ब्रह्मांड

ओज़ोन परत का छेद 40 लाख वर्ग किलोमीटर हुआ छोटा हुआ

ओज़ोन परत का छेद 40 लाख वर्ग किलोमीटर हुआ छोटा हुआ

अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 2000 से अब तक ओज़ोन परत का छेद 40 लाख वर्ग किलोमीटर छोटा हुआ है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि साल 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत, अधिकतर देशों द्वारा क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सीएफसी) गैसों पर प्रतिबंध लगाने के बाद ओज़ोन परत सेहतमंद हुई है।

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3 सूर्योदय, सूर्यास्त वाले बड़े ग्रहो की खोज

3 सूर्योदय, सूर्यास्त वाले बड़े ग्रहो की खोज

वाशिंगटन : वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 340 प्रकाशवर्ष दूर और बृहस्पति ग्रह के द्रव्यमान से चार गुना वजनी एक नये ग्रह की खोज की है जो तीन तारों की परिक्रमा लगाता है और मौसमों के अनुरूप हर दिन तीन बार सूर्योदय और सूर्यास्त का दीदार करता है। Read More : 3 सूर्योदय, सूर्यास्त वाले बड़े ग्रहो की खोज about 3 सूर्योदय, सूर्यास्त वाले बड़े ग्रहो की खोज

गैलेक्सी के रंगों में छिपा है उसकी उत्पत्ति का रहस्य

गैलेक्सी के रंगों में छिपा है उसकी उत्पत्ति का रहस्य

गैलेक्सी के रंगों में छिपा है उसकी उत्पत्ति का रहस्यआकाशगंगाओं पर गैस के घनत्व का बढऩा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, वह गैस 
आपूर्ति को तेजी से नष्ट कर देती है। यह उनके रंग बदलने की मुख्य वजह होती 
है.
     नाटिंघम।
 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम, ब्रह्मांड के नए कंप्यूटर मॉडल के जरिए आकाशगंगाओं के रंग और उससे उनकी उत्पत्ति के रहस्यों के सुलझा रही है।
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इसरो निजी क्षेत्र से जुड़ने को तैयार

 इसरो निजी क्षेत्र से जुड़ने को तैयार

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अब भी नाबाद है और आगामी प्रक्षेपणों में चौके-छक्के जड़ कर वह टी-20 मैचों की गति से अपने जौहर दिखाने के लिए तैयार है.
    
अपनी तरह का पहला साहसिक कदम उठाते हुए इसरो अंतरिक्ष यानों के सिर्फ कुछ हिस्से बनाने के लिए नहीं बल्कि पूरे-पूरे उपग्रह बनाने के लिए निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोल रहा है. अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह इसरो की एक बड़ी छलांग है क्योंकि अब तक वह सभी उपग्रहों का निर्माण संस्था के भीतर ही करता आया है.
    
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ब्रह्मांड की चौड़ाई - 93 अरब प्रकाशवर्ष

ब्रह्मांड की चौड़ाई - 93 अरब प्रकाशवर्ष

ताजा अनुमान कहते हैं कि ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है. प्रकाश वर्ष वो पैमाना है जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं. प्रकाश की रफ्तार बहुत तेज होती है. वो एक सेकेंड में करीब दो लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है. 
 
तो एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे पैमाना बनाकर दूरी को प्रकाश वर्ष में नापते हैं. इतनी लंबी दूरी को किलोमीटर या मील में बताना बेहद मुश्किल है. इसीलिए प्रकाश वर्ष को पैमाना बनाया गया है.
 
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ब्रह्मांड का सही नाप जान सकेंगे

ब्रह्मांड का सही नाप जान सकेंगे

आकाश अनंत है. इसका कोई ओर-छोर नहीं है. ये कितना बड़ा है इसका कोई ठोस अंदाज़ा अब से पहले तक नहीं था.
मगर बरसों की मेहनत के बाद अब कुछ वैज्ञानिक ये दावा करने लगे हैं कि उन्होंने ब्रह्मांड को नाप लिया है.
ताज़ा अनुमान कहते हैं कि ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है. प्रकाश वर्ष वो पैमाना है जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं.
प्रकाश की रफ़्तार बहुत तेज़ होती है. वो एक सेकेंड में क़रीब दो लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है.
तो एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे पैमाना बनाकर दूरी को प्रकाश वर्ष में नापते हैं.
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एक अरब साल पुरानी गुरुत्‍व तरंगों की कहानी

गुरुत्व तरंगें

करीब एक अरब वर्ष पहले अंतरिक्ष में दो ब्लैक होल आपस में टकराकर एक-दूसरे में विलीन हो गए। इस प्रक्रिया में उत्पन्न् कंपन से गुरुत्व तरंगें निकलीं जो अंतरिक्ष में भ्रमण करते हुए पृथ्वी पर पहुंचीं और गत सितंबर में वैज्ञानिकों ने पहली बार इन तरंगों की 'चहक" सुनी। वैज्ञानिक इन तरंगों को 'ग्रेविटेशनल वेव्स" भी कहते हैं। इन तरंगों के अस्तित्व के बारे में पिछली एक सदी से अटकलें लगाई जा रही थीं। इनके अस्तित्व के बारे में सर्वप्रथम सैद्धांतिक परिकल्पना अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी। गुरुत्व तरंगों की खोज के लिए स्थापित वेधशाला लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (लिगो) के कार्यकारी निदेशक डेविड Read More : एक अरब साल पुरानी गुरुत्‍व तरंगों की कहानी about एक अरब साल पुरानी गुरुत्‍व तरंगों की कहानी

ब्रह्मांड के विचित्र सिद्धांत

ब्रह्मांड के विचित्र सिद्धांत

ब्रह्मांड, इन्फिनिटी और रहस्य की। छोटे सौर मंडल, ब्रह्मांड और अपने परिधीय, है बहुत ज्यादा सभी ज्ञान और समझ के भागों में, यह ऐसी एक सिरदर्द था। इसकी आंतरिक कार्रवाई और अन्य जीवन रूपों की उपस्थिति के साथ आमतौर पर परे, ब्रह्मांड के रहस्यों निकट से संबंधित हैं। सिद्धांत ही ब्रह्मांड के कई रहस्य पता करने के लिए, लेकिन भी मनुष्य वास्तविक दुनिया के सभी धारणा विकृत करने के लिए आसान नहीं है।

 कितने ग्रहों में सौर? कोई नहीं जानता Read More : ब्रह्मांड के विचित्र सिद्धांत about ब्रह्मांड के विचित्र सिद्धांत

पृथ्वी के थे दो चांद

पृथ्वी के थे दो चांद

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर परिकल्पना की है कि संभवतः चार अरब साल पहले पृथ्वी का एक दूसरा चांद था जो धीमी गति से बड़े चांद के साथ टकराया और नष्ट हो गया। इस परिकल्पना का विस्तृत ब्यौरा नेचर पत्रिका में छपा है। शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि दूसरा छोटा चांद नष्ट होने से पहले लाखों साल तक अस्तित्व में रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि धीमी गति से छोटे चांद के बड़े चांद से टकराने के कारण ही संभवतः चांद की पृथ्वी से नजर आने वाली सतह पर कई खाइयां है (जिन्हें साहित्यकार चांद में दाग बताते हैं), लेकिन चांद का जो भाग पृथ्वी से नजर नहीं आता है, उस ओर इस टकराव की वजह से लगभग 3000 मीटर ऊंचे पहाड़ पैद Read More : पृथ्वी के थे दो चांद about पृथ्वी के थे दो चांद

चमकेगा पृथ्वी पर दूसरा सूरज

कब चमकेगा पृथ्वी पर दूसरा सूरज

कहानी के मुताबिक एक असाधारण ग्रहण की वजह से जब उस ग्रह पर उन छहों सूर्यों की रोशनी आनी बंद हो गई तो उसके निवासियों ने रोशनी को बचाए रखने की जिद में जमीन पर मौजूद हर चीज को जला डाला। पर क्या सचमुच किसी नक्षत्र मंडल में एक से ज्यादा सूर्य हो सकते हैं?

इसाक असिमोव ने 1941 में 'नाइटफॉल' नाम की एक विज्ञान कथा लिखी थी, जिसने उस जमाने में दुनिया भर के खगोलविदों को सोचने पर मजबूर कर दिया था। उस गल्प में एक ऐसी दुनिया की कल्पना की गई थी, जिसमें छह-छह सूर्य मौजूद हैं।  Read More : चमकेगा पृथ्वी पर दूसरा सूरज about चमकेगा पृथ्वी पर दूसरा सूरज

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