स्वास्थ्य एवम् चिकित्सा विज्ञान

कोरोना वैक्सीन आने के बाद क्या सब कुछ सामान्य हो जाएगा?

अगर आपको लगता है कि कोरोना की वैक्सीन आने के बाद सब कुछ एकदम से सामान्य हो जाएगा, तो शायद आपका सोचना ग़लत हो सकता है. प्रमुख वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी दी है. वैक्सीन को एक ऐसे उपाय के रूप में देखा जा रहा है, जिसके आते ही महामारी समाप्त हो जाएगी. लेकिन रॉयल सोसायटी के शोधकर्ताओं ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि टीके से क्या होगा और क्या हो सकता है, इसे लेकर हमें तार्किक और व्यावहारिक होने की ज़रूरत है. वैज्ञानिकों का कहना है कि टीका जब भी आए, उसे लोगों तक ले जाने में कम से कम एक साल तक का समय लग सकता है. Read More : कोरोना वैक्सीन आने के बाद क्या सब कुछ सामान्य हो जाएगा? about कोरोना वैक्सीन आने के बाद क्या सब कुछ सामान्य हो जाएगा?

वो शख़्स जिसने भारत को दो महामारियों की वैक्सीन दी

मुंबई का हाफ़किन जीवऔषध महानिर्माण मंडल कुछ साल पहले उस समय अचानक चर्चा में आ गया था जब शिवसेना ने इसके परिसर में बाल ठाकरे मेमोरियल के निर्माण की कोशिश शुरू कर दी थी. बाद में इस स्मारक की जगह तो बदल गई लेकिन इस पूरे प्रकरण ने यह बता दिया कि हम उस शख़्स के योगदान को किस कदर भूल चुके हैं जिसने भारत को एक नहीं दो महामारियों से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

यूक्रेन के ओदेसा में जन्मे वाल्डेमर मोर्डेकई हाफ़किन का भारत पहुंचना महज उनके जीवन का एक संयोग ही था. यह बात अलग है कि जीवन के सबसे महत्वपूर्ण 22 वर्ष उन्होंने यहीं गुजारे. Read More : वो शख़्स जिसने भारत को दो महामारियों की वैक्सीन दी about वो शख़्स जिसने भारत को दो महामारियों की वैक्सीन दी

कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा

कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा

कोरोना वायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है लेकिन उन लोगों को इससे ज़्यादा ख़तरा है जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है या जो उम्रदराज हैं.

द लांसेट जर्नल के एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग उम्रदराज हैं या जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ जैसी बीमारियां हैं उनकी कोरोना वायरस से जान जाने का ज़्यादा ख़तरा है.

ये अध्ययन चीन में वुहान के दो अस्पतालों के 191 मरीज़ों पर किया गया था. इसमें शोधकर्ताओं ने उन लोगों पर अध्ययन किया जो या तो मर चुके थे या अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके थे. Read More : कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा about कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा

घोड़े बेच कर सोती हैं महिलाएँ

घोड़े बेच कर सोती हैं महिलाएँ

आम तौर पर माना जाता है कि महिलाओं की नींद पुरुषों से ख़राब होती है लेकिन नया शोध इस तथ्य को ग़लत साबित करता है.

नए शोध से पता चला है कि महिलाओं को पुरुषों से अधिक नींद आती है और वो पुरुषों की तुलना में अच्छी नींद ले पाती हैं.

बुज़ुर्ग महिलाओं को ऐसा लगता है कि उनकी नींद कम अवधि की होती है और बुज़ुर्ग पुरुषों की तुलना में उन्हें उतनी अच्छी नींद नहीं आती है.

लेकिन अब नए शोध के अनुसार ऐसा बिल्कुल नहीं है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक नींद की ज़रुरत होती है. Read More : घोड़े बेच कर सोती हैं महिलाएँ about घोड़े बेच कर सोती हैं महिलाएँ

बच्चों के लिए प्रैम मददगार या ख़तरनाक?

बच्चों के लिए प्रैम मददगार या ख़तरनाक?

तैयार होकर प्रीति ने प्रैम (पेराम्ब्यूलेटर- बच्चों को घुमाने वाली गाड़ी) निकाली, अपने एक साल के बच्चे को उसमें लिटाया और शॉपिंग के लिए निकल पड़ी.

प्रीति अक्सर बाहर जाते वक़्त बेटे चीकू को प्रैम में ही लेकर जाती हैं. वो कहती हैं कि बच्चे को गोद में लेकर बहुत से काम करना मुश्किल होता है. Read More : बच्चों के लिए प्रैम मददगार या ख़तरनाक? about बच्चों के लिए प्रैम मददगार या ख़तरनाक?

उच्च रेशायुक्त आहार किसी वरदान से कम नहीं

उच्च रेशायुक्त आहार किसी वरदान से कम नहीं

क्या आपको दिल का दौरा आया है? तो खूब रेशे वाला खाना खाएं. बीमारी से जल्द उबरने के लिए ये सलाह दी है अमरीकी शोधकर्ताओं ने.

ब्रितानी मेडिकल जर्नल में एक अध्ययन छपा है जिसमें ये बताया गया है कि दिल के दौरे से बच निकलने में कामयाब लोग यदि हाई-फाइबर फूड यानि उच्च रेशायुक्त आहार लें तो नौ साल तक उनकी जान को कोई खतरा नहीं होता.

अध्ययन में कहा गया है कि यदि आहार में रेशे की मात्रा रोज 10 ग्राम बढ़ाई जाए तो मौत का खतरा 15 फीसदी कम हो जाता है.

विशेषज्ञों के अनुसार भोजन में मौजूद रेशे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को ठीक रखते हैं. Read More : उच्च रेशायुक्त आहार किसी वरदान से कम नहीं about उच्च रेशायुक्त आहार किसी वरदान से कम नहीं

फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर

फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर

दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक फ़ाइजर ने भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने के प्रयास तेज़ करने के संकेत दिए हैं.

कंपनी बिक्री के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी है लेकिन भारतीय बाज़ार में इसका स्थान काफी पीछे है.

फ़ाइजर के दक्षिण एशिया विभाग के चेयरमैन गैरी बकार्रो ने हरियाणा के करनाल में कहा कि उनका पहला लक्ष्य भारतीय बाज़ार में कारोबार कर रही पाँच बड़ी दवा कंपनियों में शुमार होना है. Read More : फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर about फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर

रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है.

रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है.

अमरीका के शोधकर्ताओं का कहना है कि रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है. उल्लेखनीय है कि उच्च रक्तचाप का संबंध हृदयरोग, पक्षाघात और गुर्दा बेकार हो जाने से जोड़ा गया है. 'बीएमसी पब्लिक हेल्थ' पत्रिका मे प्रकाशित इस शोध के नतीजे बताते हैं कि कम शिक्षित महिलाओं में कम शिक्षित पुरुषों की अपेक्षा उच्च रक्तचाप का ख़तरा ज़्यादा रहता है

ब्राउन विश्वविद्यालय में ये शोध करवाने वाले प्रोफेसर एरिक लौक्स ने कम शिक्षित महिलाओं में उच्च रक्तचाप के आधारभूत कारणों को भी रेखांकित किया. Read More : रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है. about रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है.

शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती?

शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती?

दुनिया भर के वैज्ञानिक लगभग आधी सदी से पुरुषों के इस्तेमाल के लिए गर्भनिरोधक जैसी गोली विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

इससे जुड़ी कई बेहतरीन रिपोर्ट तो देखने को मिलती हैं लेकिन अभी भी इन गोलियां मेडिकल स्टोर्स तक नहीं पहुंच पाई हैं.

पैसों की कमी और पुरुषों की उदासीनता की वजह से इन गोलियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं हो पाया. इसके अलावा अभी भी महिलाओं से ही यह उम्मीद की जाती है कि गर्भ न ठहरने की ज़िम्मेदारी वो उठाएं.

हालांकि कई रिसर्च से यह पता चला है कि अगर पुरुषों के लिए ऐसी गोलियां होतीं तो पुरुष आसानी से उसे स्वीकार कर लेते. Read More : शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती? about शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती?

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