तीन बार प्रात:, दोपहर, रात्रि में सोते समय पियें। लौकी का सेवन ठण्डक देने वाला है। अत: जिन लोगों को जुकाम या नजले की समस्या हो वे लौकी का रस सर्दियों में ना पियें, पीना ही चाहें तो सोंठ और कालीमिर्च डालकर पियें। जिनको लौकी के रस किसी भी प्रकार की हानि पंहुचती है, वे लौकी के रस में अंगूर या अनार का रस मिलाकर पी सकते हैं।
लौकी का रस के फायदे
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पानी को कमी -
उल्टी, दस्त, तेज बुखार के कारण शरीर में पानी की कमी होने पर समान मात्रा में नारियल का पानी और लौकी का रस मिलाकर हर 20 मिनट में आधा-आधा कप पीते रहने से पानी की कमी दूर हो जाती है तथा आगे भी पानी की कमी नहीं होती।
पेट के रोग -
एक कप लौकी का रस सुबह खाली पेट प्रतिदिन पीने से पेट के सभी सामान्य रोग व कब्ज ठीक हो जाते हैं। लम्बे समय तक इसी प्रकार लौकी का रस पीने से पेट ठीक रहेगा। लौकी की खिचड़ी भी खा सकते हैं।
पैर के तलवों की जलन-
लौकी या घीया को काटकर इसका पेस्ट पैर के तलवों पर मलने से पैरों की गर्मी, जलन, दूर होती है। लौकी का रस भी लगाया जा सकता है।
दस्त -
लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद है। लौकी को कद्दूकस करके थोड़ा पानी डालकर उबालें। फिर दही को अच्छी तरह मथकर उसमें उबली हुई लौकी को हल्का सा निचोड़ कर मिला दें और फिर उसमें सेंधा नमक, भुना जीरा, कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार खाएँ। बार-बार दस्त जाना बन्द हो जायेगा। दस्त होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है, ऐसी हालत में रोगी को लौकी का रस देने से लाभ होता है।
मानसिक तनाव -
आधा कप लौकी का रस दो चम्मच शहद मिलाकर सोते समय पीने से मानसिक तनाव कम होता है। सिर में लौकी का तेल लगायें। जब तनाव बढ़े उस समय का एक छोटा गिलास पीने से तनाव और क्रोध से राहत मिलती है। लौकी से बहुत लाभ होता है। अन्न, दालें, फल-सब्जियाँ छिलकों सहित खायें। ठंडी प्रकृति वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, कद्दू, तोरई, टिन्डा, भीगे हुए बादाम और अंजीर, गेहूँ का दलिया क्षार प्रधान होते हैं। ये चीजें भोजन में शामिल करें इससे तनाव कम होता है। चाय-कॉफी, शराब, मैदा की चीजें, तला हुआ भोजन, डिब्बा बन्द भोजन आदि से परहेज रखें, नहीं खायें।
गला दर्द -
एक गिलास में दो चम्मच शहद या शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
मधुमेह में लौकी लाभ करती है। सब्जी, सलाद के रूप में कच्ची लौकी खा सकते हैं लोकी जूस में थोड़ा नमक मिलाकर पियें।