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पृथ्वी के भीतर हैं महासागर जाने विस्तार से

एक हीरे के अंदर पाई गई रहस्यपूर्ण चट्टान ने इस सवाल को अहम बनाया कि पृथ्वी की सतह के नीचे क्या-क्या छिपा है.
इस रहस्यपूर्ण चट्टान में पानी के कण मिलना महत्वपूर्ण खोज थी. ये चट्टानें हमें बताती हैं कि पृथ्वी के भीतर, सतह के 500-600 किलोमीटर नीचे सदियों पहले क्या हुआ. और वहां क्या मौजूद है.
वैज्ञानिक दशकों से इन सवालों से जूझ रहे हैं कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया, महासागर कैसे बनें और क्या पृथ्वी की सतह के नीचे और महासागर छिपे हुए हैं?
अब तक मनुष्य ने पृथ्वी की सतह के नीचे जो सबसे गहरा गड्ढ़ा बनाया है वो 10 किलोमीटर तक ही पहुँच पाया है.
हम जिस ग्रह पर रहते हैं, उसके बारे में शायद उतना नहीं जानते जितना हम लाखों किलोमीटर दूर मंगल गृह की सतह के बारे में जानते हैं.
आंतरिक क्रोड के रहस्य
पृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन प्रमुख परतों से हुई है.
ऊपरी सतह भूपर्पटी यानी क्रस्ट, मध्य स्तर मैंटल और आंतरिक और बाहरी स्तर - क्रोड.
इनमें से बाहरी क्रोड तरल अवस्था में है. यह आंतरिक क्रोड के साथ क्रिया कर पृथ्वी में चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है.
ऐसा अनुमान है कि महासागरों के नीचे की परत लगभग पाँच किलोमीटर मोटी हो सकती है.
लेकिन यह छोटी सी परत कई प्रकाश वर्षों के समान भी हो सकती है, क्योंकि इसके बारे में हमारा ज्ञान बहुत कम है.
दशकों से वैज्ञानिकों का और मेरा भी मानना था कि पृथ्वी की सतह पर धूमकेतुओं के टकराने से पानी पैदा हुआ होगा या महासागरों का निर्माण हुआ होगा.
रिंगवुडाइट
पृथ्वी के आवरण में मौजूद चट्टानों का महासागरों के निर्माण में योगदान का संकेत मिलता है रहस्यमयी चट्टानों से जो मैग्नीशियम युक्त सिलिकेट हैं और इन्हें रिंगवुडाइट कहते हैं.
दरअसल इन रहस्यमयी चट्टानों में पानी के अंश पाए गए, जिनता हम अनुमान लगाते थे, उससे लगभग 10 गुना.
मैंने पृथ्वी की सतह से सैकड़ों किलोमीटर अंदर बने रिंगवुडाइट को प्रयोगशाला में बनाने की कोशिश की.
मैंने उन खनिज पदार्थों का इस्तेमाल किया जो रिंगवुडाइट में पाए जाते हैं लेकिन मैं पानी के इस्तेमाल के बिना इस चट्टान का निर्माण नहीं कर पाया.
पानी के इस्तेमाल के साथ ये संभव था. रिंगवुडाइट में काफ़ी मात्रा में पानी पाया जाता है.
इसका मतलब ये हुआ कि महासागरों और पृथ्वी की सतह के नीचे की चट्टानों यानी मैंटल या मध्य स्तर के भीतर भी महासागर मिल सकते हैं.